राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बाघ संरक्षण से पिंड छुड़ाने की नीति
15-Feb-2025 4:06 PM
राजपथ-जनपथ : बाघ संरक्षण से पिंड छुड़ाने की नीति

बाघ संरक्षण से पिंड छुड़ाने की नीति

अचानकमार की रेस्क्यू बाघिन मध्यप्रदेश के संजय डुबरी टाइगर रिजर्व में 10 दिन भी नहीं टिक पाई और संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। पहले चिरमिरी से बाघिन को पकडक़र अचानकमार में छोड़ा गया, लेकिन वह वापस लौट गई। फिर उसे मध्यप्रदेश भेज दिया गया, जहां उसकी संदिग्ध मौत हो गई। इस बीच, लमनी क्षेत्र में एक अन्य बाघिन का शव भी मिला, लेकिन वन विभाग की चुप्पी जारी रही। जब बारनवापारा अभयारण्य के कॉलर लगे बाघ को अचानकमार में छोडऩे की बात आई, तब भी अधिकारियों ने उसे स्वीकारने से इनकार कर दिया। यही रवैया इस बाघिन के मामले में भी अपनाया गया। जब वन्य जीव प्रेमियों ने वन अफसरों को सुझाव दिया कि बाघिन को अचानकमार में ही टिकाये रखने के प्रबंध किए जाएं तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि उस पर भी हमला हो सकता है। जिस तरह एक बाघिन मारी गई, दूसरे की भी मौत हो सकती है।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वन विभाग बाघों के संरक्षण में गंभीर है, या सिर्फ उनसे पिंड छुड़ाने की नीति पर काम कर रहा है? बेलगाम अफसरों की कार्यशैली और अनुभवहीन नेतृत्व के चलते बाघ संरक्षण मजाक बनकर रह गया है। छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश बाघ कॉरिडोर भी असुरक्षित है, लेकिन वन विभाग इस पर कोई ठोस कदम उठाने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जब तक इस पर जवाबदेही तय नहीं होती, ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।

‘फुटकल’ का मौसम आ गया

झारखंड में बेहद उगाया जाने वाला च्फुटकलज् छत्तीसगढ़ में भी कई स्थानों पर दिखाई देता है। इसकी कोंपल और पत्तियां बेहद बहुपयोगी हैं। चटनी, अचार, ग्रेवी, सब्जी और यहां तक कि माड़ बनाने में भी इसका उपयोग होता है। झारखंड में इसे सुखाकर पूरे साल इस्तेमाल करने का चलन है। छत्तीसगढ़, जहां पारंपरिक और आदिवासी व्यंजनों की समृद्ध विरासत है, वहां फुटकल के लिए संभावनाएं व्यापक हैं। जरूरत है इसकी उपज बढ़ाने की, सही माध्यम और बाजार उपलब्ध कराने की। वन संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ में फुटकल जैसी बहुपयोगी वन उपज न सिर्फ पोषण का स्रोत बन सकती है, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के लिए आय का जरिया भी साबित हो सकती है।

फुटकल 20 से 30 मीटर ऊंचा वृक्ष होता है, जो अल्प पतझड़ के बाद फरवरी से मार्च के मध्य तक फूलों से भर जाता है। हरी सब्जियों की कमी वाले मौसम में फुटकल बाजार में नजर आने लगती है, जिसकी कीमत 100 से 150 रुपये प्रति किलो तक होती है। यह तस्वीर झारखंड-छत्तीसगढ़ बॉर्डर के एक गांव की है, जहां सडक़ पर फुटकल बेची जा रही है।

दारू की नदियां

नगरीय निकाय, और पंचायत चुनाव के चलते प्रदेश में अवैध शराब की बाढ़ आ गई है। आबकारी अमले ने अलग-अलग जगहों पर करीब ढाई करोड़ से अधिक की अवैध शराब पकड़ी है, जो कि मतदाताओं को प्रलोभन देने के लिए मंगाई गई थी। इन सबके बीच रायगढ़ में देर रात शराब से भरी एक कंटेनर के पलटने की खबर चर्चा में रही। कंटेनर के पलटते ही चालक, और परिचालक भाग खड़े हुए।

बताते हैं कि ये शराब उत्तर प्रदेश से लाई जा रही थी, और पुलिस का दावा है कि शराब भूटान ले जाया जा रहा था। मगर शराब कंटेनर पलटते ही ग्रामीण टूट पड़े, और पुलिस के पहुंचने से पहले ही शराब ले गए। चर्चा तो यह भी है कि पंचायत चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब मंगाई गई थी। यह शराब किसने मंगाई थी, यह साफ नहीं है। मगर यह जरूर स्पष्ट हो रहा है कि उत्तर प्रदेश और झारखंड से बड़ी मात्रा में शराब पहुंच रही है, और सीमावर्ती चेकपोस्ट पर अपेक्षाकृत जांच पड़ताल में ढिलाई बरती जा रही है।

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