सडक़ों पर आवारा पशुओं की समस्या पर उच्चस्तरीय बैठक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 अगस्त। सडक़ों पर घूमते आवारा और घुमंतू पशुओं की वजह से हो रही सडक़ दुर्घटनाएं और यातायात अव्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू एवं अपर कलेक्टर डॉ. अनिल वाजपेई नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए गुरुवार को कलेक्टोरेट सभाकक्ष में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई।
एसएसपी साहू ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब जिले में सडक़ों पर मवेशियों की उपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह स्थिति केवल यातायात में बाधा नहीं, बल्कि नागरिकों की जान को भी खतरे में डाल रही है। उन्होंने नगर निकायों को तत्काल विशेष अभियान चलाकर सडक़ों से आवारा पशुओं को हटाने और उन्हें चिन्हांकित आश्रय स्थलों अथवा गौशालाओं में सुरक्षित रूप से रखने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में छोड़ता है, तो उसके खिलाफ पशु अधिनियमों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस महत्वपूर्ण बैठक में एडिशनल एसपी ज्योति सिंह, डीएसपी राजेश कुमार झा, एसडीओपी बेमेतरा मनोज तिर्की, डीएसपी कौशिल्या साहू, आरटीओ अरविंद भगत, नगर पालिका सीएमओ, पशुपालन, राजस्व, पुलिस, नगरीय प्रशासन और पंचायत विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों पशुपालन, राजस्व थाना/चौकी प्रभारी एवं पुलिस विभाग के अधिकारी सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
विभागीय जिम्मेदारियों का विभाजन
लोक निर्माण विभाग सडक़ सुरक्षा तत्वों को निर्माण में शामिल करना, ठेकेदार की जवाबदेही तय करना। निगरानी दल का गठन, अस्थायी बाड़ों का निर्माण, काउ-कैचर वाहन और चारा व्यवस्था। ईयर टैगिंग, पशु चिकित्सा, नस्ल सुधार और गौशाला प्रबंधन। चारागाह प्रबंधन और पशु आहार व्यवस्था। घायल व्यक्तियों के लिए त्वरित चिकित्सा सहायता। चारागाह की उपलब्धता और अवैध कब्जों से मुक्ति। डेटा संकलन और सूचना समन्वय। वन क्षेत्रों में आवारा पशुओं की निगरानी और चरागाह प्रबंधन।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
बैठक में सभी संबंधित विभागों की भागीदारी से समग्र और बहुआयामी कार्ययोजना पर विचार किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सडक़ों पर मवेशियों के विचरण को नियंत्रित कर जनसुरक्षा, पशु कल्याण, यातायात नियंत्रण, और स्वच्छता को सुनिश्चित करना है। बैठक में लिए गए कुछ प्रमुख निर्णय लिए गए जिसमे नगर निकाय विशेष अभियान चलाकर आवारा पशुओं को पकड़ेंगे और चिन्हित गोशालाओं अथवा अस्थायी आश्रय स्थलों में सुरक्षित रूप से विस्थापित करेंगे। चिन्हित दुर्घटना स्थलों पर पुलिस गश्त और सीसीटीव्ही निगरानी बढ़ाई जाएगी। जो लोग जानबूझकर अपने पशुओं को खुले में छोड़ते हैं, उनके खिलाफ जुर्माना और अन्य वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। ग्राम सभाओं, स्कूलों, जनचौपाल, रेडियो, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से पशुपालकों को स्टाल फीडिंग, पशु प्रबंधन, और पशु अधिनियमों की जानकारी दी जाएगी।संकेतक बोर्ड एवं स्ट्रीट लाइट्स दुर्घटना संभावित मार्गों पर लगाए जाएंगे, नरेगा योजना के तहत अस्थायी गौआश्रय स्थलों का निर्माण, समतलीकरण और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
आपातकालीन और सडक़ सुरक्षा उपाय
चिन्हित मार्गों पर संकेतक बोर्ड और स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और राजस्व विभाग के समन्वय से दुर्घटना स्थलों पर आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।