गांव की पहचान अब सब्जी उत्पादक के रूप में बन रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 सितंबर। जिले मे उत्पादित फल व सब्जी की प्रदेश से बाहर भारी मांग है। जिले के कई गांव के किसान मुनाफा व मांग को देखते हुए धान की खेती छोडक़र सब्जी व फल की पैदावारी करने लगे हंै।
नांदघाट तहसील का गांव टेमरी भिंडी फसल के लिए हब बन चुका है। गांव के सैकड़ों किसान दोनों सीजन में कुल 800 एकड़ से अधिक रकबा में भिंडी की खेती कर रहे हैं। इस गांव में जैविक खेती व लाल भिंडी का उत्पादन करने की तैयारी हो रही है। यहां की भिंडी की मांग महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के कई जिलों में है। टेमरी की भिंडी सब्जी बाजार का ब्रांड बन चुकी है।
दूसरे प्रदेशों से भिंडी खरीदने आ रहे कारोबारी
सरपंच शिवमूर्ति कोशले, संतोष साहू व परमेश्वर बघेल ने बताया कि दूसरे प्रदेशों से व्यापारी यहां भिंडी खरीदने के लिए आते हैं। भिंडी की मांग को देखते हुए किसान रबि सीजन में करीब 100 एकड़ व खरीफ सीजन में 700 हेक्टेयर में इसकी खेती कर रहे हैं। गांव की पहचान भिंडी उत्पादन से होने लगी है। राज्यपाल रमेन डेका ने ग्राम टेमरी को गोद लिया है। राज्यपाल ने गांव में भिंडी के खेती की संभावना को देखते हुए इसके उत्पादन पर बढा़वा देने पर जोर दिया है।
जिले के सब्जी उत्पादन के
लिए चर्चित गांव
भिंडी - टेमरी
सेमी - धिवरी
टमाटर - पथर्रीकला, पदुमसरा, खैरझिटी,
पदमी, सोनडोगरी,
केला- धोबनीकला, नवागांव, खैरझिटी
पपीता- सहसपुर, धोटवानी, चेचानमेटा, भेंडरवानी
केला व टमाटर की मांग दिल्ली तक
यहां के किसान सब्जी की खेती 19 हजार 594 हेक्टेयर मेें किया है, जिसका उत्पादन लगभग 3 लाख 50 हजार 914 टन है। भिंडी, टमाटर, सेमी, पत्ता गोभी, फूल गोभी का बेहतर उत्पादन होने के बाद जिला की पहचान वेजीटेबल हब के रूप में जाने जाना लगा है। यहां के टमाटर, केला, शिमला मिर्च, मुनगा व खीरा की मांग दिल्ली में भी होने लगी है।
रंगीन शिमला मिर्च की मांग पश्चिम बंगाल में भी
जिले में परंपरागत फसलों के अलावा किसान फल व सब्जी के उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। जिले में बीते वर्षों का रिकॉर्ड देखा जाए तो लगभग हजारों एकड़ में फल उत्पादन का रकबा बढ़ा है। इन दिनों उत्पादन की डिमांड दीगर प्रदेशों में हो रही है। किसान के उगाए रंगीन शिमला मिर्च और रंगीन फूलगोभी, टमाटर की ओडिशा, दिल्ली और महाराष्ट्र में काफी मांग है। केला झारखंड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश तक पहुंच रहा है। इसके अलावा बेमेतरा विकासखंड में विशेष रूप से पैदा होने वाली रंगीन शिमला मिर्च की सप्लाई मध्यप्रदेश व पश्चिम बंगाल तक में हो रही है।
27 हजार हेक्टेयर में खेती, उत्पादन 4 लाख 50 हजार टन पार, अधिक लाभ कमा रहे किसान
जिले के किसान हर्टीकल्चर की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। बीते डेढ़ दशक के दौरान कास्तकारी करने वाले किसान उन्नत हुए हैं। जिला में दोनों फसल सीजन 24-25 के दौरान फल की खेती 4531 हेक्टेयर में हुआ है जिसका उत्पादन 87 हजार 694 टन रहा है। जिला से पपीता, महाराष्ट्र, एमपी ,बंगाल व दीगर प्रदेशों में भी जा रहा है। साजा व बेरला क्षेत्र से पपीता कोलकाता, दिल्ली, आगरा व रांची में आपूर्ति हो रहा है।
किसान हो रहे आत्मनिर्भर
ज्ञात हो कि रंगीन फूल गोभी उत्पादन करने वाला यह एकमात्र जिला है। किसान विजय पटेल, गुडडा, तुलेश पटेल ने बताया कि दीगर फसलों की अपेक्षा फलों व सब्जियों के उत्पादन में किसानों को अधिक लाभ हो रहा है। वहीं उत्पादन को बेचने के लिए भी कम ही मशक्कत करनी पड़ती है। इसे देखते हुए किसानों की रुचि इस दिशा में हो रही है। बहरहाल जिले के फलों व सब्जियों को दीगर प्रदेशों में लोकप्रियता बढ़ गई है। इससे जिले के किसानों को नई दिशा मिली है व आत्मनिर्भर हो रहे हैं। वहीं जिला को एक नई पहचान भी मिल रही है।
हॉर्टिकल्चर खेती से लाभ अधिक
उद्यानिकी उपसंचालक हितेन्द्र मेश्राम ने कहा कि हॉर्टिकल्चर खेती से किसानों को अधिक लाभ हुआ है लाभ देख फसल लेने में किसान रूचि दिखा रहे हैं।