‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागंाव, 14 नवम्बर। औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती हेतु देश का पहला स्वामीनाथन इंडिया एग्री बिजनेस अवार्ड-2022 गत 9 नवम्बर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) पूसा के शिंदे आगरा ऑडिटोरियम में भारतीय कृषि और खाद्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम ग्रोवर्ल्ड -2022 में प्रदान किया गया।
यह प्रतिष्ठित अवार्ड देश के कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान, डॉ. विलियम डार कृषि-सचिव, फिलीपींस, के हाथों, डॉ.अशोक दलवई अध्यक्ष किसानों की आय दोगुनी करने हेतु गठित भारत सरकार की टास्क फोर्स, प्रोफेसर रमेश चंद्र सदस्य नीति आयोग, हरियाणा के कृषि मंत्री दलाल, एम. मुथू अध्यक्ष रोमन फोरम रोम इटली, डॉ एमजे ख़ान चेयरमैन इंडियन चेंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर आदि की उपस्थिति में चौम्फ के राष्ट्रीय चेयरमैन कोण्डागांव डॉ. राजाराम त्रिपाठी को प्रदान किया गया।
चौम्फ मुख्य रूप से जैविक औषधीय व सुगंधीय पौधों के किसानों की अलाभकारी राष्ट्रीय संस्था है जो कि, मूलत: सहकारिता के सिद्धांत पर कार्य करती है।
इसकी विधिवत शुरुआत सन 2002 में छत्तीसगढ़ से हुई। पूरे देश में यह संस्था जैविक, हर्बल खेती के विकास, विस्तार, नवाचार, प्रशिक्षण, किसानों के लिए किसानों के द्वारा उच्च गुणवत्ता के बीज और प्लांटिंग मैटेरियल बैंक के विकास के कार्यों में लगातार लगी हुई है। इस संस्था का सबसे महत्वपूर्ण कार्य अपने सदस्य किसानों के द्वारा उगाए गए जैविक उत्पादों को एक सशक्त साझा विपणन प्लेटफार्म देना है। जिससे कि, जैविक जड़ी बूटियों, सुगंधीय पौधों, मसालों की खेती करने वाले किसानों को उनके कृषि उत्पादों का सही मूल्य प्राप्त हो सके और उन्हें बिचौलियों और बाजार की ताकतों के शोषण से बचाया जा सके।
वर्तमान में इस संस्था से देश के 16 राज्यों के लगभग 34000 जैविक किसान सीधे जुड़े हुए हैं, और इसके जैविक जागरूकता व उच्च लाभदायक कृषि विस्तार के कार्यक्रमों से देश के लाखों किसान लाभ उठा रहे हैं। इसके राष्ट्रव्यापी कार्यों के महत्व को देखते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने सन 2005 में इस संस्था को जैविक किसानों की राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्रदान की। आज यह अपने तरह की जैविक हर्बल किसानों की देश की सबसे बड़ी संस्था है।
बस्तर और छत्तीसगढ़ के लिए यह विशेष हर्ष का विषय है कि, अवार्ड हेतु चयनित इस राष्ट्रीय संस्था की शुरुआत छत्तीसगढ़ के केाण्डागांव बस्तर के किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा ही किया गया था। डॉक्टर त्रिपाठी ने हर्बल की खेती की ढेर सारी परेशानियों तथा मुख्य रूप से इसके विपणन में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए अपने मु_ी पर किसान साथियों के साथ बहुत ही सीमित साधनों से इसकी शुरुआत की थी। 20 वर्षों के बाद वहीं नन्ही सी संस्था एक विशाल वटवृक्ष में बदल गई है। क्योंकि इस संस्था का जन्म छत्तीसगढ़ के बस्तर से हुआ इसलिए चौम्फ को यह शीर्ष पुरस्कार प्राप्त होने से देश भर में फैले चौम्फ के सदस्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ तथा विशेष रूप से बस्तर के लोगों में भी बड़ा हर्ष व्याप्त है। इसके साथ ही देश विदेश से भी बधाई संदेश आ रहे हैं।