पत्नी-पद पर काबिज पति
इसे पत्नी के पद को इंजाय करना कहेंगे या पत्नी के सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप। देश भर में ऐसे कई दृष्टांत पर सुप्रीम कोर्ट भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि पत्नी के कामकाज में पतियों के हस्तक्षेप पर फटकार लगा चुकी है। इतना ही नहीं प्रदेश में भी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय महिला बाल विकास मंत्री रही रमशिला साहू के पति को संगठन ने ताकीद किया था। दयाराम साहू ने धमतरी में एक विभागीय बैठक लेकर अधूरी योजनाओं को लेकर अफसरों को फटकार लगाई थी। पत्नियों के सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप का यह सिलसिला अभी भी जारी है। खासकर निगमों में पार्षद-जोन अध्यक्ष, पंच-सरपंच जनपद-जिला पंचायतों में। पति अभी भी बैठकें कर अफसरों को निर्देश दे रहे हैं। राजधानी के दो जोन में पति ही अध्यक्ष हैं । तो पांच पति एमआईसी सदस्य। लेकिन यहां चर्चा एक जोन अध्यक्ष के बोर्ड की कर रहे हैं। घर का पता बताने वाला यह बोर्ड पति को ही जोन अध्यक्ष साबित कर रहा है। पति पिछले कार्यकाल में पार्षद रहें। इस बार पत्नी। और काफी जोड़ तोड़ के बाद वह जोन अध्यक्ष बनीं। वैसे यह अकेले नहीं हैं कुछ और भी पति पार्षद की भूमिका में हैं। इससे निगम का अमला काफी परेशान है।
जेल का हल्ला सुविधाओं के लिए?

रायपुर सेंट्रल जेल के एक कैदी के फरार होने का प्रकरण राजनीतिक रंग ले रहा है। कैदी, जेल के बाहर कवर्धा सदन के निर्माण कार्य में लगा था। दरअसल, पुराने डीजी जेल के दफ्तर को कवर्धा सदन का रूप दिया गया है। कवर्धा, गृहमंत्री विजय शर्मा का विधानसभा क्षेत्र क्षेत्र है। वहां से आने वाले लोगों के लिए कुनकुरी सदन की तर्ज पर कवर्धा सदन बनाया जा रहा है, और अब जब कैदी फरार हुआ,तो? कांग्रेस ने गृहमंत्री विजय शर्मा को निशाने पर लिया है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने एक कदम आगे जाकर प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की है। बघेल के कवर्धा सदन के निर्माण पर भी सवाल खड़े किए हैं। जेल प्रशासन ने कैदी होने के प्रकरण पर स्पष्टीकरण दिया है, और अब तक की कार्रवाई का ब्यौरा दिया है। बावजूद इसके मामला शांत होता नहीं दिख रहा है।
रायपुर सेंट्रल जेल में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल, पूर्व मंत्री कवासी लखमा सहित कई प्रभावशाली लोग बंद है। बताते हैं कि प्रभावशाली विचाराधीन बंदियों, और जेल प्रशासन के बीच ठनी हुई है। बंदियों ने प्रशासन पर प्रताडऩा का आरोप लगाया है। चैतन्य की याचिका पर तो हाईकोर्ट ने चिकित्सा सुविधा, और जेल मैन्युअल के मुताबिक सुविधाएं देने के आदेश दिए हैं।
इस पूरे मामले पर भाजपा आगे आई है, और यह कहा जेल प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। यह कहा जा रहा है नामचीन कैदियों की तरफ से मोबाइल फोन, अलग बैरक, घर का खाना- मिनरल वाटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। बड़े लोग हैं, तो सुविधाओं की बात तो होगी ही।
दोस्ती का धुआँ और गद्दारी की राख

इसी अपने देश में अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम पर घी के दीपक जलाए गए, उनकी जीत की कामना के लिए हवन हुए। संदेश यह दिया गया कि वाशिंगटन से लेकर वाराणसी तक ट्रंप की दोस्ती का नया नाम है। मगर, अब हालत बदल गए हैं। ट्रंप ने भारतीय माल पर मनमाना टैरिफ की तलवार लहरा रखी है। लाखों लोग बेरोजगार हो रहे हैं, सैकड़ों उद्योग धंधे ठप होने जा रहे हैं। ऐसे में यदि किसी सडक़ पर यदि ट्रंप का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार कर दिया जाए तो आश्चर्य क्यों होना चाहिए? जैसा कि पोस्टर से ही स्पष्ट है, यह तस्वीर भोपाल की है।
छत्तीसगढ़ में हाल ही में बिजली बिल पर दी जाने वाली रियायत घटा दी गई है। इसकी जगह पर पीएम सूर्य घर योजना को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बिजली बिल हाफ पर क्यों जा रहे हैं, पूरी बिजली ही फ्री में लीजिए। अपने घर में छतों पर सोलर पैनल लगाइये, केंद्र की तरफ से अनुदान तो है ही, राज्य सरकार ने भी इसमें अपनी सहायता जोड़ दी है। बाकी रकम की व्यवस्था ऋण से करें जिसकी किश्त बिजली बिल के बराबर या उससे कम हो सकती है। अतिरिक्त बिजली बेच सकते हैं। कोयले और पानी पर निर्भर परंपरागत बिजली की जगह सूर्य से ऊर्जा एकत्र करना एक अच्छा कदम है। कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की वैश्विक प्रतिबद्धता के साथ भारत भी जुड़ा हुआ है। इसलिए भी इस योजना का प्रचार किया जा रहा है। पर बिहार, जहां चुनाव है- वहां हो रही अनेक घोषणाओं में से एक यह भी है कि 125 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी। सूर्य बिजली घर को लेकर कोई चुनावी वायदा नहीं है। जब पारंपरिक बिजली को हतोत्साहित किया जाना है, लोगों को अक्षय ऊर्जा अपनाने के लिए प्रोत्साहन देना है तो फिर बिजली बिल का छोटा सा हिस्सा ही सही, फ्री करने की बात क्यों हो रही है? छत्तीसगढ़ में सरकार भाजपा की है और बिहार में भी वह सरकार में शामिल है। छत्तीसगढ़ के दिसंबर 2023 के चुनाव में महतारी वंदन योजना हिट रही। महिलाओं के हाथ में सीधे कैश देने की लुभावनी स्कीम ने परिणाम ही बदल दिया। अब बिहार में नीतीश कुमार मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि एक परिवार से एक महिला के खाते में इसी सितंबर माह के दौरान 10-10 हजार रुपये डाले जाएंगे। कहा यह जा रहा है कि वे इस राशि से जैसी मर्जी वैसा कारोबार शुरू कर लें। अब, 10 हजार रुपये में कौन सा व्यापार किया जा सकता है? हां, जिनके खाते में चुनाव के पहले ठीक पैसे आ जाएंगे वे वोट देते समय सरकार की इस दरियादिली को कैसे भूलेंगे? छत्तीसगढ़ में अगला विधानसभा चुनाव सन् 2028 में है। मगर, पश्चिम बंगाल और केरल जैसी जगहों में इसी तरह की घोषणाएं देखने को मिल सकती हैं।