तोरेसिंहा सहकारी बैंक का मामला
कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
महासमुंद, 4 नवंबर। महासमुंद जिले के तोरेसिंहा सहकारी बैंक में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है। मिली खबर के अनुसार समिति प्रभारी, सुपरवाइजऱ और सहकारी बैंक के ब्रांच मैनेजर ने मिलकर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया है।
इन सभी ने मिलकर किसानों के केसीसी लोन के नाम पर किसानों के 1 से 3 एकड़ जमीन को बढ़ाकर 20 से 25 एकड़ तक बताई और उन किसानों के नाम पर करोड़ों रुपए केसीसी लोन निकाल लिया। इनमें से कई किसानों को पता ही नहीं है कि उनके नाम पर लाखों के लोन हंै। इस मामले में कलेक्टर विनय लंगेह ने जांच के आदेश दिए हैं।
मामला महासमुंद जिले के सराईपाली ब्लॉक के सेवा सहकारी समिति केना का है। जहां किसानों के रकबे में कूट रचना कर फर्जी ढंग से बढ़ाया गया और करोड़ों रुपए केसीसी लोन निकाला गया है। इस मामले में उक्त सहकारी समिति के प्रभारी, तोरेसिंहा ब्रांच के सुपरवाइजर और तोरेसिंहा ब्रांच मैनेजर सभी की संलिप्तता की बातें सामने आ रही हैं।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत यह केसीसी लोन फर्जीवाड़ा साल 2023-24 का है। हर साल किसान कृषि के लिये ऋण सहकारी बैंक से निकालते हैं और फसल कटाई के बाद ऋण की राशि बैंक को जमा करते हैं। इसके बाद फिर से दूसरे सीजन के लिये खाद, बीज तथा नगद रकम लेते हैं। बीते वर्ष का ऋण चुकता करने जब 1-2 किसान सहकारी बैंक केना पहुंचे तो उनके नाम पर पहले जमीन अधिक दिखाई दी। बाद में देखा कि उनके नाम पर लाखों रुपए का कर्ज है जिसकी जानकारी उन्हें है ही नहीं।
व्यथित किसानों ने अपने अन्य किसान मित्रों को इसकी जानकारी दी। जब बाकी किसानों ने भी अपना-अपना ऋण अकाउंट देखा तो उनके नाम पर भी लाखों का ऋण दिखाई दिया। वे समझ गये कि मामला गंभीर है और उनके नाम पर फर्जी तरीके से किसी और ने ऋण निकाला है। बगैर देरी किए इसकी शिकायत किसानों ने सहकारी बैंक से की। तब कहीं जाकर यह पता लग सका। इस मामले को लेकर कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने अनुविभागीय अधिकारी को जांच के निर्देश दिये हैं।
इस संबंध में कलेक्टर विजय कुमार लंगेह का कहना है कि मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सरायपाली को पूरे मामले की जांच करने निर्देश दिये गये हैं। जांच में जो सामने आयेगा। मामले में कार्रवाई की जायेगी।
किसानों का आरोप है कि उक्त सहकारी समिति के जिन किसानों के नाम पर 1 से 3 एकड़ तक खेती है उसे कूटरचना कर 20-25 एकड़ तक बढ़ाया गया और बढ़े हुए रकबे के हिसाब से केना सहकारी समिति,तोरेसिंहा सहकारी बैंक से केसीसी लोन निकाला गया है।
सहकारी समिति केना के कई किसानों ने बताया-हम लोन के लिए जाते हैं तो कई तरह के नियम कानून बताया जाता है। हममें से किसी को नहीं पता था कि 2023-24 केसीसी लोन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है। इस काम में केना सहकारी समिति के प्रभारी भीष्मदेव पटेल, तोरेसिंहा ब्रांच के तत्कालीन सुपरवाइजर श्याम सुन्दर पटेल, वर्तमान में पदस्थ सुपरवाइर राज कुमार प्रधान और तोरेसिंहा ब्रांच के ब्रांच मैनेजर युवराज नायक शामिल हैं। इन्हीं लोगों ने मिलकर फर्जीवाड़ा कर शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है और किसनों को बिना कर्ज लिए कर्जदार बनाया है।
शिकायत में कई किसानों ने उनके नाम भी बताया जिनके नाम पर खेती की जमींन कम है उसे कई गुना बढ़ाकर केसीसी लोन निकला गया है। प्रकरण क्रमांक 01 में सचिदानंद पिता बालमकुन्द प्रधान नानकपाली का है जिनके पास कुल खेती की ज़मींन 0.8000 हेक्टेयर यानी 02 एकड़ है जिसे बढ़ाकर 7.69 हेक्टेयर यानी 19 एकड़ किया गया और 2 लाख 03 हजार 016 रुपए नगद लोन निकाल लिया गया। जबकि किसान को लोन सम्बन्धी कोई जानकारी ही नहीं है और न ही किसान ने लोन के लिए आवेदन दिया था। न उसने विड्रॉल भरा और न ही वह बैंक गया। उसके बाद भी उसके नाम से लोन निकाल लिया गया। किसान सचिदानंद के नाम पर सहकारी केन्द्रीय बैंक शाखा तोरेसिंहा से केसीसी लोन निकाला गया है।
इसी तरह प्रकरण क्रमांक 2 में भीष्मनाद पिता ड्ग्रिीलाल ग्राम टेंगनापाली की 5 एकड़ 42 डिस्मिल जमीन को कूटनीति से 23 एकड़ करके दो लाख 43 हजर 9े36 रुपए निकाला गया है। प्रकरण 3 में गोपाल नायक पिता सुरेश नायक के 0.5400 एकड़ जमीन के बदले एक एकड़ 6 डिस्मिल बताकर 3 लाख 85 हजार 559 रुपए निकाला गया है। प्रकरण 4 में उमा पति वायसुदेव की 35 डिििस्मल जमीन को ज्यादा बताकर 3 लाख एक हजार 719 रुपए का लोन निकाल लिया गया। पांचवें प्रक्रण में उत्तर कुमर पिता श्या सुंदरभोई के 0.2400 हेक्टेयर मतलब 60 डिस्मिल जमीन के एवज में3 लाख 83 हजार 193 रुपए का लोन निकाला गया। इसी तरह लता पति गोवर्धन, पुष्पा पति ललित बिहारी जैसे 60-70 किसानों के खेती के रकबे में कूटरचना कर करोड़ों रुपए का लोन लिया गया है।
पता चला है कि कुछ किसान तो दूसरी समिति के हैं जिनके नाम से लोन केना समिति से पास हुआ है। साल 2023-24 में बैंक द्वारा एक हेक्टेयर में 26400 नगद और 17600 सामग्री के लिए कुल 44000 प्रति हेक्टेयर, अगर एकड़ में बात करें तो 17600 प्रति एकड़ के हिसाब से मिलता था। लेकिन कूट रचना कर इन किसानों का रकबा लगभग 20 से 25 एकड़ तक बढ़ाया गया और उस बढ़े हुए रकबे के हिसाब से केसीसी लोन निकाल लिया गया।
किसानों ने सवाल उठाया है कि सुपरवाइजऱ, जो ऋण के लिये प्राप्त कागजात को बारीकी से चेक करता है, बी वन भाग 2, किसान किताब, ऋण पुस्तिका में किसान के पास खेती की कितनी जमीन आदि को चेक करता है, वह ऋण पुस्तिका की जांच कर इसे बैंक के ब्रांच मैनेजर को भेजता है,इन मामलों की जानकारी क्यों नहीं हुई? सम्बंधित सहकारी समिति के बैंक के ब्रांच मैनेजर, सुपरवाइजर से मिले लोन के कागजात को फिर से चेक करता है, उसके बाद लोन पास करता है, वह किसान किताब, ऋण पुस्तिका ए बी वन भाग 2 को चेक करता है कि किसान के पास जमी कितनी है और इसी आधार पर उसे केसीसी लोन दिया जाता है।
मैनेजर को बढ़ी जमीन का रकबा क्यों नहीं पता चला?
किसानों का कहना है कि समिति प्रभारी किसानों के केसीसी लोन के लिए किसानों से कागजात लेता है जिसमें किसान किताब,ऋण पुस्तिका,बी वन भाग 2, आधार कार्ड, बैंक पासबुक होता है, बाद ऋण पत्रक भरकर सुपरवाइजर को देता है, उसने ऐसी गलती क्यों की? इसीलिए केना सहकारी समिति के किसानों ने आरोप लगाया है कि इस केसीसी लोन फर्जीवाड़े में तत्कालीन समिति प्रभारी भीष्मदेव पटेल, तत्कालीन सुपरवाइजर श्याम सुन्दर पटेल और वर्तमान सुपरवाइजर राज कुमार प्रधान और तोरसिंहा ब्रांच के बैंक मैनेजर युवराज नायक शामिल के खिलाफ जांच कर मामला दर्ज किया जावे।