‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 30 अगस्त। बलौदा बाजार जिला के तीन तहसील जहां सिंचाई की व्यवस्था कम होने से वहां की खेती वर्षा पर ज्यादा आधारित है जिसके कारण 70 फीसदी खेती कम पानी के कारण पौधे बढ़ नहीं रहे हैं और मात्र जीवित है। जिसमें भाठापारा, सिमगा, बिलाईगढ़ शामिल हैं।
इसी तरह कसडोल तहसील के कुल कृषि रकबा के करीब 14 हजार हेक्टे,फसल जो पूर्णत: असिंचित है बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है, इसमें सोनाखान अर्जुनी महराजी इलाका के 30 गांव राजादेवरी क्षेत्र के 42 गांव तथा वन परिक्षेत्र अभ्यारण्य क्षेत्र के 20 गांव और सिरपुर मार्ग के 15-20 गांव प्रभावित हैं। अगर सप्ताह भर के भीतर अच्छी बारिश हो जाये तो थोड़ी बहुत स्थिति में सुधार हो सकता है मगर इसकी सम्भवना इस लिये कम है क्योंकि पिछले 48 दिनों से एक बार भी अच्छी बारिश कही नहीं हुई, जिससे खेतों में दरारे के साथ नमी भी खत्म हो गया और खेतों में खतपतवार भी भारी मात्रा में उग गए है।
खरीफ फसल के 9 नक्षत्र में मघा नक्षत्र को वर्षा का नक्षत्र हिन्दू पंचांग में माना गया है। इस नक्षत्र में घनघोर बारिश का योग रहता है, जो इस साल मघा 16 अगस्त 2021 से 29 अगस्त तक कहीं थोड़ी बहुत रिमझिम बारिश के बाद पर्याप्त बारिश नें किसानों को दगा दे दिया है। वही खण्ड वर्षा से किसान चिंतित है और यही हाल रहा तो फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा। किसानों का कहना है कि निश्चित ही खण्ड वर्षा के कारण फसल के बढ़वार में कमी है और अगर जल्दी बारिश नहीं हुई तो असिंचित क्षेत्रों में फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा जिससे किसानों काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जिले के 6 तहसीलों में खरीफ फसल रकबा सिंचित, असिंचित तहसील भाठापारा में खेती 29011 है,10394 है सिंचित जबकि 18 617 हेक्ट असिंचित इसी तरह 41146 हेक्टर की खेती जिसमें 14 368 हेक्टर ही सिंचित जबकि26778 हेक्टर असिंचित, बिलाईगढ़ 38190 हेक्टर खेती जिसमें मात्र 7226 हेक्टर ही सिंचित है यहां करीब 31 हजार हेक्टर असिंचित, ंबलौदाबाजार 41020 हेक्टर की खेती, जिसमें 32616 सिंचित यहा करीब 9 हजार हेक्टरयर असिंचित ,पलारी 42970 हेक्टर खेती, जिसमें 39035 सिंचित खेती यहां मात्र 3 हजार ही असिंचित खेती इसी तरह कसडोल 42390 हेक्टर खेती जिसमे 28500 हेक्टर खेती सिंचित लगभग 14 हजार हैक्टर असिंचित जो वर्षा पर निर्भर कर रहा है।
किसान फसल चक्र अपनाकर खेती में लाभ कमा सकते हंै-पैकरा
कृषि अफसर एसआर पैकरा ने कहा कि खेती में बारिश की वजह से नुकशान उठाने वाले किसान फसल चक्र अपना कर खेती का घाटा को लाभ में बदल सकता है। उन्होंने कहा कि धान की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है और अधिकांश किसान भाठा भर्री को भी खेत बनाकर उसमें धान बोता है और कम पानी की वजह से वहां फसल नहीं होता, जिससे किसानों को काफी नुकशान होता है ऐसे में किसान खेती के नुकशान से बचने दलहन तिलहन की खेती कर लाभ कमा सकता है। यहां पर कम पानी की जरूरत होती है और अच्छा फसल भी जिससे किसानों को लाभ होगा।
वहीं श्री पैकरा ने कहा कि इस बार खण्ड वर्षा की स्थिति बनी हुई है और 10 जुलाई के बाद से अच्छी बारिश नहीं हुई है। मगर नहरों जलाशय के साथ अन्य स्रोतों से ज्यादा से ज्यादा खेतों को सिंचाई की जा रही है वही असिंचित खेतों में पौधों की बढ़वार प्राभवित हुआ है, जो पानी की कमी के कारण है।