कोण्डागांव

दंतेश्वरी माई के दर्शन करने जा रही राजमाता फुलवादेवी कांगे का आदनबेड़ा में स्वागत
10-Apr-2023 9:33 PM
दंतेश्वरी माई के दर्शन करने जा रही राजमाता फुलवादेवी कांगे का आदनबेड़ा में स्वागत

आदिवासी किसान सैनिक संस्था के 18 सौ सदस्य माई के दर्शन करने निकले

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
केशकाल, 10 अप्रैल।
मांझी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था द्वारा समय-समय पर बालोद जिले के ग्राम बाघमार से दंतेवाड़ा धाम यात्रा निकाली जाती है। क्रांतिवीर कंगला मांझी सरकार पर माता की विशेष कृपा रही है, इसीलिए समय-समय पर माता के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु दंतेवाड़ा धाम यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान संस्था के अध्यक्ष राजमाता फूलवादेवी कांगे नई दिल्ली और संस्था के उपाध्यक्ष केडी कांगे भी शामिल हैं। 

सोमवार को करीब 30 बसों और 50 से अधिक छोटी वाहनों के साथ 18 सौ लोग इस यात्रा में शामिल हंै और सोमवार दोपहर यहां यात्रा केशकाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम आदनबेड़ा पहुंचीं। इस दौरान सभी लोग भोजन करने के पश्चात दंतेवाड़ा के लिए रवाना हुए। 

छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में भी हमारे संस्था के हजारों सदस्य हैं - राजमाता फुलवादेवी
इस संबंध में जानकारी देते हुए संस्था की अध्यक्ष राजमाता फूलवादेवी कांगे ने बताया कि श्री कंगला मांझी ने देश की आजादी के समय आदिवासियों के लिए काफी संघर्ष किया है। देश की आज़ादी में उन्होंने अनेक आंदोलन कर अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में हमारी संस्था के हजारों सदस्य उनके के बताए मार्गों पर चल रहे हैं। हम सदैव आदिवासियों के हित के लिए कार्य करते हैं। जहां आदिवासियों के साथ अन्याय होता है अथवा उनके अधिकारों का हनन होता है। वहां हमारी संस्था उनके साथ खड़ी रहती है। साथ ही आदिवासियों के बीच जाकर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढऩे हेतु प्रेरित करने, आर्थिक रूप से मजबूत करने, संगठन में एकता लाने समेत अनेक कई प्रकार से जन जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

मूल परंपरा को बचाए रखना हमारा कर्तव्य
धर्मांतरण के मुद्दे पर राजमाता फुलवादेवी कांगे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी कई दशकों से अपने आराध्य देवी-देवताओं के प्रति आस्था रखते आ रहे हैं। 

यदि वही लोग किसी दूसरे धर्म को मानने लगेंगे तो हमारी मूल परम्परा खत्म हो जाएगी। उन्होंने नई पीढ़ी से आग्रह किया कि वर्षों से हमारे पूर्वज जिस धर्म व जिन देवी देवताओं को मानते आए हैं हम भी उन्हीं का पालन करें। तभी हमारी संस्कृति व परम्पराओं की रक्षा होगी और हमारा समाज भी आगे बढ़ेगा। इसलिए धर्मांतरण नहीं करना चाहिए ।


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