रायपुर प्रेस क्लब में निकष परमार के काव्य संग्रह का हुआ विमोचन व काव्यपाठ
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 जून। प्रेस क्लब में हुए गरिमामय कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार निकष परमार के काव्य संग्रह हम कोई रास्ता न बन पाए के विमोचन के मौके पर व काव्यगोष्ठी भी हुई।
मुख्य अतिथि, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने पत्रकारिता में संवेदना की आवश्यकता का जिक्र करते हुए कहा कि पहले साहित्यकार ही पत्रकार भी हुआ करते थे, क्योंकि पत्रकारिता के लिए जो संवेदना चाहिए वह साहित्यकारों के पास होती है। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने कहा राजनीति में अगर चुटकी भर साहित्य मिला दिया जाए तो सोने में सुहागा हो जाए।
किताब के प्रकाशक वैभव प्रकाशन के सलाहकार, कल्याण कॉलेज भिलाई में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि हर माह कई किताबें प्रकाशित होती हैं। उनमें से कुछ किताबें ऐसी होती हैं जिनके लिए प्रकाशक स्वयं अतिरिक्त श्रम करता है। यह किताब इसी श्रेणी की है। उन्होंने निकष परमार की एक कविता का जिक्र किया और याद किया कि उनके पिता नारायणलाल परमार ने भी इसी विषय पर एक कविता लिखी थी। दोनों की अपनी अपनी संवेदनाएं हैं।
वरिष्ठ पत्रकार समीर दीवान ने किताब की भूमिका में लिखी पंकज झा की लिखी इस बात से सहमति जताई कि अगर आप सुविधाभोगी हैं तो ये कविताएं आपको अपराधवोध का अहसास कराती हैं।
कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्यकार व भाषाविद डा. चितरंजन कर ने कहा कि सरल रेखा खींचना सबसे कठिन होता है। इसी तरह सरल लिखना भी कठिन होता है। इस संग्रह की कविताएं ऐसी ही सरल कविताएं हैं।
आभार प्रदर्शित करते हुए प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने कहा कि हम ऐसे साहित्यिक आयोजनों का सिलसिला जारी रखेंगे। कार्यक्रम का संचालन निश्चय बाजपेयी ने किया।
कार्यक्रम में प्रेस क्लब के महासचिव डॉ. वैभव पाण्डेय, विनय शर्मा, उचित शर्मा, प्रकाश शर्मा, विजय मिश्रा, अजित परमार, शाश्वत शुक्ल, रेणु नंदी, अमृता शर्मा, अनिरुद्ध दुबे, डा. विजय कापसे, डा. चंद्रकांत वाघ, हरिप्रकाश वत्स, राजेश गानोदवाले, सौरभ शर्मा, श्याम कश्यप, जान राजेश पॉॅल, ठाकुरराम यादव, असगर खान, विजय कुमार, शिवम विश्वकर्मा, प्रणेश सिंह, रमन हलवाई, मनोज देवांगन, नागेंद्र वर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे।