राजनांदगांव

युकां चुनाव : दावेदारों में जोर आजमाईश
07-Jun-2022 1:37 PM
युकां चुनाव : दावेदारों में जोर आजमाईश

कड़ी धूप में बहा रहे पसीना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 7 जून
। प्रत्यक्ष मतदान के जरिये युवा कांग्रेस के बड़े ओहदे को लेकर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए अगला सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण होगा। मतदान के लिए सप्ताहभर का वक्त शेष होने के चलते दावेदारों में मुकाबला बढ़ गया है। मतदाताओं को रिझाने और उनसे नजदीकी बढ़ाने के साथ उम्मीदवार हर मतदाता के बीच संपर्क बढ़ा रहे हैं।

राजनीतिक रूप से युवक कांग्रेस का चुनाव पार्टी के कुछ नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गया है। अपने उम्मीदवारों को जीताने के लिए प्रमुख नेता पर्दे के पीछे से चुनावी पटकथा लिख रहे हैं, ताकि वह अपनी राजनीतिक वजूद और साख को मजबूती दे सके। आने वाले समय में शीर्ष नेताओं के समर्थकों के जीत-हार के फैसले से सियासी समीकरण बदलेंगे। आगामी 12 जून मतदान के लिए अंतिम तारीख तय की गई है। इसके बाद किसी भी दिन चुनावी परिणाम घोषित हो सकते हैं।

राजनांदगांव शहर अध्यक्ष के लिए जितेन्द्र मुदलियार समर्थक एनी माखिजा और नवाज खान-कुलबीर छाबड़ा खेमे से कादिर सोलंकी के बीच मुकाबला दिख रहा है। वहीं महापौर हेमा देशमुख के सुपुत्र मानव देशमुख भी दावेदारों में आगे बढ़ रहे हैं। समूचे चुनाव में अब तक 50 हजार मतदाताओं ने अलग- अलग उम्मीदवारों के पक्ष में ऐप के जरिये वोटिंग किया है। इस आंकड़े के जरिये प्रमुख नेता अपने समर्थकों की जीत को लेकर आश्वस्त हैं।

राजनीतिक उठापटक में माहिर कुछ नेताओं ने अपने समर्थकों के लिए चुनावी बिसात तैयार की है। जिसमें शह और मात का खेल चल रहा है। माना जा रहा है कि युवक कांग्रेस चुनाव में बाजी मारने वाले गुट का भविष्य में कांग्रेस में धाक मजबूत होगी। इसकी शुरूआत डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देगी।

उधर चुनाव के बीच दावेदारों में आपसी मनमुटाव भी खुलकर सामने आ रहा है। संगठन में दबदबा बनाए रखने के लिए चुनावी रण पर उतरे युवा नेताओं ने पैतरेबाजी के जरिये एक-दूसरे को शिकस्त देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए कुछ दावेदारों ने दावत और पार्टी के दम पर मतदाताओं को रिझा रहे हैं। माना जा रहा है कि युवक कांग्रेस का चुनाव इसी के चलते काफी महंगा हो गया है। राजनीतिक वर्चस्व को बनाए रखने के लिए प्रमुख नेताओं की निजी दिलचस्पी से दावेदारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। ऐेसे में चुनाव पूरी तरह से रोचक हो गयाा है।

 


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