महिलाएं और दिव्यांग साथी भी शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 25 जून। बस्तर जिले के स्कूल, आश्रम व छात्रावासों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वर्षों से अपने नियमित वेतनमान और नियमितिकरण की माँग को लेकर संघर्षरत हैं। अब इस माँग को लेकर बस्तर जिला स्कूल, आश्रम, छात्रावास शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले कर्मचारियों ने एक बार फिर आंदोलन तेज कर दिया है।
संघ के सदस्य परमानंद मौर्य ने बताया कि यह पदयात्रा 1 जून से शुरू हुई थी, जिसमें अलग-अलग जिलों और गांवों से कर्मचारी सम्मिलित होते गए। दो जून को यह यात्रा कोंडागांव जिले के बनियागांव तक पहुँची थी। इस बीच कर्मचारियों ने अपने विभागीय अधिकारियों से लगातार संपर्क किया, लेकिन बार-बार प्रयास के बावजूद उनकी माँगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि कई बार मिलने के बावजूद सिर्फ आश्वासन मिला, कार्रवाई कुछ नहीं। इससे नाराज़ होकर आंदोलन को एक बार स्थगित किया गया था, लेकिन अब 24 जून से पुन: पदयात्रा शुरू की गई है, जो रायपुर विधानसभा घेराव तक जारी रहेगी।
2014 से सेवा में फिर भी नहीं मिला वेतनमान
परमानंद मौर्य ने बताया कि वर्ष 2014 में सीधी भर्ती के जरिए कई कर्मचारी नियुक्त हुए थे। इनमें से कुछ को नियमित वेतनमान दे दिया गया, जबकि 2018 में भी कई कर्मचारी इस प्रक्रिया से वंचित रह गए। कई कर्मचारी 10 साल की सेवा के बावजूद आज भी अनियमित स्थिति में कार्य कर रहे हैं, जो न्यायसंगत नहीं है।
महिलाएं, विकलांग कर्मचारी और
बच्चे भी कर रहे हैं संघर्ष
इस पदयात्रा की सबसे मार्मिक बात यह है कि इसमें महिला कर्मचारी, विकलांग साथी, छोटे बच्चे और यहाँ तक कि चार से छह महीने के दुधमुंहे शिशु भी शामिल हैं। एक महिला कर्मचारी ने बताया कि च्च्हम सिर्फ अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। हमारे पास बच्चों को घर पर छोडऩे का भी विकल्प नहीं है। उन्हें लेकर ही हम इस लंबी यात्रा पर निकले हैं।
विकलांग कर्मचारियों ने भी साफ कहा है कि यदि वर्षों की सेवा के बावजूद हमें सम्मानजनक वेतन और स्थायीत्व नहीं मिला, तो यह हमारे आत्म-सम्मान पर चोट है।
शासन-प्रशासन से अपील
संघ का कहना है कि यदि रायपुर पहुँचकर भी सरकार उनकी माँगों को नहीं मानती, तो वे अनिश्चितकालीन धरना देने को मजबूर होंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वे राजनीतिक या दलगत सोच से प्रेरित नहीं, बल्कि अपनी रोज़ी-रोटी और भविष्य के लिए यह संघर्ष कर रहे हैं।