'छत्तीसगढ़' संवाददाता
महासमुंद, 4 सितम्बर। जोंक नदी के तट पर बसे गांव खट्टी, सेनभांठा, झीटकी,परसुली, परकोम,बहेराभांठा, नर्रा, बिंद्राबन, अमेरा, उखरा, सिवनी, सोनामुदी, टेमरी, करीडिह, साल्हेभांठा, डोंगाखमरिहा, कुसमी, छिबर्रा, कोचर्रा, सीमगांव, खेमड़ा, डोंगरगांव, खुड़मुड़ी, डोंगरीपाली, रेवा, मोंगरापाली सहित सैकड़ों गांव में पानी की कमी से फसल चौपट हो चुकी है। पैरा की तरह सूखते हुए धान के फसल को अब किसान मवेशियों के हवाले कर रहे हैं।
खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई साधन का अभाव है, इसलिए हर साल यहां सूखे जैसे हालात होते हैं। यहां के किसान लंबे समय से नदी नाले में डायवर्सन एंव सिंचाई जलाशय बनाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन सांसद-विधायकों ने कभी भी दमदारी से सदन में उनकी बातों को नहीं रखा।
इस बार खरीफ सीजन 2021-22 में ऐसी विकराल समस्या खड़ी हुई है कि किसानों को भीषण सूखे ने अकाल की ओर धकेल दिया है। हालांकि इस क्षेत्र मेें सैकड़ों छोटे बड़े नाला हैं। कोचर्रा, छिबर्रा, देवरी, कुसमी, कांदाजरी, छुईहा, फिरगी, गांजर, भूरकोनी, तेंदूकोना, शिकारीपाली, मोहबा, कौहाकुड़ा, बीके बाहरा, खल्लारी, कोमा सहित वनांचल क्षेत्र में सैकड़ों नाला हंै। लेकिन इस बार बारिश ही नहीं हुई। वर्षा के अभाव में खेत सुख चुके हैं। इस बरसात में रोपाई, बियासी व निंदाई जैसे कार्य शुरू भी नहीं हुए। धान पौधों की स्थिति बहुत खराब है।
साधन सम्पन्न किसानों के लिए बिजली का लो वोल्टेज और बार बार बिजली गुल होने की समस्या है। किसान हैरान है और अपने फसल को मवेशियों के हवाले कर रहे हैं। तालाबों, जलाशयों में कम पानी का होना चिंताजनक है। इससे भविष्य में निस्तार और पेयजल की विकराल स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है।