महासमुन्द

धान के पौधे गर्मी से झुलसने लगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 6 अगस्त। जिले के खेतों में धान के पौधे सुबह-सुबह हरे तो दिखते हैं लेकिन सांझ होते मुरझा जाते हैं। जिन खेतों में बोर नहीं हैं, उन खेतों की मिट्टी सूख चुकी है, दरारें पड़ रही हैं और धान के पौधे गर्मी से झुलसने लगे हैं। जिले में पिछले 3 दिनों से बारिश नहीं हुई है और अधिकतम तापमान में एक बार फिर वृद्धि हो रही है। रात में भी यही स्थिति है। राजस्व विभाग द्वारा जारी आकड़ों पर नजर डालें तो सावन लगते ही 4 दिन लगातार बारिश की झड़ी लगी थी। उसके बाद 1 अगस्त से अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। जिन क्षेत्रों में हुई वहां केवल छींटे ही पड़े हैं।
इस वक्त मानसून पर ब्रेक लग गया है। हालांकि जिले के कई खेतों में, बोर के पानी से रोपा लगाने का काम चल रहा है। लेकिन यदि जल्दी ही बारिश नहीं हुई तो किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग का कहना है कि एक निम्न दाब का क्षेत्र मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग और उसके आसपास स्थित है, इसके साथ चक्रवाती घेरा 5.8 किलोमीटर ऊंचाई पर विस्तारित है। मानसून द्रोणिका गंगानगर, नारनौल, निम्न दाब के केंद्र, वाराणसी, गया, बंकुरा और उसके बाद दक्षिण.पूर्व की ओर उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी तक स्थित है। एक चक्रीय चक्रवाती घेरा उत्तर बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास स्थित है जिसका विस्तार 5.8 किलोमीटर तक है। इसलिए आज भी केवल मध्यम वर्षा ही होगी।
मालूम हो कि जिले में बीते 1 से 5 अगस्त तक केवल 2 मिमी बारिश हुई है। मानसून के सक्रिय नहीं होने के कारण इस साल पर्याप्त बारिश नहीं हो पा रही है। सावन माह लगने के बाद लगातार हो रही हल्कि बारिश देखकर लग रहा था कि आगे जरुर झड़ी लगेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिले में अब तक 506.8 मिमी बारिश हुई है। कल गुरूवार को महासमुंद, सरायपाली, बसना, पिथौरा व बसना में 0 मिमी बारिश दर्ज की गई है। पिछले साल इसी महीने की 5 तारीख तक 719.5 मिमी बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस साल 212.7 मिमी कम दर्ज की गई है। बारिश के वजह से इस साल जलाशयों में भी नाम मात्र पानी भर पाया है।