राजपथ - जनपथ
आखिर प्रतिमा ने सूरज देखा
राजधानी रायपुर के फुंडहर चौक पर सीएम विष्णुदेव साय ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर गुरुवार को प्रतिमा का अनावरण किया। छत्तीसगढ़ निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पिछले तीन माह से लगकर तैयार थी। मगर अलग-अलग कारणों से टलती रही।
भाजपा संगठन के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी से अटल जी की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम तैयार किया था। पहले राज्योत्सव के मौके पर पीएम के हाथों अनावरण होना था, लेकिन उसी दौरान पीएम का विधानसभा परिसर में अटल जी की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम था। इसलिए फुंडहर चौक की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम को आगे बढ़ा दिया गया। इसके बाद पीएम 28 से 30 नवंबर तक डीजीपी-आईजी कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में रायपुर में थे। पार्टी संगठन ने प्रतिमा अनावरण के लिए पीएमओ को प्रस्ताव भेजा था। मगर पीएमओ से यह संदेश दिया गया कि पीएम, डीजीपी-आईजी कॉन्फ्रेंस को छोड़ किसी और कार्यक्रम में नहीं शामिल होंगे। अंतत: प्रतिमा अनावरण के साथ रोड-शो का कार्यक्रम टल गया। आज अटल जी का 101वां जन्मदिवस है। पार्टी की पहल पर सीएम ने पीएम की प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर डिप्टी सीएम अरुण साव, और पार्टी के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे।
सलामी गारद का विसर्जन
छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को एक आदेश जारी कर मंत्रियों, नेताओं, और सीनियर अफसरों को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा को समाप्त कर दिया है। ब्रिटिश शासन के समय से चली आ रही परंपरा को खत्म करने की पहल खुद डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने की। वो खुद भी इसके दायरे में आएंगे।
राज्य के भीतर मंत्रियों के सामान्य दौरों, आगमन-प्रस्थान, और निरीक्षण के दौरान गृह मंत्री व अन्य मंत्रियों, डीजीपी के अलावा अन्य सीनियर अफसरों को जिले के दौरे, भ्रमण या निरीक्षण के समय गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता रहा है। इस प्रचलित व्यवस्था में संशोधन किया गया है। यह फैसला अचानक नहीं लिया गया। चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में गार्ड ऑफ ऑनर से जुड़े हाल ही में एक विवाद को ध्यान में रखकर फैसला लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पिछले दिनों प्रख्यात कथावाचक पुंडरीक महाराज को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस पर काफी विवाद हुआ, और इस मामले में एसपी को जवाब-तलब किया गया। बताते हैं कि बहराइच एसपी रामनयन सिंह खुद परेड के आगे चल रहे थे। इस पर राजनीतिक दलों ने एसपी की काफी आलोचना की है। प्रोटोकॉल के मुताबिक संवैधानिक पदों पर आसीन अतिविशिष्ट व्यक्तियों, और मंत्रियों को ही गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा रही है। मगर एसपी ने इसका ध्यान नहीं रखा। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस तरह के विवादों से बचने के लिए पहले ही नियमों में संशोधन कर दिया है।
हालांकि सरकार की तरफ से यह कहा गया कि पुलिसबल की कार्यक्षमता बढ़ाने, और औपनिवेशिक परंपराओं को समाप्त करने के उद्देश्य से गार्ड ऑफ ऑनर से जुड़े नियमों में संशोधन किया गया। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, शहीद पुलिस स्मृति दिवस, राष्ट्रीय एकता दिवस, राजकीय समारोह, पुलिस दीक्षांत समारोहों और वीवीआईपी के लिए गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।
निगम-मंडल की अगली लिस्ट?
चर्चा है कि सरकार के निगम-मंडलों के पदाधिकारियों की एक और लिस्ट विधानसभा के बजट सत्र के बाद जारी हो सकती है। पार्टी ने निगम-मंडलों के उपाध्यक्ष, और संचालकों की सूची तैयार रखी है। ये सूची जारी होने वाली थी, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने थोड़ा और रुक कर जारी करने का फैसला लिया है।
बताते हैं कि निगम-मंडलों के पदाधिकारियों की सुविधाओं को लेकर पहले से ही किचकिच चल रही है। जरूरी नियुक्तियां हो चुकी है। ऐसे में बजट सत्र के बाद 50 से अधिक नेताओं को निगम-मंडलों में पद दिए जाएंगे। इससे पहले पार्टी प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों की सूची को अंतिम रूप देने में लगी है। प्रदेश कार्यकारिणी की सूची अगले दो-तीन दिनों में जारी हो सकती है।


