राजपथ - जनपथ

धनिक वर्ग से सरकारी सब्सिडी छोडऩे की अपेक्षा रहती है। पीएम की अपील पर लाखों लोगों ने रसोई गैस पर सब्सिडी छोड़ी भी है। लेकिन प्रदेश में कई नामी-गिरामी लोग सब्सिडी लेने में आगे रहे हैं। हार्टीकल्चर विभाग से तो बड़े पैमाने पर प्रभावशाली लोगों ने सब्सिडी हासिल की है।
विभाग से पॉली हाउस बनाने के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती रही है। वर्ष-2015-16 में एक सीनियर आईएएस ने अपने फॉर्म में पॉली हाउस बनाने के लिए लाखों रूपए की सब्सिडी हासिल की। खुद कृषि विभाग के मुखिया रहे हैं। खास बात यह है कि किसानों को मिलने वाली सब्सिडी अपनी पत्नी के नाम पर ली है। जबकि पत्नी भी सरकारी मुलाजिम हैं। विभाग के जानकार लोगों के बीच यह भी चर्चा है कि लाखों रुपये महीने तनख्वाह पाने वाले लोग अपने फॉर्म पर काम करने के लिए दर्जनों सरकारी कर्मचारियों को जिस तरह झोंककर रखते आए हैं वह भी सरकार में फेरबदल होने के बाद ही बंद हो पाया है।
न सिर्फ अफसर बल्कि प्रदेश के तीन बड़े उद्योगपतियों ने भी खुद को किसान बताकर पॉली हाउस बनाने के लिए सब्सिडी ली है। कुछ लोगों ने सूचना के अधिकार के जरिए प्रभावशाली- किसानों को मिलने वाली सब्सिडी की सूची हासिल कर ली है। देर-सवेर यह मामला गरमा सकता है। वैसे भी, निर्माण विभाग की तरह कृषि विभाग भी पिछले 15 सालों में भ्रष्टाचार को लेकर कुख्यात रहा है। सरकार बदलने के बाद कृषि विभाग में भ्रष्टाचार के कई प्रकरणों पर ईओडब्ल्यू-एसीबी ने जांच शुरू की है। (rajpathjanpath@gmail.com)