राजपथ - जनपथ
संगमरमर में से बस मर मर बचा !
जब तक लोग सत्ता पर रहते हैं तब तक उनका पसीना भी गुलाब होता है। लेकिन सत्ता से उतरने के बाद हाल बुरा हो जाता है। खासकर तब जब किसी दूसरी पार्टी की सरकार आ जाती है, या अपनी ही पार्टी के किसी विरोधी खेमे की सरकार आ जाती है। अब बिलासपुर के तिफरा के हाईटेक बस स्टैंड को 7 करोड़ से अधिक की लागत से बनाया गया था। और यहां पर एक-एक पौधा लगाने के लिए एक-एक नेता के नाम संगमरमर में कुरेदकर उन्हें जड़ा गया था। पौधे तो खैर कुछ महीनों में खत्म हो जाने थे, जो कि हो चुके, लेकिन इन पत्थरों के सामने जिस दर्जे का घूरा इक_ा है, वैसा घूरा तो मुहल्लों में भी नहीं दिखता है। अब जिन चार लोगों के नाम संगमरमर में लिखाए थे, उनमें से दो तो रायपुर में बसे हैं, लेकिन दो तो बिलासपुर में ही रहते हैं। उस वक्त के विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, और उस वक्त के ताकतवर मंत्री अमर अग्रवाल ये तो बिलासपुर के ही बाशिंदे हैं। उन्हें जाकर एक बार यह देखना चाहिए कि इनके लगाए पौधों का क्या हाल है, और इनके लिए लगाए गए संगमरमर का क्या हाल है। उसमें से महज संग बच गया है, बाकी सब मर मर गया है। तस्वीरें खींचकर इस तरफ ध्यान खींचा बिलासपुर के सत्यप्रकाश पांडेय ने। इस तरह के चबूतरे और ऐसे संगमरमर की तस्वीरें देखकर कुछ लोगों ने सत्यप्रकाश पांडेय से कहा कि ऐसा लग रहा है कि किसी की समाधि की ऐसी दुर्गति हो रही है।
जानवर और इंसान में फर्क !
सरगुजा में हाथी इंसानों को मार रहे हैं, और शायद कुछ इंसान जहर देकर हाथियों को भी। और इनके बीच में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी निलंबित हो गए हैं, जो कि जिम्मेदार हैं, या नहीं, इसका कोई सुबूत अभी नहीं मिला है। यह भी सुबूत नहीं मिला है कि इनकी लापरवाही से तीन हथिनियां मरी हैं। अगर गांव के लोगों ने उन्हें जहर देकर मारा है, तो भी सजा ऐसे लोगों को मिलनी चाहिए थी, न कि वन विभाग के लोगों को। लेकिन सरकार तो सरकार होती है, जब उसे लगता है कि कुछ करते हुए दिखना है, तो बिना सुबूत सारे अमले को सस्पेंड कर दिया।
अभी दस दिन पहले राजधानी रायपुर में इस बात के वीडियो सुबूत सामने आए थे कि एक जगह कंटेनमेंट इलाका बनाने के बाद भी वहां से लोग निकल रहे थे, और वहां का थाना इंचार्ज भयानक बुरी तरह लाठी से उनका बदन तोड़ रहा था। उसके खिलाफ तो वीडियो सुबूत भी थे, लेकिन न तो वह सस्पेंड हुआ, न उसकी बर्खास्तगी हुई, उसे महज लाईन अटैच करके विभागीय जांच शुरू करवा दी गई जो कि पुलिस का ही एक अफसर कर रहा है। अब लोगों का कहना है कि इंसानों की हड्डियां तोडऩे सरीखी लाठी मारो तो लाईन अटैच, और जानवरों को मारने में कोई जिम्मेदारी न भी दिख रही हो, तो भी निलंबित। अब वन मंत्री मो. अकबर को तो ऐसी कार्रवाई करने से पहले सोचना था कि उन्हीं के शहर में उन्हीं की समझी जाने वाली पुलिस की भयानक मार के वीडियो सुबूत मौजूद थे, फिर भी मारने वाले अफसर का निलंबन नहीं हुआ। जानवर और इंसान के बीच इतना बड़ा सरकारी फर्क !
क्रॉस वोटिंग का सौदा और जांच
रायपुर नगर निगम के जोन अध्यक्ष के चुनाव में क्रास वोटिंग के प्रकरण की जांच के लिए कांग्रेस ने टीम बनाई है। क्रास वोटिंग की वजह से जोन क्रमांक-3 में कांग्रेस के अनिमेष भारद्वाज अध्यक्ष बनने से रह गए। सुनते हैं कि भाजपा के कुछ नेताओं ने दो और जोन में अपना अध्यक्ष बिठाने तैयारी कर ली थी। दो निर्दलीय पार्षद अमर बंसल और गोपेश साहू को भाजपा में शामिल कराकर उन्हें अध्यक्ष बनाने की योजना बनाई थी। मगर भाजपा के एक पूर्व मंत्री के कड़े विरोध के चलते उन्हें अध्यक्ष पद का प्रत्याशी नहीं बनाया गया। बाद में दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस का साथ देकर उनके उम्मीदवारों के जोन अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ कर दिया।
जिस जोन क्रमांक-3 में कांग्रेस का बहुमत था वहां भाजपा के प्रत्याशी को सफलता मिली। कांग्रेस की जांच समिति इस पूरे मामले की पड़ताल कर रही है और यह भी स्पष्ट हुआ है कि क्रास वोटिंग के एवज में लेन-देन भी हुआ है। क्रास वोटिंग करने वाला पार्षद भी चिन्हित हो गया है। अब दिक्कत कार्रवाई को लेकर है। कांग्रेस का एक खेमा चाहता है कि नोटिस देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए। क्योंकि कांग्रेस को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली है। जबकि दूसरा खेमा इस मामले पर कड़ी कार्रवाई के पक्ष में है।
चर्चा है कि भाजपा के एक कारोबारी नेता के घर में क्रास वोटिंग के लिए डील हुई थी। इसमें दो युवक कांग्रेस नेताओं ने अहम भूमिका निभाई थी। वैसे तो दो कांग्रेस पार्षदों को क्रास वोटिंग के लिए तैयार किया गया था, लेकिन एक ने डील पक्की होने के बावजूद अंतिम समय में क्रास वोटिंग करने से मना कर दिया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस संगठन न सिर्फ पार्षद बल्कि दोनों युवा कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकती है।