महासमुन्द

नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी संख्या बढक़र अब 554
05-Sep-2021 7:51 PM
 नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी संख्या बढक़र अब 554

गौठानों में पशु अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन हो रहा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 5 सितम्बर। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी के अंतर्गत महासमुंद जिले में पहले चरण में 65 गौठान निर्माण की अनुमति दी गयी थी। जिसकी संख्या बढक़र अब 554 हो गयी है। जिसमें से वर्तमान में 305 पूर्ण, 202 प्रगतिरत् और 44 गौठान अप्रारम्भ है। जिले में 17 से अधिक आदर्श गौठान बन गए हैं। गरवा कार्यक्रम के तहत् महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत में गौठान बनने से मवेशियों को आश्रय मिला है और अब सडक़ों पर मवेशियों का विचरण कम हुआ है। गौठानों में ग्रामीणों द्वारा चारे के दाने के साथ.साथ मवेशियों के उचित प्रबंधन, देखरेख के लिए ग्राम स्तर पर गौठान प्रबंधन समिति का चयन किया गया है। जिनके द्वारा गौठान का संचालन किया जा रहा है।

इसी तरह नरवा के तहत् जिले को तीन सेक्टरों में बांटा गया है। इसके अंतर्गत 84 नरवा का डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर लिया गया। जिसमें नालों की मरम्मत की गयी। जिसके अंतर्गत 1 लाख, 33 हजार, 681 हेक्टेयर केचमेन्ट एरिया आता है। उक्त नरवा उपचार क्रियान्वयन हेतु 70 नरवा का डीपीआर तैयार किया गया। अब नरवा में वर्षा के बाद भी दो माह तक पानी भरा रहता है। जिससे जल संरक्षण एवं जल संवर्धन भी बड़ा है। इन कार्य से आसपास के क्षेत्र में हरियाली है।

गौठानों में पशु अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन कर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद के साथ ही विभिन्न प्रकार के आर्थिक गतिविधियां संचालित है। ग्राम गौठान प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा गौठान का संचालन करने से अब मवेशियों से फसल सुरक्षित होने से किसान भी निश्चिंत है। साथ ही दुर्घटनाओं में भी कमी आयी है। मवेशियों के चराई हेतु जिले में कुल 1115 एकड़ में 296 चारागाह के लिए राशि स्वीकृत की गयी है। इनमें 112 पूर्ण, वही 88 प्रगतिरत् है। शेष अप्रारम्भ है। जिले के 139 गौठानों में पशुओं के पौष्टिक हरे चारे के लिए 6 लाख, 32 हजार, 400 नेपियर रूट की व्यवस्था की गयी है। जो चयनित गौठानों में उपलब्ध जमीन उपलब्धता के आधार पर कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा 22 गौठानों में 1 लाख, 36 लाख नेपियर रूट चारा उत्पादन की व्यवस्था की गयी है।

इसके अलावा स्वयं की व्यवस्था से 7 गौठानों में 46,400 नेपियर रूट लगाया गया। तो वही पशुधन विभाग द्वारा 110 गौठानों में 4 हजार नेपियर रूट चारा उत्पादन की व्यवस्था की गयी है। इसके साथ ही मनरेगा अंतर्गत 122 नवीन चारागाह रकबा 256 एकड़ स्वीकृत किया गया है। जिसमें 13 लाख नेपियर रूट लगाने की कार्ययोजना है। ताकि मवेशियों को पूरे वर्ष हरे चारे की उपलब्धता हो सके। यह योजना पूरें प्रदेश में लागू है। बाड़ी लगाने के लिए मनरेगा से सहायता दी जा रही है। स्वसहायता समूहों को महिला एवं समाज कल्याण की ओर से मदद दी जा रही है। ग्रामीण खुद ही आगे बढक़र मदद कर रहे हैं। गांवों में आवारा मवेशियों की समस्या कम हो गयी है। इसलिए किसान दूसरी एवं तीसरी फसल लगाने को लेकर उत्साहित हंै।


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