ट्रम्प के इस बार राष्ट्रपति बनने के पहले दुनिया भला किसने यह सोचा था कि अंतरराष्ट्रीय संबंध, खासकर दोस्त देशों से बंदूक की नोंक पर दुबारा तय किए जा सकते हैं, और दुश्मनों को गले लगाया जा सकता है? लेकिन ट्रम्प है बड़ा मजेदार आदमी, वैसे तो वह परले दर्जे का घटिया, कमीना, और बदचलन इंसान है, बेदिमाग भी है, और बददिमाग भी, लेकिन वह जिस अंदाज में आज दुनिया को हांक रहा है, उस अंदाज में तो हिन्दुस्तान के किसी गांव में एक चरवाहा लाठी से जानवर भी नहीं हांक पाता, जानवर भी चरवाहे का विरोध करने के लिए दो पैरों पर खड़े होकर मरने-मारने को तैयार हो जाएंगे। आज दुनिया में चीन के अलावा एक भी देश ऐसा नहीं है जो ट्रम्प की आंखों में आंखें डालकर पहले कौन पलक झपकेगा जैसा मुकाबला कर रहे हो।
ट्रम्प ने दुनिया को चलाने के सारे नियम-कायदे बदल डाले, सबसे पहले उसने अमरीकी लोकतंत्र को गटर में डाला, दुनिया के बाकी देशों के बारे में खुलकर यह बयान दिया वे सब आकर अब उसका पिछवाड़ा चूमने वाले हैं। पिछली एक-दो सदी में दुनिया ने जो कुछ भी कूटनीतिक-शिष्टाचार सीखे थे, ट्रम्प ने उन सबको बेवकूफी का सामान साबित कर दिया, और इसके साथ-साथ अपने देश की संसद को भी एक पूरी तरह गैरजरूरी औजार बता दिया, देश की अदालतों से पेट भरकर टकराव मोल ले लिया, और अपने पहले सौ दिनों में अमरीकी संविधान के आपातकालीन प्रावधानों में से आठ का इस्तेमाल करके उसने अपने आपको दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह के अधिकार दे दिए, और मनमानी का लाइसेंस पा लिया। ट्रम्प की शक्ल में आज दुनिया में बिना वर्दी का सद्दाम हुसैन देख लिया, ईदी अमीन देख लिया, और उसकी मनमानी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को मासूम बच्चा साबित कर दिया। ट्रम्प ने एक बिफरे हुए साँड के अंदाज में दुनिया की शतरंज की बिसात को इस तरह उठाकर पलट दिया कि खेल के हाथी-घोड़े, ऊंट-प्यादे सब की हड्डियां टूटकर चकनाचूर हो गईं।
पूरी दुनिया के साथ कारोबार की शर्तें तय करते हुए ट्रम्प के सामने न अमरीकी संसद का कोई चेकपोस्ट है, न कोई मंत्रिमंडल है, और न ही कोई पार्टी है। बिना सत्तारूढ़ पार्टी के एक तानाशाह किस तरह अकेले ही दुनिया की सबसे बड़ी फौजी और आर्थिक ताकत को बुलडोजर की तरह दौड़ा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सदियों से स्थापित तौर-तरीकों को अवैध निर्माण की तरह गिरा दे रहा है। अब इतने विशेषण लिख देने के बाद कुछ तथ्य भी लिखना जरूरी है कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग को रोकने की घोषणा तो ट्रम्प ने चौबीस घंटे के भीतर की की थी, लेकिन अभी सौ दिन पूरे होने के बाद वह इसके करीब पहुंचते दिख रहा है। और इसके पीछे इन दोनों देशों से अमरीका के कारोबारी हितों की शर्त जुड़ी हुई है। ट्रम्प इस मामले में पूरी तरह बेशर्म है कि अमरीकी सरकार के हित क्या हैं, और उसकी पार्टी के सबसे बड़े दानदाता, दुनिया के सबसे दौलतमंद कारोबारी एलन मस्क के हित क्या हैं। सरकार और कारोबार के बीच की सीमा रेखा को ट्रम्प ने अपने बुलडोजर से पहले ही गिरा दिया है, इसलिए अब जब यूक्रेन के सामने अमरीका ने रूस के साथ युद्धविराम का दस्तावेज पेश किया है, तो उसमें यूक्रेन के खनिजों के आधे हिस्से को अमरीका के लिए हासिल करने की शर्त है। इसके साथ-साथ यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर अमरीका खर्च करेगा। जाहिर है कि इन दोनों ही कामों में अमरीकी खरबपति कारोबारियों के लिए खूब बड़े-बड़े मौके निकलेंगे, और ट्रम्प के करीबी मस्कों की चांदी होगी।
ट्रम्प ने वैसे एक कमाल तो किया है, उसने यह साबित कर दिया कि संयुक्त राष्ट्र बोगस संस्था है जिसकी कोई जरूरत नहीं है, यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की जरूरत नहीं है, किसी जलवायु समझौते की जरूरत नहीं है, अमरीकी संसद, अमरीकी अदालतों की कोई जरूरत नहीं है, कूटनीतिक रिश्तों की कोई भी जरूरत नहीं है। ट्रम्प ने यह साबित कर दिया है कि जरूरत दुनिया को बस अकेले ट्रम्प की है, और अमरीकी संविधान में राष्ट्रपति के लिए जो अधिकतम दो कार्यकाल तय किए गए हैं, उससे भी अधिक जरूरत ट्रम्प की है, और वह तीसरे कार्यकाल की चर्चा भी करने लगा है।