राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दो पर कब्जा, एक पर सौदा बाकी
28-Jul-2025 6:19 PM
राजपथ-जनपथ : दो पर कब्जा, एक पर सौदा बाकी

दो पर कब्जा, एक पर सौदा बाकी

लगता था कि दिल्ली, नोएडा और मुंबई तक ही मीडिया का कॉरपोरेटाइजेशन सीमित है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय स्थानीय चैनल सीसीएन और बीसीसी को अब एक बड़े कारोबारी समूह जीटीपीएल ने खरीद लिया है। जीटीपीएल यानि गुजरात टेली लिंक प्राइवेट लिमिटेड। एक और बड़े प्रसार वाले ग्रैंड न्यूज चैनल के साथ इनका सौदा नहीं हो पाया है। जब एनडीटीवी की फंडिंग कंपनी को खरीदकर अडानी ने अपने कब्जे में लिया था तो मीडिया जगत में हाहाकार मचा था। मगर, स्थानीय चैनलों के साथ हुई यह सौदेबाजी चर्चा में ज्यादा नहीं है। जीटीपीएल ने हैथवे को भी एक सहायक कंपनी बताया है। हैथवे का नेटवर्क पूरे देश में फैला है। ग्रैंड के गुरुचरण सिंह होरा और सीसीएन के अशोक अग्रवाल दोनों ही हैथवे के जरिये ग्राहकों को चैनलों की सेवा पहुंचाते थे। दोनों के बीच लेन-देन को लेकर बड़ा विवाद भी हुआ, मामला थाना-कचहरी तक पहुंचा।

जीटीपीएल को रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी बताया गया है, जिसका स्वामित्व अंबानी के हाथ में है। ऐसी चर्चा कुछ हलकों में है कि इस नए नेटवर्क फैलाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रुचि रही।

ये स्थानीय केबल नेटवर्क चार पांच चैनल चलाते हैं, जिनमें कम से कम एक समाचारों का जरूर होता है। इन स्थानीय चैनलों के साथ कम से कम यह बात तो रही है कि वे यदि सीधे कलेक्टर या स्थानीय मंत्री पर हमला न करें तो उनके काम पर हस्तक्षेप नहीं होता है। सडक़ों, स्कूलों, अस्पतालों की दुर्दशा और नीचे के स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने में इन चैनलों की भूमिका रही है, जो सरकारों के खिलाफ जाती है। पर, अब जब गुजरात की कंपनी ने इसे खरीद लिया है तो ऐसी खबरों को कितनी जगह मिलेगी, यह देखना होगा।

अब जब जीटीपीएल ने सौदा कर लिया है तो इनमें काम करने वाले कर्मचारियों का क्या होगा? बात यह निकल रही है कि तकनीकी फील्ड में काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारियों को तो पुरानी सेवा शर्तों पर ले लिया गया है, लेकिन रिपोर्टर्स और एडिटर्स को खुद रेवन्यू जनरेट करने कहा गया है। इसके लिए विज्ञापनों का एक हिस्सा उनके हाथ आएगा। न केवल न्यूज चैनल के विज्ञापन बल्कि अन्य चैनल जो गाने और फिल्मों के हैं, उनमें भी मिलने वाले विज्ञापन। इसका अभी प्रबंधन बाकी है। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई जैसे शहरों से मिलने वाले रेवन्यू का आकलन किया जा रहा है। इसे देखने के लिए एक प्रबंधक भी होगा। जीटीपीएल की असल दिलचस्पी न्यूज नेटवर्क पर बताई जा रही है, जिसका उसी तरह इस्तेमाल होगा, जैसा सेटेलाइट और केबल के जरिये चलने वाले न्यूज चैनलों का होता है।

संगठन में नए चेहरे

भाजपा में हफ्ते-दस दिन के भीतर संगठन, और सरकार में पद बंट सकते हैं। प्रदेश भाजपा संगठन के पदाधिकारियों की सूची लगभग तैयार हो गई है। इससे परे निगम-मंडलों में उपाध्यक्ष, और सदस्य मिलाकर 50 से अधिक नियुक्तियां होंगी।

चर्चा है कि पार्टी ने संगठन में नए चेहरों को अहम जिम्मेदारी देने का मन बनाया है। पार्टी पदाधिकारियों के चयन में सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखा है। कांग्रेस में तो जिला अध्यक्ष, और अन्य पदों पर अजा-अजजा, और पिछड़ा वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक तरह से आरक्षण लागू कर रही है। मगर भाजपा में ये काम नियम बनाए बिना चुपचाप हो रहा है। 

चर्चा है कि भाजपा ने पदाधिकारियों की नियुक्ति में क्षेत्रीय संतुलन को भी ध्यान में रखा है। महामंत्री पद के लिए जिन नामों पर मुहर लगने की चर्चा है, उनमें पूर्व विधायक रजनेश ंिसंह, पूर्व विधायक नवीन मारकंडेय, भरतलाल वर्मा और अंबिकापुर के अखिलेश सोनी का नाम हैं।

कुछ सीनियर नेताओं को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ये वो नेता हैं जो कि पहले जिलाध्यक्ष या अहम पदों पर रहे हैं। स्पीकर डॉ. रमन सिंह के पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह को भी अहम जिम्मेदारी मिलने के संकेत हैं। हालांकि इस पर फैसला होना बाकी है। कई मौजूदा पदाधिकारियों को निगम-मंडलों में एडजस्ट किया जा सकता है। कुल मिलाकर पार्टी की दूसरी पीढ़ी के नेताओं को आगे लाने की मंशा है। ज्यादातर पदाधिकारी 55 वर्ष से कम आयु के होंगे। देखना है किसको क्या कुछ मिलता है।

रवि भगत की राजनीति

डीएमएफ के मसले पर अपनी ही पार्टी के नेता, और सरकार के मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोलना प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष रवि भगत को भारी पड़ गया। उन पर पार्टी से निष्कासन की तलवार लटकी है। पार्टी ने उन्हें सात दिन के भीतर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। चर्चा है कि रवि भगत पिछले कुछ समय से नाराज चल रहे हैं। नाराजगी की एक प्रमुख वजह ये बताई जा रही है कि वो अपनी पत्नी को जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनवा चाह रहे थे। मगर पार्टी इसके लिए तैयार नहीं हुई। रायगढ़ जिला पंचायत उपाध्यक्ष पद पर पार्टी ने दीपक सिदार का नाम तय किया, जो कि भगत के ही इलाके लैलूंगा से ही आते हैं। कहा जा रहा है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों ही वित्त मंत्री ओपी चौधरी की पसंद पर तय किए गए थे। इसके बाद से भगत नाराज चल रहे थे। और जब डीएमएफ के खर्चों को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी की, तो पार्टी ने सख्ती दिखाई है।

इधर, रवि भगत की नाराजगी को कांग्रेस अवसर के रूप में देख रही है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने उनकी नाराजगी को वाजिब ठहराया है, और  समर्थन किया है। कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी, रवि भगत से मिलने उनके लैलूंगा स्थित घर भी गए थे। हल्ला है कि रवि भगत किसी तरह की कार्रवाई होने की दशा में कांग्रेस की तरफ रुख कर सकते हैं। मगर कुछ लोग उनकी पृष्ठभूमि को देखकर कांग्रेस में जाएंगे, इसकी संभावना कम देखते हैं।

 रवि भगत संघ परिवार से जुड़े हैं। वो अखिल भारतीय परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी रह चुके हैं। धर्मांतरण आदि के मसले पर काफी मुखर रहे हैं। उनकी सोच कांग्रेस से मेल खाती नहीं दिखती है। फिर भी कभी प्रदेश भाजपा के आधार स्तंभ में रहे नंदकुमार साय पार्टी छोड़ सकते हैं, तो रवि भगत भी ऐसा कर सकते हैं। देखना है आगे क्या कुछ होता है।

सेंट्रल आईएएस एसो. में 36गढ़

केंद्रीय विभागों में कार्यरत आईएएस अफसरों के संगठन सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन के दो दिन पहले चुनाव हुए। गुजरात, महाराष्ट्र और  उत्तर भारत के अफसरों के दबदबे वाले इस संगठन के अध्यक्ष तमिलनाडु कैडर के वरिष्ठतम अफसर एस कृष्णन अध्यक्ष चुने गए। दिग्गज अफसरों के बीच से एक नाम पर सहमति बड़ा कठिन था। और नए अध्यक्ष ने अपनी कार्यकारिणी के 18 सदस्यों का चयन भी किया। इस बार  इसमें छत्तीसगढ़ को भी स्थान मिला है। नौ कार्यकारिणी सदस्यों में 04 बैच के आईएएस प्रसन्ना आर भी शामिल किए गए हैं। प्रसन्ना कुछ महीने पहले ही गृह मंत्रालय में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं ।

वे दिल्ली जाने से पहले छत्तीसगढ़ आईएएस एसोसिएशन के भी सचिव रहे हैं।  इस चुनाव से जुड़े अफसरों का कहना है कि करीब एक दशक बाद सेंट्रल एसोसिएशन में छत्तीसगढ़ को यह अवसर मिला है। यह संगठन राज्यों के संगठनों की तरह प्रो गवर्नमेंट नहीं माना जाता। इसका अपना एक दबदबा रूतबा है। इसलिए  इन वरिष्ठ अधिकारियों का चुनाव भारतीय नौकरशाही को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है।

 एसोसिएशन की विभिन्न बैचों और राज्य संवर्गों के अधिकारियों की चिंताओं, कल्याण और व्यावसायिक विकास को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। नवनिर्वाचित नेतृत्व  संवर्ग से संबंधित विभिन्न मुद्दों को उठाएगा, नीतिगत चर्चाओं में शामिल होगा और अपने सदस्यों के बीच सामुदायिक भावना को बढ़ावा देगा।

राजधानी रायपुर: बुलेट के हॉर्सपावर के साथ बददिमाग़ी भी आ जाती है। मोटरसाइकिल पर ब्लैकलिस्टेड लिखवाने की फ़ुरसत है, लाडो लिखवाने की फुरसत है, लेकिन नंबरप्लेट की जगह सिर्फ 46 लिखवाकर ताकत दिखाई जा रही है।

तस्वीर/ छत्तीसगढ़/ जय गोस्वामी


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