कहा-नहीं माने तो धान खरीदी प्रशिक्षण का होगा बहिष्कार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 अक्टूबर। समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से इस साल धान खरीदी प्रारम्भ होनी है, लेकिन खरीदी शुरू होने से पहले ही सहकारी समितियों में कार्यरत समिति प्रबंधक, सहायक प्रबंधक, कर्मचारी, सेल्समेन और आपरेटरों ने आंदोलन कि तैयारी शुरू कर दी है। यदि ऐसा होता है तो एक बार फिर धान खरीदी प्रभावित हो सकती है।
शुक्रवार को छग सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ ने मोर्चा खोल दिया। कल शुक्रवार को कर्मचारियों और आपरेटरों ने 4 सूत्रीय मांगों को लेकर नगर में रैली निकाल प्रदर्शन किया। हड़ताल के चलते शुक्रवार को सभी समितियां बंद रही। किसान केन्द्रों में तो पहुंचे, लेकिन केन्द्र में ताला बंद रहने के कारण मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ा। लिहाजा इसके चलते धान बेचने के लिए किसानों का पंजीयन, कैरी फारवर्ड, ईआरपी का काम नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष विजय कोसरे ने बताया कि खरीफ वर्ष 2025.26 के लिए धान खरीदी कि तिथि 15 नवंबर तय है लेकिन सरकार के एक आदेश के अनुसार सरकारी अधिकारी को खरीद केन्द्रों में प्रभारी बनाने कि बात कही जा रही है जो न्यायोचित नहीं है जिसे लेकर संघ में असंतोष व्याप्त है।
संघ का मानना है कि सरकार धान खरीद के लिए स्पष्ट जवाबदारी तय करें जिससे पता चले कि धान खरीद के दौरान आने वाले समस्याओं के लिए जवाबदेही कौन होगा। धान खरीदी कि शुरुआती समय से लेकर अंतिम धान उठाव तक का जिम्मेदारी कौन लेगा यह समिति के लिए प्रश्नचिन्ह है।
डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया, जिस पर उन्होंने 3 नवंबर तक मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। इस पर संघ के जिलाध्यक्ष ने कहा कि यदि उनकी बातें नहीं सुनी गई तो आगामी धान खरीदी का बहिष्कार किया जाएगा। इस मौके पर तुलाराम ठाकुर, घनश्याम चौधरी, गुलाब नायक, संतोष साहू, ईश्वर पटेल, संतेोष पटेल, राजेश प्रधान शामिल थे।
संघ की प्रमुख मांगों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी वर्ष 2023-24 में धान परिदान पश्चात हुई संपूर्ण सूखत मान्य कर राशि समितियों को देते हुए धान खरीदी वर्ष कंडिका में परिवहन के बाद संपूर्ण समिति को दे। अथवा प्रत्येक सप्ताह संपूर्ण परिवहन हो। शून्य शार्टेज प्रोत्साहन का भी प्रावधान कर विभिन्न प्रदत्त कमीशन, प्रशांगिक सुरक्षा व्यय में बढ़ोतरी की जाए। मध्य प्रदेश सरकार की भांति शासकीय उचित मूल्य दुकान दारों के विक्रेताओं को प्रतिमाह 3000 रुपए दी जाए। अधिकारी प्रभारी को खरीदी से सम्पूर्ण धान परिवहन मिलान अंतिम तक सूखत की जिम्मेदारी लिखित में जारी किया जाए। प्रदेश के 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतनमान देने के लिए प्रति वर्ष प्रत्येेक समितियों को 3.3 लाख रुपए प्रबंधकीय अनुदान राशि मध्यप्रदेश सरकार की भांति दी जाए।