बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 31 अगस्त। सोनाखान परिक्षेत्र के कूकरीकोन्हा बीट कक्ष क्रमांक 313 के जंगल सिद्ध खोल जलप्रपात में पहुंचा 4 हाथियों का दल अंतत: जारी लगातार बचाव अभियान के बाद कोठारी अभ्यारण्य के घने जंगल में वापस पहुंच गया है।
सिद्धखोल जलप्रपात के नजदीक 29 अगस्त की शाम को अचानक 4 हाथियों का दल देखा गया। सिद्ध खोल जलप्रपात में रविवार को पर्यटकों की खासी भीड़ रहती है। शाम 4 बजे करीब सिद्धखोल जलप्रपात के समीप हाथियों को देख लोगों में खलबली मच गई। सभी बदहवास स्थल छोड़ भागे। शाम 5 बजे वन कर्मचारियों की टीम सिद्धखोल पहुंची। वन परिक्षेत्र अधिकारी सोनाखान गोविंद सिंह राजपूत ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि रेस्क्यू टीम ने रात को बलार जलाशय के जंगल में रेस्क्यू किया। रेस्क्यू टीम लगातार निगरानी में लगी थी। हाथियों का दल पुन: गांव की ओर जाने को थी, जिसे 30 अगस्त की रात को वन परिक्षेत्र कोठारी अभ्यारण्य के जंगल में भेजा गया है।
कोठारी जंगल बना हाथियों का स्थायी निवास
बलौदाबाजार वन मंडल का उपवनमण्डल कसडोल क्षेत्र में घने जंगलों के विस्तृत और आपस में सटे कई परिक्षेत्र हैं, जिसमें सामान्य परिक्षेत्र सोनाखान, अर्जुनी, देवपुर, बिलाईगढ़, लवन परिक्षेत्र के अलावा अभ्यारण्य कोठारी तथा बारनवापारा एवं वन विकास निगम रवान शामिल हैं।
विगत 3-4 साल से इसीलिए कोठारी के घने जंगल को करीब 17 हाथियों का दल अपना सुरक्षित स्थायी निवास बना लिया है, जहां से न सिर्फ सटे 100 गांव ही नहीं बल्कि महासमुंद-गरियाबंद के जंगलों में भी चले जाते हैं। जिससे कुल मिलाकर उक्त क्षेत्रों के सैकड़ों गांवों में हाथियों की दहशत रहती है। लोग जान माल की चिंता से ग्रसित हैं और कई घटनाएं भी हो चुकी हंै।