‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 जून। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी ने अनुकंपा नियुक्ति आदेश में 3 वर्ष के परिवीक्षा अवधि में रखे जाने एवं परिवीक्षाधीन अवधि के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में नियुक्त पद के वेतनमान के न्यूनतम का 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत एवं 90 प्रतिशत राशि स्टाइपेंड के रूप में देने के उल्लेख को गलत बताया है।
उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ने कोरोना काल में राज्य के बिगड़ते वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत छत्तीसगढ़ मूलभूत नियम के नियम 22 सी (1) में संशोधन करते सीधी भर्ती के पदों पर चयनित शासकीय सेवकों के लिए यह प्रावधान लागू किया है। अनुकंपा नियुक्ति में कोई सीधी भर्ती द्वारा चयनित नहीं होता है। अनुकंपा से नियुक्त शासकीय सेवक पर सीधी भर्ती से चयनित शासकीय सेवक का प्रावधान लागू नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग छत्तीसगढ़ शासन के आदेश 14 जून 2013 एवं 23 फरवरी 2019 के कंडिका-9 (1) एवं (2) में अनुकंपा नियुक्ति हेतु सीधी भर्ती की नियमित पद्धति से छूट रहने एवं सीधी भर्ती पर लागू प्रतिबंध में छूट रहने का उल्लेख है। इस आधार पर सीधी भर्ती के स्थिति में 3 वर्ष परिवीक्षा अवधि में रखे जाने एवं वर्षवार देय स्टाइपेंड का प्रतिबंध को अनुकंपा नियुक्ति में लागू नहीं होना चाहिए।
फेडरेशन के प्रांतीय महामंत्री सतीश ब्यौहरे का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति में छूट देकर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ने कोरोना महामारी में दिवंगत शासकीय सेवकों के परिवार को सहारा दिया है, लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा अनुकंपा नियुक्ति को परिवीक्षा अवधि कार्यकाल सहित मान्य किया जा रहा है।
उनका कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति को परिवीक्षा अवधि एवं स्टाइपेंड सहित कार्यकाल के रूप में मान्य किया जाना अनुचित है, क्योंकि वित्त विभाग के अधिसूचना 28 जुलाई 2020 में यह लिखा है कि सीधी भर्ती के पदों पर चयनित शासकीय सेवकों को तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि में स्टाइपेंड देय होगा। गौरतलब है कि अनुकंपा नियुक्ति में कोई चयनित नहीं होता है। अनुकंपा नियुक्ति सीधी भर्ती के न्यूनतम नियमित पदों पर किया जाता है, लेकिन यह नियुक्ति सीधी भर्ती के प्रक्रिया अंतर्गत नहीं होता है।
फेडरेशन ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग को ई-मेल द्वारा विस्तृत पक्ष रखकर नियमों के प्रकाश में दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
छग प्रदेश शिक्षक फेडरेशन राजनांदगांव के जिलाध्यक्ष मुकुल साव, जिला महामंत्री पीआर झाडे, सदस्य बृजभान सिन्हा, एफआर वर्मा, वायडी साहू, जनक तिवारी, संजीव मिश्रा, भूषणलाल साव, रंजीत सिंह कुंजाम, जितेन्द्र बघेल, संगीता ब्यौहरे, नीलू झाड़े, सीमा तरार, अभिशिक्ता फंदियाल, मालती टंडन, सीएल चंद्रवंशी, देवचंद बंजारे, शिवप्रसाद जोशी, ईश्वर टंडन, अब्दुल कलीम खान, सोहन निषाद, मुकेश शुक्ला, एचके सोनसारवां, बीके गुप्ता एवं साथियो ने भी फेडरेशन की इस मांग का समर्थन किया है।