सरकारी वस्त्र खरीद नीति में बदलाव से गुस्साए बुनकर, आंदोलन की राह पर
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
कुरुद, 18 नवंबर। सरकारी वस्त्र खरीद नीति की लापरवाही से राज्य के 70 हजार बुनकरों की आजीविका पर संकट छा गया है। पहले शासकीय विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में उपयोग होने वाले वस्त्र स्थानीय बुनकरों द्वारा तैयार किये होते थे, लेकिन अतिरिक्त आय की चाह में जिम्मेदार लोग राज्य से बाहर के पावरलूम निर्मित वस्त्र खरीद रहे है। जिससे स्थानीय बुनकरों के हक पर सीधा हमला हो रहा है। इंसाफ की गुहार लगाते हुए प्रदेश के बुनकरों ने आपात बैठक कर सरकार से पांच सुत्रीय मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
छत्तीसगढ़ बुनकर शिल्पी संघ ने इस मुद्दे को लेकर हुए बैठक की जिसमें सभी बुनकरों ने सरकारी नीति विसंगति और लापरवाही की आलोचना करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। छत्तीसगढ़ बुनकर शिल्पी संघ प्रदेश सचिव कुरुद निवासी अवधराम देवांगन ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के भण्डार क्रय नियम 8(3) में सभी शासकीय विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में उपयोग होने वाले वस्त्र एवं रेडिमड गारमेंट्स की पूर्ति छत्तीसगढ़ राज्य के बुनकरों द्वारा उत्पादित हाथकरघा एवं खादी वस्त्रों से ही किया जाने का प्रावधान है।
हाथकरघा वस्त्रों की आपूर्ति हेतू छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित रायपुर को नोडल एजेंसी अधिकृत किया गया है। खादी वस्त्रों की आपूर्ति हेतू छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड को अधिकृत किया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये गये है, कि उपरोक्त दोनों नोडल एजेंसी शासकीय विभागों को केवल उन्ही वस्त्रों की आपूर्ति करेंगे जो केवल राज्य के बुनकरों द्वारा निर्मित हो।
इस नियमों एवं निर्देशों का उद्देश्य था कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत 70 हजार बुनकरों को नियमित रोजगार का साधन उपलब्ध हो सके। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है- सरकारी विभाग खादी बोर्ड से बाहर के राज्यो के पावरलूम निर्मित वस्त्र खरीद रहे है। जिससे यह साफ होता है कि सरकारी वस्त्र खरीद नीति का उद्देश्य पूरी तरह से विफल कर दिया गया है। यह सीधे साधे छत्तीसगढ़ के बुनकरों की आर्थिक हत्या है। संघ अध्यक्ष विशाल राम देवांगन ने कहा कि प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस, चिकित्सा, वन, स्कूल शिक्षा, जेल एवं अन्य विभागों को बड़ी मात्रा में वस्त्रों की आवश्यकता होती है।
इन विभागों से पूर्व के वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ मर्यादित रायपुर को निरंतर वस्त्र आपूर्ति हेतू मांग आदेश प्राप्त हो रहा था, जिससे हाथकरघा संघ से संबद्ध 329 बुनकर सहकारी समितियों के 13500 करघों पर शासकीय वस्त्रों के उत्पादन एवं संबद्ध कार्य में 70 हजार लोगों को नियमित वस्त्र बुनाई रोजगार प्राप्त होता था। लेकिन पिछले कुछ समय से इन विभागों द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध आपूर्तिकर्ताओं से वस्त्र खरीदी कर राज्य के बुनकरों को नजर अंदाज किया गया जिससे बुनकरों के आय एवं रोजगार पर गंभीर असर पड़ा है।
उपाध्यक्ष शैलेश देवांगन ने बताया कि वर्तमान में हाथकरघा संघ के माध्यम से बुनकरों को केवल स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूल गणवेश वस्त्रों की आपूर्ति का आदेश प्राप्त हो रहा है। अन्य विभागों से वस्त्र आपूर्ति आदेश हाथकरघा संघ को नही मिलने से प्रदेश के कंबल, चादर, दरी, टाटपट्टी, मच्छरदानी, गाज- बेण्डेज इत्यादि उत्पादक 5000 से अधिक कुशल बुनकर पहले ही बेरोजगार हो गये है। स्कूल शिक्षा विभाग को प्रति वर्ष 55 -60 लाख गणवेश लगता है जिसके लिए 150-160 लाख मीटर कपड़ों की आवश्यकता होती है। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है कि इस वर्ष स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा स्कूल गणवेश का 50 प्रतिशत आपूर्ति का मांग आदेश छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड को दिया गया है।
चूंकि वर्तमान में खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड में मात्र 85 करघे कार्यरत है। जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता मात्र 8-10 हजार मीटर है। इतनी कम उत्पादन क्षमता के बावजूद लाखों मीटर के आर्डर खादी तथा ग्रामोद्योब बोर्ड को गणवेश वस्त्र आपूर्ति का मांग आदेश देना स्थानीय हाथकरघा बुनकरों को काम से वंचित करने की सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है। यह निर्णय पूरी तरह से गैरव्यहारिक, अन्यायपूर्ण, और बुनकर विरोधी है।
कोषाध्यक्ष लखनलाल देवांगन ने कहा कि स्कूली गणवेश हेतु राज्य के बाहर के पावरलूम निर्मित वस्त्र खरीदा जा रहा है। सांठगांठ कर उनके द्वारा पूर्व में भी विभिन्न शासकीय विभागों को अन्य प्रदेशों के पावरलूम निर्मित वस्त्र आपूर्ति किया गया। जिसकी शिकायत संबंधित विभाग को किया गया है। सचिव एआर देवांगन ने बतलाया कि इसमें जल्द सूधार नहीं हुआ तो राज्य के वास्तविक हाथकरघा वस्त्र उत्पादक 70 हजार बुनकर जिनमे बड़ी संख्या महिला एवं वंचित वर्ग से है के स्थायी रोजगार छीने जाने का खतरा उत्पन्न होगा, तब बुनकर रोजगार के लिए पलायन के लिये मजबूर होंगे। पूर्व की भांति शतप्रतिशत गणवेश वस्त्र के आदेश शिक्षा विभाग से प्राप्त करने के लिये राजनांदगांव, दुर्ग, बालोद, धमतरी, रायपुर, कांकेर, जांजगीर चांपा, रायगढ़, बिलासपुर सहित महेन्द्र देवांगन, चूडामणि, देवलाल, लोमश, मिश्रीलाल, कामता, चेतन देवांगन सहित राज्य भर के 300 बुनकर प्रतिनिधियों ने 17 नवम्बर को दुर्ग में आपात बैठक कर सरकार को अंतिम चेतावनी देने के लिए एकत्र हुए। जिसमें बुनकरों ने अपनी 5 मांगे रख समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।