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रायपुर 22 अप्रैल। मतदाता जागरूकता के लिए कार रैली में महिलाओं का जज्बा और जोश देखते ही बन रहा था। महिलाएं खुद कार की स्टेरिंग थामकर रैली में निकली। सबसे आकर्षण खुली जीप में महिलाओं के द्वारा मतदाता जागरूकता का स्लोगन और विभिन्न तरह के नवाचारी से मतदाता जागरूकता का कार्य किया गया। इस कार रैली में कई समूह की महिलाएं शामिल हुई और एक स्वर में मतदाता जागरूकता के नारे लगाते हुए मतदान का संदेश दिया। स्वीप के इस नवाचारी कार्य के लिए जिला प्रशासन को कार रैली में शामिल हुई महिलाओं ने धन्यवाद दिया और सराहना भी की।
रायपुर की श्रीमती प्रियंका मिश्रा (गृहणी), श्रीमती शारदा सिंह, श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा कि जिला प्रशासन ने मतदाता जागरूकता के लिए भव्य कार रैली का आयोजन किया। हमने कार रैली में अलग-अलग धर्म के लोगों को लोकतंत्र के पर्व में सहभागिता निभाने का संदेश दिया। कार रैली में विभिन्न प्रकार से मतदाता जागरूकता का संदेश दिया गया। जोश, उत्साह के साथ मतदाता जागरूकता के लिए कार रैली निकाली गई। इसके लिए प्रशासन का बहुत-बहुत धन्यवाद करते है।
आकर्षक साज-सज्जा*
छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकार सुश्री ऋचा शर्मां ने अपनी कार को काफी आकर्षक साज सज्जा के साथ रैली में शामिल हुई। उन्होंने मतदान के प्रति जागरूकता हेतु अपनी सहभागिता निभाई।
छोटे बच्चे को लेकर आई महिला
सरोना निवासी श्रीमती शिवानी तिवारी में अपने चार माह के नवजात शिशु को लेकर रैली में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि जब मैं अपने चार माह बेटे के साथ मतदाता जागरूकता के लिए आगे आ सकती हूं तो हर कोई मतदान केंद्र में पहुंचकर अवश्य मतदान कर सकते है।
मतदान के जरूरतों को रैली में बताया
अवंति विहार निवासी डॉ. अनामिका सिंह स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका 2023 में मिसेज इंडिया मेडिकोदिवा रह चुकीं हैं। इन्होंने 2023 में दुबई में आयोजित कॉस्मिक यूनिवर्स में फेस ऑफ इंडिया का अवार्ड प्राप्त की हैं। स्त्रीरोग विशेषज्ञ में इनका जाना पहचाना नाम हैं। इन्होंने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाता जागरूकता के लिए महिला स्वीप कार रैली में अपनी सहभागिता निभाई। इन्होंने अपनी कार में सभी तरफ स्लोगन जैसे की मेरा वोट मेरी आवाज राष्ट्र वाद, संस्कृति, सुरक्षा, विकास, चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण संदेश लिखे हुए थे।
बिलासपुर, 22 अप्रैल। बिलासपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार शशिकान्त कोन्हेर का सोमवार की शाम को निधन हो गया। उनका मंगलवार 23 अप्रैल को सुबह 10 बजे देवकीनंदन दीक्षित मुक्तिधाम सरकंडा में अंतिम संस्कार किया जाएगा। वे व्याख्याता प्रशांत कोन्हेर के बड़े भाई तथा प्रतीक कोन्हेर, परितोष कोन्हेर के पिता थे।
शाम 4 से 5 बजे तक अतिरिक्त मिलेगा पानी
रायपुर, 22 अप्रैल। रायपुर नगर निगम के अमृत मिशन योजना के तहत शैलेन्द्र नगर टैगोर नगर और विधायक विश्रामगृह क्षेत्र में बिछाए गए पाईप लाईन से पेयजल की सप्लाई प्रारम्भ कर दी गई है। इसकी सप्लाई सुबह और शाम की नियमित सप्लाई के अतिरिक्त शाम 4 बजे से 5 बजे तक की जा रही है।
ये क्षेत्र जोन क्रमांक 4 के साथ ही जोन क्रमांक 10 में भी आते हैं। इन क्षेत्रों में अमृत मिशन की पाईप लाईन बिछा दी गई थी। अब नागरिकों के घरों तक इसी पाईप लाईन से पेयजल सप्लाई का कार्य प्रारंभ किया गया। आज शाम 4 बजे घर घर जाकर पेयजल सप्लाई का निरीक्षण किया गया। इस क्षेत्र में सुबह और शाम वाली पेयजल सप्लाई भी यथावत रहेगी। इस क्षेत्र के बाद उन्होंने राजेन्द्र नगर के राजीव पांडे नगर में हो रहे इन्टरकनेशन कार्य का भी निरीक्षण किया।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल । दिन भर की तेज धूप के बाद शाम 5बजे से रायपुर में बादलों ने मौसम को ठंडा कर दिया हैं। ठंडी हवाएं चल रही हैं तो हल्के बादल भी है। उधर पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ऊपर स्थित है। एक उत्तर दक्षिण द्रोणिका/ हवा की अनियमित गति दक्षिण छत्तीसगढ़ से दक्षिण केरल तक स्थित है। प्रदेश में कल 23 अप्रैल को कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।
प्रदेश में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ अंधड़ चलने, ओला वृष्टि होने तथा वज्रपात होने की भी संभावना है ।
वर्षा का क्षेत्र मुख्यतः मध्य छत्तीसगढ़ रहने के संकेत हैं अधिकतम तापमान में गिरावट संभावित है।
शाम 7 बजे तक नौ जिलों में गरज चमक के साथ हल्की बारिश
बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, रायगढ़, बलौदाबाजार, बेमेतरा, नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में आगामी 3 घंटो के दौरान गरज चमक के साथ अंधड़ चलने एवं हल्की वर्षा की संभावना है । राजनांदगांव तथा कवर्धा जिलों में गरजहस्ती चमक के साथ अंधड़ चलने, हल्की वर्षा होने एवं ओला वृष्टि की संभावना है ।
सड्डू के पीछे अवैध प्लाटिंग की सड़कों को जेसीबी से खोदा गया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल। सड्डू हाउसिंग कॉलोनी के पीछे अवैध प्लाटिंग हो रही थी। आज शाम निगम की टीम वहां पहुंची तो मौजूद 4 लोग भाग निकले। उन्हें पकड़ने की कोशिश भी की गई। किन्तु वे एक निजी कॉलोनी की दीवार फांदकर रफूचक्कर हो गए।
निगम के जोन 9 के जोन कमिश्नर सन्तोष पांडे ने बताया कि सड्डू हाउसिंग बोर्ड के पीछे और केपिटल होम्स के बगल में स्थित करीब साढ़े चार एकड़ क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग होने की शिकायत मिल रही थी। निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा के निर्देश पर श्री पांडे अपनी टीम लेकर आज शाम को वहां मुआयना करने के लिए पहुंचे थे। साथ ही जेसीबी भी ले गए थे। वहां उस समय चार लोग मौजूद मिले। निगम की टीम को देखकर चारों भाग निकले। इसके बाद वहां प्लाटिंग हेतु बनाई गई कच्ची सड़कों को जेसीबी से खोद दिया गया।
19 ने नाम वापस लिए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल। प्रदेश के तीसरे चरण की सात सीटों के लिए कुल 168 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। सबसे ज्यादा रायपुर में कुल 38 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दुर्ग से करीब 4 सौ प्रत्याशी उतारने की बात कही थी ताकि ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव कराने की नौबत आ जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दुर्ग में नाम वापसी के बाद कुल 25 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में रह गए हैं। बिलासपुर में 37 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा कोरबा में 27, जांजगीर-चांपा में 17, रायगढ़ में 13,, और 10 प्रत्याशी सरगुजा में हैं।
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले ही कार्यकाल के दौरान वीआईपी कल्चर को खत्म करने पर जोर दिया। पीएम मोदी हमेशा से ही वीआईपी कल्चर के खिलाफ रहे हैं। कई मौकों पर पीएम मोदी आम व्यक्ति की तरह मेट्रो में सफर करते हुए या फिर सड़कों पर जरूरतमंदों के लिए अपना काफिला रोककर, पहले उन्हें जाने देते हैं।
दरअसल, 'मोदी भरोसा' नाम के एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया गया है। जिसमें पीएम मोदी वीआईपी कल्चर खत्म करने के अपने आह्वान और प्रयास को आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं।
वीडियो में पीएम मोदी बता रहे हैं कि जब उनकी मां हीरा बेन का 100 साल की आयु में निधन हुआ था, तो उनका इलाज गुजरात के एक सरकारी अस्पताल में हुआ था। इलाज के दौरान ही सरकारी अस्पताल में उनका देहांत हो गया था। इसके अलावा पीएम मोदी की मां हीराबेन की अंत्येष्टि भी सरकारी श्मशान में साधारण तरीके से की गई थी। इसके लिए किसी भी तरह के वीआईपी कल्चर या कोई राजनेताओं का मेला भी नहीं लगा था।
कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने बताया है कि वह जल्दी कोविड टीका लगवा सकते थे। लेकिन, उन्होंने अपने नंबर का इंतजार किया। पीएम मोदी ने कहा कि मैं जल्दी वैक्सीन लगवा सकता था। लेकिन, मैंने इसे तभी लगाने का फैसला किया, जब मेरा नंबर आएगा।
रिपब्लिक डे समारोह के दौरान वीआईपी संस्कृति खत्म करने पर पीएम मोदी ने कहा है कि सेंट्रल विस्टा का निर्माण करने वाले श्रमिकों और कामगारों को इस अवसर पर विशेष अतिथि बनाया गया।
यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी कहते हैं कि उन्होंने हमेशा उन आयोजनों में गरीब बच्चों की भागीदारी की वकालत की है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आयोजकों से कहता हूं कि दीक्षांत समारोह में पहली 50 सीट मेरे गेस्ट के लिए चाहिए। मैं यूनिवर्सिटी के आस-पास में रहने वाले झुग्गी-झोपड़ियां जो होती है, वहां जो स्कूल होती है उन बच्चों को दीक्षांत समारोह में बैठाता हूं। मेरा यही संस्कार है।
बता दें कि पीएम मोदी ने केंद्र की सत्ता पर विराजमान होने के साथ ही वीआईपी कल्चर को खत्म करने का काम किया। उन्होंने बड़े मंत्रियों और अधिकारियों की गाड़ियों से लाल बत्ती कल्चर को समाप्त किया। 2017 में ही अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में ईपीआई (प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है) संस्कृति के साथ वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने का आह्वान किया था।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । भगवान स्वामीनारायण ने वडताल, गढ़पुर, सारंगपुर, अहमदाबाद जैसे विभिन्न स्थानों पर पुष्प दोलोत्सव आयोजित करके गुजरात की धरा को पावन किया था। यह कार्यक्रम उनकी स्मृति में सारंगपुर में हर वर्ष मनाया जाता है। स्वामी महाराज हर वर्ष सारंगपुर में पुष्प दोलोत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाते थे।
वह आशीर्वाद देते हुए कहते थे कि संसार के रंग में तो सभी रंगे हैं, लेकिन हमें भगवान के रंग में रंगना है। उसी परंपरा में, महंत स्वामी महाराज की उपस्थिति में, यह पुष्प दोलोत्सव भव्य रूप से मनाया गया, जिसमें देश-विदेश से 75 हजार भक्त पहुंचे। पूरे सारंगपुर गांव में इस दौरान आनंद का माहौल था।
सारंगपुर मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से इस दौरान भरा रहा। रंगोत्सव के अवसर पर सारंगपुर में विदेशी के साथ-साथ भारत के विभिन्न प्रांतों से भी श्रद्धालु उमड़े थे। इतनी बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं की सेवा के लिए 30 सेवा विभागों में 8,000 स्वयंसेवक सेवा कर रहे थे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक स्थानों पर पूछताछ केंद्रों की व्यवस्था की गई थी। बी.ए.पी.एस. विद्यामंदिर परिसर में बडी संख्या में भक्त पहुंचे। जहां 10 लाख वर्ग फुट भूमि को साफ कर समतल किया गया और विशाल सभा भवन तैयार किया गया था।
पुष्प दोलोत्सव महोत्सव के लिए लगाए गए मंच के पीछे विशाल पृष्ठभूमि पर रॉबिन्सविल अक्षरधाम और अबू धाबी में बने भव्य हिन्दू मंदिर की प्रतिकृतियां सजी हुई थीं। इस दौरान संगठन की स्थापना में कार्यकर्ताओं के समर्पण और बलिदान को याद किया गया।
बाप्स के अंतरराष्ट्रीय संयोजक ईश्वरचरण स्वामी ने आगामी चुनाव में राष्ट्र के उत्थान और विकास के लिए प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य समझाकर मतदान करने का अनुरोध किया। पूज्य डॉ. स्वामी ने पुष्प दोलोत्सव उत्सव, जिसका केंद्रीय विषय 'अंतर अक्षरधाम है', पर हृदयस्पर्शी प्रवचन दिया।
महंत स्वामी महाराज ने रंगोत्सव पर्व पर आशीर्वाद देते हुए कहा, 'हम सभी यहां दिव्य और भक्ति के रंगों में रंगने के लिए आए हैं। बाहरी रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतर जाता है, लेकिन यह रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतरता नहीं है। दिव्यता के रंग में रंगना और भगवान की प्राप्ति के बारे में नित्य विचार करना चाहिए।
(आईएएनएस)
ली व्यवस्था के बारे में जानकारी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल। रायपुर लोकसभा क्रमांक 08 आब्जर्वर श्री रोहन चंद ठाकुर द्वारा आज ग्राम पंचायत निमोरा, बेन्द्री केन्द्री, अभनपुर एवं ठेलकाबांधा के मतदान केंद्र का निरीक्षण किया गया। उन्होंने सुगम मतदान के लिए ज़िला निर्वाचन अधिकारी के मार्गदर्शन में की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। इस दौरान अभानपुर अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) श्री रवि सिंह सहित राजस्व अधिकारी कर्मचारी गण उपस्थित रहें।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल । आबकारी घोटाले मामले के आरोप में गिरफ्तार अनिल टुटेजा 2 दिन और जेल में रहेंगे। डिस्ट्रिक जज ने 2 दिन न्यायिक रिमांड में रखने का फैसला सुनाया।
डीजे कोर्ट ने स्पेशल जज छुट्टी से वापस आने पर 24 अप्रैल को पेश कर रिमांड लेने के दिए निर्देश।अनिल टुटेजा को वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश किया गया।जेल प्रबंधन ने सुरक्षा के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं होने के कारण कोर्ट लाने में जताई थी असमर्थता जताई थी।डीजे कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई। जो करीब 15-30 मिनट ही चली।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला ने केन्द्रीय मंत्री अमित शाह के नक्सवाद को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ही नक्सलवाद को बढ़ावा दिया है। जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व नक्सल हिंसा में शहीद हुआ था।
श्री शुक्ला ने राजीव भवन में मीडिया से चर्चा में कहा कि नक्सलवाद पर बिल्कुल भी राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद और नक्सलवाद के बढऩे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था। इस पर राजीव शुक्ला ने कहा कि नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासनकाल में बढ़ा था। यहां चार जिले से बढक़र 14 जिले नक्सल प्रभावित थे। भूपेश बघेल की सरकार ने इसको खत्म किया।
भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को लापता बताए जाने पर राजीव शुक्ला ने कहा कि वो राज्यसभा में छत्तीसगढ़ के मुद्दे उठाते रहे हैं। यही नहीं, वो विधानसभा चुनाव में भी प्रचार के लिए आए थे। लेकिन भाजपा के सांसद कहां थे, इसकी जानकारी उनकी पार्टी के लोगों बताना चाहिए।
शुक्ला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए बड़े नेताओं का प्रवास हो रहा है। प्रियंका गांधी, राहुल गांधी की सभा हो चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी प्रचार के लिए आने वाले हैं।
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत देने की मांग वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्हें उनके कार्यकाल या मामले की सुनवाई पूरी होने तक (जो भी पहले हो) जमानत देने का अनुरोध किया गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता, जो कानून का एक छात्र है, पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को "पूरी तरह से गलत" बताया और ऐसी याचिका दायर करने के उनके अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया।
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा भी शामिल थे, ने टिप्पणी की कि किसी आरोपी को केवल उच्च संवैधानिक पद पर रहने के लिए असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती है।
इस तथ्य को ध्यान में रखा गया कि सीएम केजरीवाल अदालत के आदेशों के अनुसार न्यायिक हिरासत में हैं और जनहित याचिकाकर्ता के पास उनकी ओर से कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं है।
'हम, भारत के लोग' के नाम से दायर जनहित याचिका में अंतरिम राहत की मांग की गई, जिसमें कहा गया था कि सीएम केजरीवाल को काम के घंटों के दौरान अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जाए और न्यायिक हिरासत के दौरान उन्हें सरकारी कार्यालयों का दौरा करने और विभिन्न स्थानों का निरीक्षण करने की आजादी दी जाए।
इसमें हिरासत में मौतों की घटनाओं और तिहाड़ जेल में कठोर अपराधियों की मौजूदगी का हवाला देते हुए हिरासत में रहते हुए सीएम केजरीवाल की सुरक्षा पर चिंता जताई गई।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि एक लोक सेवक के रूप में, सीएम केजरीवाल को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा विशेषज्ञों और बढ़ी हुई सुरक्षा तक निरंतर पहुंच की आवश्यकता है, जिससे न्यायिक हिरासत में रहते हुए समझौता हो सकता है।
(आईएएनएस)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल । भाठागांव बाजार के पास खड़े डंप एंबूलेंस में आज दोपहर आग लग गई। हमर अस्पताल योजना के तहत 108 सेवा की करीब दर्जन भर कबूड़ हो चुके एंबूलेंस यहां खड़े रखे गए हैं। । आग का कारण तेज धूप है या किसी की शरारत यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मे मौके पर पहुंच आग पर काबू पा लिया है। किसी तरह की जन हानि नहीं हुई।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल । आबकारी घोटाले मामले के आरोप में गिरफ्तार अनिल टुटेजा को वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश कराया जा सकता है। जेल प्रबंधन ने सुरक्षा के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं होने के कारण कोर्ट लाने में असमर्थता जताया है।वीडियो कांफ्रेंसिंग से कोर्ट में पेशी कराई जा सकती है। डीजे कोर्ट में ईडी के अधिकारी समेत दोनो पक्षों के वकील पहुंचे। एक दिन की रिमांड आज खत्म हो रही है। टूटेजा को ईडी ने रविवार तड़के गिरफ्तार किया था।
भ्रष्टाचार डहरिया की मुसीबत
जांजगीर-चांपा में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शिवकुमार डहरिया के खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार को प्रमुुख मुद्दा बनाया है। भाजपा के नेता अपनी सभाओं में डॉ. डहरिया के नगरीय प्रशासन मंत्री रहते भ्रष्टाचार के मामलों को प्रमुखता से गिना रहे हैं।
सीएम विष्णुदेव साय ने तो डॉ. डहरिया को सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी करार दिया है। भाजपा नेता अपनी सभाओं में डॉ. डहरिया के खिलाफ आरंग में खुद गरीब बनकर सरकारी जमीन का पट्टा लेने के मामले को प्रमुखता से प्रचारित कर रहे हैं।
सीएम तो यह भी कहने से नहीं चूके कि अगर भूल से भी वो जीते तो जांजगीर की जमीनों पर भी कब्जा कर लेंगे। उन्होंने मतदाताओं को सतर्क रहकर डहरिया को सबक सिखाने का आहवान किया। भाजपा का डहरिया के खिलाफ अभियान का कितना फर्क पड़ता है, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही साफ होगा।
चिल्हर गिनने की मशीन
नोट काउंटिंग मशीन से आप और हम अभ्यस्त हो गए हैं।यह समय की बचत, सुविधा होने के बावजूद कभी कभी लोग नोट गिनते-गिनते,मशीन और जांच अधिकारी भी थक जाते है। जैसे झारखंड के एक सांसद को यहां मिले तीन सौ करोड़ रुपए गिनने पड़े थे।
ऐसा बताया गया था कि पूरे दो दिन लगे थे। इतनी बड़ी रकम गिनने की सफलता के बाद अब नोट मशीन बनाने वाली कंपनी ने चिल्लर (सिक्के) गिनने वाली मशीन लांच कर दिया है। शायद कंपनी को मालूम चल गया है कि कुछ लोग चिल्हर में भी अकूत इक_ा कर रहे हैं। सही है, हाल में दिवंगत हुए मप्र के दौर के एक मंत्री, तबादले के लिए नग स्वरूप 51 रूपए तक ले लेते थे। मशीन चिल्हर में होने वाले ऐसे भ्रष्टाचार के टोटल अमाउंट को भी गिन लेगी। इस मशीन में सभी सिक्कों का ढेर डाल दीजिए और वह चंद मिनटों में 10, 5, 2, 1 रूपए की छंटनी कर न केवल टोटल कर देगी बल्कि उन्हें अलग अलग छांट कर प्रिंट आउट भी दे देगी।
98 फीसदी पोलिंग, नोटा भी नहीं
विधानसभा 2023 के चुनाव में बस्तर की 12 में से 8 सीटों पर नोटा वोट तीसरे नंबर पर थे। यानि कांग्रेस भाजपा के बीच तो मुख्य मुकाबला था, पर इन दोनों की टक्कर नोटा से थी। नोटा का विकल्प चुनने का सामान्य अर्थ यही है कि मतदाता ने किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं किया। इस आधार पर बस्तर के मतदाता बाकी स्थानों के मतदाताओं से ज्यादा जागरूक माने जा सकते हैं। मगर, ऐसा नहीं है। नोटा का एक मतलब यह भी हो सकता है कि मतदाता को अपने पसंद के उम्मीदवार का बटन ही समझ में नहीं आया।
इस लोकसभा चुनाव में दंतेवाड़ा जिले कटेकल्याण ब्लॉक के दूधिरास गांव में 98 प्रतिशत वोट डाले गए। मतगणना के बाद पता चलेगा कि इनमें कितने नोटा को गया लेकिन शत-प्रतिशत मतदान की कोशिश में लगे ग्राम के सरपंच को उम्मीद है कि नोटा वोट शायद ही हो। इस गांव में मतदान के पहले एक नकली बूथ बनाई गई। एक पीठासीन अधिकारी बिठाया गया। इसमें लोगों को बताया गया कि मतदान कैसे करना है। अपनी पसंद के उम्मीदवार को बटन कैसे दबाना है। बीप बजने के बाद पर्ची में देखकर तसल्ली करना है कि जिस चुनाव चिन्ह का बटन दबाया, उसी की पर्ची भी निकली है। जब असल मतदान हुआ तो करीब 300 मतदाताओं वाले इस बूथ में सिर्फ 6 लोग वोट नहीं डाल सके। बाकी सभी ने मतदान किया। यह वाकया सोशल मीडिया पर वायरल है। ग्रामीणों का दावा है कि बस्तर में नोटा वोट बढऩे का कारण वोट डालने के दौरान की गई गलतियां हैं। सुदूर दूधिरास में ग्रामीणों ने खुद से पहल कर सबको वोट डालने और अपनी पसंद से डालने की जो पहल की, वह निर्वाचन आयोग के स्वीप कार्यक्रम से ज्यादा असरदार रहा। भले ही यह किसी एक गांव में सीमित क्यों न रहा हो।
इसी दौरान कई बूथों पर बस्तर की संस्कृति और परंपरा के अनुसार की गई साज-सज्जा भी मतदाताओं को आकर्षित कर रही थी, जिसने मतदाताओं को बूथ तक खींचा।
चुनाव ने रोका मुफ्त इलाज
पिछले साल कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ के कुछ निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना और खूबचंद बघेल योजना के तहत होने वाले मुफ्त इलाज में गड़बड़ी पाई। यह पाया गया कि मरीजों को जिस बीमारी का इलाज मुफ्त ही करना था, उसके एवज में उनसे लाखों रुपयों की अवैध वसूली की गई। ऐसे कुछ अस्पतालों से मरीजों को रकम वापस भी लौटाई गई। इसके बाद नये निजी अस्पतालों के साथ अनुबंध की प्रक्रिया निलंबित कर दी गई। अब खबर यह है कि करीब साल भर होने जा रहा है नए अस्पतालों का पंजीयन रुका हुआ है। इस बीच कई शहरों, कस्बों में नए अस्पताल खुले लेकिन उनमें दोनों मुफ्त योजनाओं से मरीज इलाज नहीं करा पा रहे हैं। कुछ तो ग्रामीण इलाकों के अस्पताल भी हैं। विधानसभा चुनाव के बाद थोड़ा वक्त था, जब नई सरकार कुछ बड़े फैसले ले रही थी। निजी अस्पतालों के संचालकों ने इस दौरान पंजीयन कराने की कोशिश की थी, मगर रोक नहीं हटी। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता जब जून के पहले सप्ताह में समाप्त हो जाएगी, हो सकता है इन अस्पतालों को और इनके पास पहुंचने वाले मरीजों की सुविधा तब मिलने लगे।
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 अप्रैल। बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, रायगढ़, बलौदाबाजार, बेमेतरा, नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में आगामी 3 घंटो के दौरान गरज चमक के साथ अंधड़ चलने एवं हल्की वर्षा की संभावना है । राजनांदगांव तथा कवर्धा जिलों में गरजहस्ती चमक के साथ अंधड़ चलने, हल्की वर्षा होने एवं ओला वृष्टि की संभावना है ।
छत्तीसगढ़ पुलिस का एक नया कारनामा हाईकोर्ट की मेहरबानी से उजागर हुआ है। अपने पड़ोसी द्वारा सडक़ पर अपना अहाता बनाने की शिकायत करने के लिए एक रिटायर्ड शिक्षिका और उनकी इंजीनियर बेटी पुलिस थाने पहुंचे थे, पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया, शाम को अदालत में पेश किया, और कानूनी मदद नहीं लेने दी, और बॉंड भरकर जमानत पर रिहा होने का मौका भी नहीं दिया। पुलिस ने इस रिटायर्ड शिक्षिका को थाने में थप्पड़ भी मारे। अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने इसे स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन माना है, और इन्हें तीन लाख रूपए मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। जमानत पर रिहाई के पहले मां-बेटी तीस घंटे जेल में रखे गए थे, और उसका यह मुआवजा अब सरकार की जेब से जाने वाला है। यह तो शहर का मामला है, और शिकायकर्ता हाईकोर्ट तक जाने की ताकत रखते थे, लेकिन छत्तीसगढ़ के गांव-देहात और जंगलों में बसे हुए लोग इतने कमजोर रहते हैं कि उनके लिए थाने तक जाना भी मुश्किल रहता है, और अगर किसी कानूनी मदद से वे अदालत तक पहुंच भी पाते हैं, तो कई बार तो उनके मामले खारिज ही हो जाते हैं। हम हाईकोर्ट का यह ताजा फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण मानते हैं कि इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस को कुछ सबक मिलने के आसार बन सकते हैं। हमारा यह भी ख्याल है कि जो पुलिसवाले इस मामले में जिम्मेदार पाए जाते हैं, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होनी चाहिए, और पुलिस को यह अक्ल भी मिलनी चाहिए कि शिकायतकर्ता महिलाओं की ऐसी गिरफ्तारी जैसी अराजकता इस प्रदेश में अभी नहीं है। अभी ऐसी कोई इमरजेंसी लगी हुई नहीं है कि पुलिस इतनी मनमानी कर सके, और न ही ये शिकायतकर्ता मां-बेटी पेशेवर मुजरिम हैं जिन्हें कि जेल भेजने की नीयत से इस तरह का इंतजाम किया गया। एक अवैध कब्जा और अवैध निर्माण करने वाले की हिमायती बनकर अगर पुलिस ने शिकायतकर्ता को चुप करवाने की सुपारी उठाई थी, तो इसकी सजा भी उन सबको मिलनी चाहिए जो इसके लिए जिम्मेदार थे। हम हाईकोर्ट के इस कड़े फैसले को किसी संदेह के लायक नहीं मान रहे हैं, और यह फैसला न सिर्फ पुलिस बल्कि दूसरे सरकारी विभागों के लिए भी एक मिसाल बननी चाहिए। हमें सरकारी नियमों की बारीकियां नहीं मालूम हैं लेकिन अगर इन पुलिसवालों की बददिमागी से सरकार को जुर्माना देना है, तो उसकी वसूली भी इन लोगों से होनी चाहिए।
आज हिन्दुस्तान के बहुत से राज्यों में गलत काम करने वालों का ही राज चलता है। जैसा कि इस मामले में हुआ है, अवैध कब्जा और अवैध निर्माण करने वाले को पुलिस से इस दर्जे की गैरकानूनी मदद भी मिली है। अवैध कामों में ही कमाई मोटी रहती है, और ऐसे माफिया का भागीदार बनने के लिए पुलिस और दूसरे सरकारी विभाग सभी उतावले बने रहते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ही एक सबसे महंगी रिहायशी कॉलोनी ऐसी है जिसके मालिक ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कोटवार की जमीन अपने घेरे में लेकर कॉलोनी का नक्शा भी पास करा लिया है, और शहर की सबसे महंगे प्लाट भी वहां बेच दिए हैं। जिस-जिस विभाग में इसकी शिकायत हुई, वहां के अफसरों ने भी इस कॉलोनी में जमीनें ले ली, मंत्रियों और नेताओं ने पहले से बहती गंगा में हाथ धो लिए थे। नतीजा यह है कि हर तरह के अवैध काम करने के बाद भी, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ऐसी कॉलोनी पनप रही है, और उपकृत आला अफसरों की मेहरबानी से वह अपनी दूसरी कॉलोनियों में भी तरह-तरह के अवैध काम कर रही है। यह किसी एक कारोबारी का हाल नहीं है, और न ही किसी एक कारोबार का, जिनका सरकारी नियमों से कोई भी वास्ता पड़ता है, उन सबके कामों के अवैध दर्जे का यही हाल है। इसलिए ऐसे ताकतवर लोगों के खिलाफ जब कोई शिकायत आती है, तो शिकायतकर्ता को निपटाने के लिए इनकी कॉलोनियों के प्लाट और मकान मालिक बने नेता और अफसर टूट पड़ते हैं। सरकार और कारोबार का यह माफियाई-रिश्ता इतना मजबूत है कि फेविकोल को इसी को अपने इश्तहार में इस्तेमाल करना चाहिए।
फिर पुलिस की बात पर लौटें, तो पुलिस की कोई भी कार्रवाई यह तौल लेने के साथ शुरू होती है कि जिसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, उससे कमाई की कोई उम्मीद है, या नहीं, उसकी कोई राजनीतिक पहुंच है या नहीं, और अगर राजनीति पहुंच है तो वह सत्तारूढ़ पार्टी में है, या विपक्ष में। जिस तरह हंसों के बारे में कहा जाता है कि वे मोती चुन लेते हैं, उसी तरह हिन्दुस्तानी पुलिस बिना राजनीतिक खतरे वाले मामलों को चुन लेती है, और फिर जिससे कमाई नहीं होने वाली है, उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देती है। जिस जांच एजेंसी को बिना पूर्वाग्रह के सच को परखना चाहिए, उसके काम की शुरूआत ही फायदे के एक फैसले पर पहुंच जाने से होती है, और फिर उस फैसले के मुताबिक सुबूत जुटाने का सिलसिला चलता है। यह बात बस्तर जैसे इलाके में, नक्सल प्रभावित जंगल और गांव में आदिवासियों के खिलाफ अक्सर ही इस्तेमाल होती है, और उनके तो मामले भी हाईकोर्ट में जाकर दर्जनों के हिसाब से थोक में खारिज हो जाते हैं। वह एक अलग और लंबा सिलसिला है, इसलिए उसकी चर्चा यहां मुमकिन नहीं है। लेकिन बिलासपुर में एक मां-बेटी को जिस तरह उनकी शिकायत शांत करवाने के लिए, और एक अवैध कब्जा-निर्माण करने वाले का साथ देने के लिए पुलिस ने जिस तरह मां-बेटी को जेल भेजा, वह शहरी छत्तीसगढ़ के लिए भी थोड़ी सी अटपटी बात है, और प्रदेश की भाजपा सरकार के राजनीतिक, और दूसरे संगठनों के लोगों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि उनकी सरकार की पुलिस अगर इस तरह मुजरिम-दर्जे का काम कर रही है, तो उसे सुधारा जाना चाहिए। ऐसा न होने पर पुलिस सत्ता को कितने गहरे गड्ढे में गिरा सकती है, यह राज्य में पिछले पांच बरस में अच्छी तरह साबित हो चुका है। प्रदेश की भाजपा सरकार को ऐसे अफसरों से सावधान रहना चाहिए जो कि सत्तारूढ़ नेताओं को तुरंत तो खुश करके रखें, लेकिन पांचवें बरस तक इतने गहरे गड्ढे में डाल दें कि संघ के तमाम लोग मिलकर भी भाजपा को नुकसान से न निकाल सकें। हम इस चर्चा को किसी के राजनीतिक नफे-नुकसान के लिए नहीं कर रहे हैं, हम सिर्फ बेकसूर जनता के लोकतांत्रिक हक के लिए यह बात कर रहे हैं, लेकिन इस मिसाल को देना जरूरी इसलिए है कि सत्तारूढ़ नेता इस एक खतरे को कुछ जल्दी समझ पाते हैं।
रायपुर, 22 अप्रैल । छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटें हैं और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह राज्य सभी सियासी दलों के लिए खासा मायने रखता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच सभी राजनीतिक दलों की इस राज्य पर विशेष नजर है। इस बीच, रायपुर पहुंचे बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नितिन नवीन ने प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर 'कमल' खिलने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पिछले चार महीने में विष्णु देव सहाय के नेतृत्व में सरकार सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्य कर रही है, उसे देखते हुए यह कहने में गुरेज नहीं है कि बीजेपी प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीत का पताका फहराएगी।
नितिन नवीन ने आगे कहा, “लोकसभा चुनाव का जनता में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। वो भी इस बार बीजेपी को विजयी बनाने को आतुर नजर आ रही है। जनता इस बात को अब भली भांति समझ रही है कि अगर कोई देश या प्रदेश का कायाकल्प कर सकता है, तो वो बीजेपी ही है। लोकसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रदेश के हर वर्ग के लोगों में जिस तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है, उससे स्पष्ट है कि बीजेपी जीतने जा रही है।”
इस बीच, नितिन नवीन ने कहा कि लोकसभा चुनाव के संदर्भ में बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री से भी हमारी वार्ता हुई थी। उन्होंने हमें बताया था कि कैसे प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीत का पताका फहराना है। कैसे सभी सीटों पर बीजेपी का विजयी दुर्ग स्थापित करना है। हम उनके द्वारा दिए गए मंत्रों पर चल रहे हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हमें सफलता जरूर मिलेगी।
बता दें, छत्तीसगढ़ में अभी चुनाव प्रचार का दौर जारी है। आगामी दिनों में प्रदेश में कई नेता आने वाले हैं। इस दौरान, कई नेता सरकार की उपलब्धियों से भी जनता को अवगत कराते हुए नजर आएंगे।
(आईएएनएस)
अलीगढ़, 22 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा-कांग्रेस के परिवारवाद और तुष्टीकरण पर ऐसा ताला लगा कि दोनों शहजादों को उसकी चाबी भी नहीं मिल रही। अच्छे भविष्य की चाबी भी जनता के पास है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अलीगढ़ में सोमवार को एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश को गरीबी, भ्रष्टाचार, परिवारवादी राजनीति से मुक्त कराने का समय आ गया है। इसके लिए जरूरी है फिर एक बार मोदी सरकार। पिछली बार जब मैं अलीगढ़ आया था, तब मैंने आप सबसे अनुरोध किया था कि सपा और कांग्रेस के परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण की फैक्ट्री में ताला लगा दीजिए। आपने ऐसा मजबूत ताला लगाया कि दोनों शहजादों को आज तक इसकी चाबी नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि अच्छे भविष्य, विकसित भारत की चाबी भी आपके ही पास है। अब देश को गरीबी से पूरी तरह मुक्त कराने, देश को भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त कराने का, देश को परिवारवादी राजनीति से मुक्त कराने का समय आ गया है। इसके लिए जरूरी है फिर एक बार मोदी सरकार। देश से बड़ा कुछ नहीं होता। देश का इतना महत्वपूर्ण चुनाव चल रहा है, हमें सारे काम छोड़कर वोट करना चाहिए। सुबह-सुबह धूप निकलने से पहले, जलपान से पहले आपको मतदान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दंगे, हत्या, गैंगवार, फिरौती आदि तो सपा सरकार का ट्रेडमार्क ही था, यही उनकी पहचान थी और उनकी राजनीति भी इसी से चलती थी। लेकिन, अब सीएम योगी की सरकार में अपराधियों की हिम्मत नहीं है कि वो नागरिकों का अमन-चैन बिगाड़ें। पहले आर्टिकल 370 के नाम पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी शान से जीते थे और हमारे फौजियों पर पत्थर चलाते थे। अब इन सब पर फुल स्टॉप लग गया है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । भारत के ग्रैंडमास्टर 17 साल के डी गुकेश ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर नया इतिहास रचा। सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने भी भारत के स्टार शतरंज खिलाड़ी को बधाई दी है।
17 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सोमवार को कनाडा के टोरंटो में आयोजित कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनकर इतिहास रचा।
उन्होंने टूर्नामेंट के अपने आखिरी मुकाबले में अमेरिका के हिकारू नाकामुरा के खिलाफ ड्रॉ खेला। गुकेश ने टूर्नामेंट में 14 में से 9 अंक हासिल कर खिताब पर कब्जा जमाया और विश्वनाथन आनंद के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गए।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- "गुकेश, फिडे कैंडिडेट्स जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने पर भारत को आप पर गर्व है। टोरंटो में कैंडिडेट्स में गुकेश की यह शानदार उपलब्धि उनकी असाधारण प्रतिभा और समर्पण को दर्शाती है। उनका प्रदर्शन और शीर्ष तक का सफर लाखों लोगों को प्रेरित करता है।"
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी 17 वर्षीय ग्रैंडमास्टर की उपलब्धि की सराहना की।
ठाकुर ने कहा, "17 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने के लिए बधाई। उन्होंने शतरंज के महान गैरी कास्परोव के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। इस जीत के साथ, आपने न केवल इतिहास रचा, बल्कि शतरंज की दुनिया में भारत का स्थान भी पुनः प्राप्त किया। यह शानदार उपलब्धि युवा पीढ़ी को प्रेरित करने में बहुत सहायक होगी। इस जीत के बाद जब आप विश्व चैंपियन को चुनौती देने के लिए तैयार होंगे तो पूरा देश आपके साथ खड़ा रहेगा, बहुत बढ़िया।''
प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में गुकेश की ऐतिहासिक जीत के बाद, शतरंज समुदाय ने भी उन्हें बधाई दी।
मशहूर शतरंज कोच रमेश आरबी, जिन्होंने इस साल कैंडिडेट्स में प्रतिस्पर्धा करने वाले दो खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है, ने एक्स पर लिखा, "कैंडिडेट्स में जीत हासिल करने के लिए युवा गुकेश को हार्दिक बधाई। प्रेरणादायक प्रदर्शन! पूरे भारत को आप पर गर्व है!"
इस जीत के बाद गुकेश विश्व शतरंज चैंपियनशिप मुकाबले में मौजूदा विश्व चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को चुनौती देंगे। वह अब विश्वनाथन आनंद के बाद क्लासिकल विश्व चैम्पियनशिप खिताब के लिए लड़ने वाले दूसरे भारतीय हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । ओटीटी पर बिहार की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि पर बनी दो वेब सीरीज 'महारानी' और 'खाकी : द बिहार चैप्टर' ने खूब हंगामा मचाया। इन वेब सीरीज की कहानी को पन्नों पर कलमबद्ध करने वाले उमाशंकर सिंह इससे पहले एक हिंदी फिल्म 'डॉली की डोली' भी लिख चुके थे। इस फिल्म को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया था।
ऐसे में फिल्म राइटर उमाशंकर सिंह से आईएएनएस ने खास बातचीत की। उनसे उनकी आगामी प्रोजेक्ट्स सहित राजनीति और सिनेमा के साथ ही मायानगरी के बारे में तमाम सवाल पूछे गए, जिसका जवाब उमाशंकर सिंह ने बेहद सधे अंदाज में दिया है।
सवाल :- आपने वेब सीरीज 'महारानी' की कहानी लिखी, जिसको लेकर सवाल उठे कि इसकी कहानी बिहार की राजनीति से प्रेरित है, इस पर आपका क्या कहना है ?
जवाब :- सब कुछ कहीं न कहीं से प्रेरित होता है या कहीं न कहीं से प्रेरित लगता है। हमारी 'महारानी' बिहार की राजनीति से प्रेरित नहीं है, प्रेरित लग रही है। उसकी एक तो ये वाजिब वजह है कि हमारी नायिका रानी भारती बिहार की एक्सिडेंटल सीएम बनती हैं। बिहार में अब तक एक ही महिला सीएम बनीं हैं। वो भी एक्सीडेंटल सीएम थीं। तो, तुलना का आधार बनता है। इसके अलावा दोनों में कोई समानता नहीं है। दोनों की अलग-अलग जर्नी है। इसके बावजूद भी लोग यदि इसे बिहार या देश की राजनीति से जोड़ के देखते हैं तो असल में यह हमारी सफलता है। हमने कोई दूसरे प्लानेट का या कोई स्टेंड अलोन शो तो बनाया नहीं है, हमने एक राजनीतिक शो बनाया है जो इस देश और दुनिया का है। बिहार के बैकड्रॉप पर है तो उसमें बिहार और देश की राजनीति की छवियां, उसकी आड़ी-तिरछी रेखाएं, उसके अदले-बदले प्रतिबिंबब दिखने ही चाहिए।
सवाल :- 'महारानी' वेब सीरीज के अंतिम दो सीजन का जब-जब टीजर या ट्रेलर आया बिहार में सरकार बदल गई, क्या यह महज इत्तेफाक था या कुछ और?जवाब :- है तो ये इत्तेफाक ही, मगर ये थोड़ा विचित्र इत्तेफाक है और ये इतनी बार हो गया कि हम पर लोग इसे आरोप की तरह चस्पा भी करने लगे हैं। इसके बदले उन्हें अपने नेताओं से पूछना चाहिए कि क्यों 'महारानी' आने से पहले वे इतना उल्टासन करके हमारी मार्केटिंग करते हैं? वैसे सवाल तो ये होना चाहिए कि कभी भी क्यों करते हैं? हमारी राजनीति में सरेआम कुछ भी बोलकर सरपट पलट जाना इतना आसान क्यों हो गया है? हमारी राजनीति का आलम ये है कि ड्रामा में जो दिखाते हुए हमें अजीब लगता है उससे कई गुना ज्यादा वे रियल में करने से नहीं झिझकते।
सवाल :- क्या आपकी कोई और वेब सीरीज आने वाली है? अगर हां तो आपकी अगली सीरीज की कहानी का प्लॉट क्या होगा?
जवाब :- कहानियों के मामले में जितना विविध हमारा देश है उतनी विविधता हमारे कंटेंट में नहीं है। मेरी आने वाली फिल्में उन विषयों पर है, जिसे यहां कभी छुआ नहीं गया है। अभी हम कास्टिंग के प्रोसेस में हैं। एक बार जब ये ऑफिसियल हो जाए तब इसके बारे में विस्तार से बात की जा सकती है। इसके अलावा हमारे जो माइथोलॉजिकल हीरो हैं, मैं उन्हें सुपरहीरो की तरह किसी वेब सीरीज में दिखाना चाहूंगा। हमारी समस्या ये है कि जब भी हम टीवी या कहीं और माइथोलॉजिकल सब्जेक्ट उठाते हैं तो उसके रिलीजियस पावर का दोहन करके आसान सफलता चाहते हैं। उसके भीतर नहीं उतरते।
सवाल :- आपकी फिल्म 'डॉली की डोली' आई थी, उसके बाद आप बड़े पर्दे पर किसी फिल्म की कहानी के साथ नहीं आए, इसके पीछे की वजह?
जवाब :- इसके पीछे की वजह मैं ही हूं। असल में 'डॉली की डोली' मुझे मुंबई आती ही मिल गई थी। अरबाज खान इसे 'दबंग' और 'दबंग 2' के बाद बना रहे थे। मैं तब इंडस्ट्री को ज्यादा समझता नहीं था। मुझे नहीं पता कि इसे आगे कैसे परश्यू करूं। इंडस्ट्री मुझे उस वक्त कुछ खास तरह के काम ही दे रही थी, जबकि मैं अपने लिए कुछ अलहदा चाहता था। मुझे समझना चाहिए था ये प्रयोग करने का नहीं, टिकने का समय है तो मैंने उन दिनों कुछ गलत फैसले लिए। कई फिल्में करने से इनकार कर दिया। कई बन रही थी जो अटक गई और मैं घेरे से बाहर हो गया। घेरे में फिर से घुसने में समय लगा। सिनेमा का दरवाजा बंद तो बहुत आसानी से हो जाता है पर खुलता मुश्किल से है। उसी दरवाजे को धक्का देने में, दोबारा खोलने में वक्त लग गया। उस वक्त ने और उस जद्दोजहद ने काफी कुछ सिखाया।
सवाल :- अपनी पहली फिल्म के बाद आप कहीं किसी खास विषय पर अपनी अगली फिल्म की तैयारी कर रहे थे या भविष्य में आपकी लिखी कहानी पर कोई फिल्म दर्शकों के बीच होगी क्या ?
जवाब :- 2014-15 के बाद भारत बहुत बदला है। जब समय बदल रहा हो तो पुरानी आउटडेटेड कहानियां कहने का कोई मतलब नहीं था। और, नई कहानियां गढ़ने में जितनी मुश्किल आती है उससे ज्यादा मुश्किल उसे बेचने में आती है। अब कई लोग उन कहानियों को बनाना चाहते हैं। पर समस्या ये है कि वह उसे इसलिए नहीं बनाना चाहते क्योंकि उन कहानियों में उनका यकीन आ गया हो, वह इसिलए बनाना चाहते हैं कि अब मेरे थोड़े बहुत काम-नाम के कारण उनका मुझमें यकीन हो गया है। जबकि मैं चाहता हूं वह मुझे नहीं, उन कहानियों को तौलकर फिल्म बनाएं। कुछ ऐसे लोग मिले हैं जो उन कहानियों को लेकर बहुत एक्साइटेड हैं और अपने प्लान ऑफ एक्शन में उन्हें फिट कर रहे हैं। जल्द ही वे कहानियां बड़े पर्दें पर सजीव होंगी।
सवाल :- दिल्ली में पत्रकारिता से सीधे मायानगरी में कदम रखना, आपका यह सफर कैसा रहा ?
जवाब :- मजेदार, रोमांचक, तूफानी। एक तो अपने को बचाए और टिकाए रखने की जद्दोजहद और दूसरा फिल्मों के बनने का टेढ़ा-मेढ़ा रास्ता और उसके खट्टे-मीठे अनुभव। एक तो मुंबई की बाहरी दुनिया से तालमेल, द्वंद्व-प्यार का संबंध और दूसरा आपके भीतर आपके कहानियों के किरदारों से सजी पूरी दुनिया। ये सिर्फ इसी पेशे में हो सकता है। फिर देखते-देखते ओटीटी, डिजिटल की नई दुनिया खुल गई। नए माध्यम और नए हथियार मिल गए। तो, नए हथियारों से करतब भी नए दिखाने होंगे। पुराना खेला चलेगा नहीं। इस सबके बीच नौ दिन में चले ढाई कोस वाला सफर रहा है मेरा।
सवाल :- मायानगरी में क्या आपको किसी खास किस्म की परेशानियों से दो-चार होना पड़ा ?
जवाब :- सिर्फ मेरी बात नहीं है। मुझमें से ज्यादातर को यहां दो तरह की मुख्य परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। पहली जीने का संघर्ष और दूसरी कला का संघर्ष। जीने का सबका अपना-अपना संघर्ष होता है। कई साल तक बिना काम के और बिना काम की गारंटी के मुंबई जैसे महंगे शहर में रहना अपने आप में एक कला है, और मुंबई ये कला आपको सिखा भी देती है। बहुत लोग जुगाड़ू हो जाते हैं। बहुत लोग टूट जाते हैं। बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। जिस उम्र में आपके बाकी साथी लोग अपनी जिंदगी में आगे बढ़ रहे होते हैं आप कई सालों तक वहीं टिके रहते हो, सिर्फ एक उम्मीद में, अपने पर भरोसा करके, ये आसान नहीं है। कई बार ये तिल-तिल मरने जैसा होता है। पर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की एक खासियत है, 'देयर इज ऑलवेज ए चांस फोर यू'। और जब ये चांस आपको मिलता है फिर आप उस बॉल को कैसे खेलते हैं सब कुछ उस पर निर्भर करता है।
इसके अलावा एक दूसरा संघर्ष है जो आप कर रहे हैं उसे और कैसे बेहतर करें। एक कहानी सौ तरीके से कही जा सकती है। आप उसे कैसे उसके बेस्ट-वे में कह सकते हैं। हर फिल्म एक नई फिल्म होती है और आप वही पुराने आदमी होते हैं जो कल थे तो आज अपने को नया कैसे करें ? रोज नई होती दुनिया में अपने को, अपनी स्टोरी को, अपनी स्टोरी टेलिंग के स्टाइल को कैसे प्रासंगिक बनाए रख सकें।
सवाल :- क्या फिल्मी दुनिया और खासकर मायानगरी के बारे में जो आम राय है कि यहां आप बिना किसी सहारे के बहुत कुछ नहीं कर सकते, यह बात कहां तक सही है और इसको लेकर आपका अनुभव कैसा रहा ?
जवाब :- सिनेमा और क्रिकेट एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें पूरे भारत के लोग आना चाहते हैं और मौके यहां बहुत कम हैं। क्रिकेट में फिर भी आईपीएल आ गया। बीसियों नई टीम आ गई और प्लेयर्स के लिए मौके बहुत बढ़ गए। पर सिनेमा में ऐसा नहीं है। फिर यहां सक्सेस रेट भी बहुत कम मतलब प्वाइंट नाइन नाइन परसेंट जैसा है। फिर ऐसे में बहुत सी धारणाएं बनने लगती हैं। बिना गॉड फादर के कुछ नहीं कर सकते, बिना लक के कुछ नहीं होता वगैरह-वगैरह। लेकिन सबसे बड़ी बात है बिना मेरिट और हार्ड वर्क के यहां कुछ नहीं होगा। हो सकता है उसके साथ भी नहीं हो, पर उसके बिना तो होगा ही नहीं। सिनेमा की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके मालिक दर्शक हैं, जनता-जनार्दन है। वह जिसे चलाएगी वह चलेगा, जिसे बिठाएगी वो बैठेगा। बीच में कुछ मीडियेटर्स हैं जो अपनी तरह से गेम को इफेक्ट करने की कोशिश करते हैं। पर एक लिमिट से ज्यादा वह भी कुछ कर नहीं सकते।
सवाल :- आपने 'खाकी : द बिहार चैप्टर' की कहानी लिखी, उसके क्रिएटर नीरज पांडे के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा? इसके साथ ही इस वेब सीरीज को लिखते समय आपके मन में क्या चल रहा था?
जवाब :- नीरज पांडेय के साथ काम करने का मौका मिलना बड़ी बात थी। मैं इस मौके को जाया नहीं करना चाहता था। खाकी के लिए मुझसे पहले वह कई लेखक से मिल चुके थे, पर कोई उन्हें जंच नहीं रहा था। तब उन्हें डायरेक्टर शिवम नायर ने मेरा नाम सुझाया था। पहली ही मुलाकात में उन्होंने मुझे गो अहेड तो कह दिया। पर उनकी आंखों में हल्का सा अविश्वास मुझे दिखा था। कुछ दिन बाद जब मैंने उन्हें पहला एपिसोड मेल किया, उसके बाद हमारे बीच सब बदल गया। नीरज पांडेय सर ऐसे प्रोड्यूसर और क्रिएटर हैं, जो अपने राइटर को इम्पावर करते हैं, फ्री हैंड देते हैं। यह एक राइटर के तौर पर आपको और रिस्पांसिबल बना देता है। कहीं कुछ प्रॉब्लेम हो तो वे सिर्फ प्रॉब्लम नहीं बताते, सॉल्यूशन के साथ आते हैं। और सबसे बड़ी बात उनकी कंपनी में स्क्रिप्ट सबसे महत्वपूर्ण होती है। एक बार जब स्क्रिप्ट लॉक हो जाती है तो उसे और कोई बदल नहीं सकता। वहां स्क्रिप्ट बहुत स्ट्रिक्टली फॉलो होती है। जो जैसे लिखा है वह वैसे शूट होता है। डॉयलॉग्स के पॉज, कॉमा और फुल स्टॉप तक। इस सीरीज के लिखने से पहले मैं 'महारानी' का सीजन वन सुभाष कपूर सर के साथ लिख चुका था। 'महारानी' और खाकी दोनों बिहार बेस्ड था। ऐसे में मेरे लिए ये चुनौती थी कि दोनों की राइटिंग को एक-दूसरे से अलग कैसे रखूं और मुझे लगता है, मैं ये कर पाया।
सवाल :- क्या आपकी कहानी पर बनी फिल्म को दर्शक बड़े पर्दे पर जल्द देख पाएंगे, क्या फिलहाल ऐसा कोई प्रोजेक्ट आपके पास है ?
जवाब :- मेरी दो स्क्रिप्ट तैयार है। हम उसकी कास्टिंग कर रहे हैं। दोनों 2025 में आ सकती है।
सवाल :- आपकी आने वाली वेब सीरीज या फिल्म कौन-कौन सी है ?
जवाब :- 'महारानी 4' के लिए चैनल से बहुत प्रेशर है। पर मेरे को-राइटर और क्रिएटर सुभाष कपूर सर और हम सब की थोड़ी अपनी-अपनी व्यस्तताएं हैं। जितनी जल्दी हो पाए हम लोग उसे समेट कर महारानी 4 के बारे में सोचना शुरू करेंगे।
सवाल :- राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री के बीच आपको क्या-क्या समानता और अंतर नजर आता है?
जवाब :- दोनों बिजनेस है, पर बहुत अलग बिजनेस है। राजनीति तिकड़मी लोग चलाते हैं और सिनेमा क्रिएटिव लोग बनाते हैं।
सवाल :- आप मायानगरी में अपना भाग्य आजमाने के लिए आने वाले लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब :- मुंबई आना किसी की भी जिंदगी का एक बहुत बड़ा फैसला होगा, तो इसे एक बड़े फैसले की तरह ही यहां आने वाले लें। पहले अपने को बहुत तौल लें। कुर्सी की पेटी बांध लें फिर इस तूफानी सफर पर निकलें। अगर लेखक हैं तो बहुत सारे आइडियाज और स्टोरी के साथ आएं। और वे कम से कम वैसी हों कि कभी किसी को सुनाने का मौका मिले तो सामने वाले को ये नहीं लगे कि आपने उसका वक्त खराब किया है और आपके बाद वे किसी नए लेखक से मिलने से पहले दो बार सोचें। आइडयली तो आपके आइडियाज और स्टोरी ऐसी होनी चाहिए कि सामने वाला कुर्सी से खड़ा हो जाए। जिस दिन आप ऐसा कर पाए, जिस दिन आप कई मैसेजेज के बाद मिले पांच मिनट की मीटिंग को दो घंटे की मीटिंग में तब्दील कर ले गए, उस दिन आप अपने पहले फिल्म के बहुत करीब होंगे।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ की सेंट्रल जेल नंबर-2 के अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा है कि जेल प्रशासन के बयान झूठे हैं और वह रोजाना इंसुलिन की मांग कर रहे हैं। आप के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आप सूत्रों ने उनके पत्र का हवाला देते हुए कहा, “मैंने अखबार में तिहाड़ प्रशासन का बयान पढ़ा। बयान पढ़कर मुझे दुख हुआ। तिहाड़ के दोनों बयान झूठे हैं।”
आप सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा, “मैंने 10 दिनों से इंसुलिन का मुद्दा उठाया है। जो भी डॉक्टर मुझे देखने आए, मैंने उन्हें अपना बढ़ा हुआ शुगर लेवल दिखाया। मैंने उन्हें दिखाया कि हर दिन शुगर लेवल 3 बार 250-320 के बीच पहुंच जाता है। मैंने उन्हें यह भी दिखाया कि मेरा फास्टिंग शुगर लेवल हर दिन 160-200 के बीच था। लगभग हर दिन मैंने इंसुलिन की मांग की। आप ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं कि मैंने कभी इंसुलिन का मुद्दा नहीं उठाया?”
आप सूत्रों ने कहा कि एम्स के डॉक्टरों के साथ केजरीवाल के वीडियो कॉल में कभी भी चिंता नहीं करने का उल्लेख नहीं किया गया है, बल्कि उन्होंने कहा कि वे डेटा की जांच करने के बाद सूचित करेंगे।
आप सूत्रों ने कहा, ''तिहाड़ प्रशासन राजनीतिक दबाव में झूठ बोल रहा है।''
इससे पहले शनिवार को तिहाड़ जेल प्रशासन ने केजरीवाल और एम्स के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ के बीच एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें इंसुलिन का मुद्दा न तो केजरीवाल ने उठाया और न ही चिकित्सा विशेषज्ञों ने इसकी सिफारिश की।
जेल सूत्रों ने कहा, "यह परामर्श करीब 40 मिनट तक चला। दिल्ली के मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल के अनुरोध पर शनिवार को आयोजित किया गया था। केजरीवाल को आश्वासन दिया गया कि कोई बड़ी चिंता नहीं है। उन्हें दवाएं जारी रखने की सलाह दी गई, जिसका नियमित रूप से मूल्यांकन और समीक्षा की जाएगी।"
जेल सूत्रों ने कहा, "न तो केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा उठाया था और न ही डॉक्टरों ने इंसुलिन का सुझाव दिया।"
केजरीवाल कथित शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल नंबर 2 में बंद हैं। वह 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 22 अप्रैल । ममता सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2016 में शिक्षण और गैर-शिक्षण श्रेणियों में की गई सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया। इसमें ग्रुप-सी और ग्रुप-डी श्रेणियों में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी शामिल थे।
खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि नियुक्ति पाने वालों को चार सप्ताह के भीतर उनके द्वारा लिया गया पूरा वेतन वापस करना होगा। उन्हें यह रकम 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटानी होगी।
डब्ल्यूबीएसएससी को नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के अलावा, खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले में जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकती है, जिसे वह आवश्यक समझती है।
खंडपीठ ने सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन के राज्य कैबिनेट के फैसले पर भी संज्ञान लिया। डिविजन बेंच के आदेश के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर सीबीआई सुपर-न्यूमेरिक पोस्ट बनाने के पीछे के मास्टरमाइंड से भी पूछताछ कर सकती है।
ऐसा माना गया कि अवैध रूप से भर्ती किए गए अयोग्य उम्मीदवारों के लिए ही सुपर-न्यूमेरिक पद बनाए गए थे।
कोर्ट ने मानवीय आधार पर एक उम्मीदवार सोमा दास के मामले में एकमात्र अपवाद बनाया है। कैंसर की मरीज होने के कारण उनकी भर्ती रद्द नहीं की जायेगी।
खंडपीठ के आदेश के मुताबिक, डब्ल्यूबीएसएससी को सभी ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन (ओएमआर) शीट भी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी, ताकि आम लोग उन तक पहुंच सकें।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी के लिए करोड़ों रुपये के नकद मामले से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति बसाक और न्यायमूर्ति रशीदी की खंडपीठ का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ को समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया था।
मामले की सुनवाई 20 मार्च को पूरी हो गई थी। लेकिन डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
(आईएएनएस)