‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 28 अक्टूबर। लोक आस्था और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ हर्षोल्लास के वातावरण में संपन्न हुआ। जिलेभर में तडक़े सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब विभिन्न तालाबों, नदियों और जलाशयों की ओर उमड़ पड़ा। नगर के प्रमुख बंधा तालाब घाट पर सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली, जहां हजारों की संख्या में व्रतधारी महिलाएं और श्रद्धालु एकत्र हुए।
छठ महापर्व के अंतिम दिन प्रात:कालीन अघ्र्य का विशेष महत्व होता है। सुबह होते ही व्रतधारी महिलाएं साड़ी में पारंपरिक श्रृंगार कर सूप में ठेकुआ, केला, नारियल और अन्य प्रसाद सामग्री लेकर घाट पर पहुंचीं। उन्होंने सूर्य देवता को जल अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि, निरोग जीवन और समाज के कल्याण की कामना की। इस दौरान छठी मैया के जयकारे और भक्ति गीतों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
बंधा तालाब घाट को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। जगह-जगह रंगीन तोरण द्वार, झालरों और दीपों से पूरा परिसर प्रकाशमान नजर आया। महिलाओं ने पारंपरिक परिधानों में छठी माता के गीतों पर सामूहिक रूप से भक्ति रस में डूबकर पूजा-अर्चना की। घाट पर स्थानीय कलाकारों ने भजन-कीर्तन भी प्रस्तुत किए, जिससे वातावरण और भी भक्तिमय हो उठा।
व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम
छठ पर्व को देखते हुए प्रशासन और नगर पालिका द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई थीं। घाटों की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, पेयजल और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। पुलिस प्रशासन द्वारा भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था के लिए अतिरिक्त बल तैनात रहा। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मी भी घाटों पर मौजूद रहीं।
ग्रामीण इलाकों में भी रहा उल्लास
केवल नगर ही नहीं, बल्कि जिले के ग्रामीण अंचलों में भी छठ पूजा पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई गई।
फरसगांव, केशकाल और कोंडागांव ब्लॉक के अन्य गांवों में भी श्रद्धालुओं ने तालाबों और नदी किनारे अघ्र्य अर्पित किया।
आस्था, एकता और समर्पण का प्रतीक पर्व
छठ महापर्व को लोक आस्था और पर्यावरण से जुड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें सूर्य देव और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। कोंडागांव में इस पर्व ने सामाजिक एकता, पारिवारिक समरसता और श्रद्धा की मिसाल पेश की।
उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही व्रतधारियों ने अपने परिवार, समाज और देश की उन्नति की कामना करते हुए छठ महापर्व का समापन किया। इस दौरान घाटों से लौटते समय श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति, संतोष और प्रसन्नता की झलक साफ दिखाई दी।