धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 28 जनवरी। सामाजिक संगठनों में बढ़ते राजनीतिकरण पर चिंता जताते हुए छत्तीसगढ़ सर्व साहू समाज के प्रदेश संयोजक गोविंद साहू मेघावाले ने इस पर रोक लगाने की जरूरत बताते हुए कहा कि ऐसे संगठनों का मूल उद्देश्य समाज को ऊंचा उठाना, सबल, सशक्त, अग्रगामी एवं प्रगतिशील बनाना होता है।
उन्होंने जारी बयान में कहा है कि समाज को संगठित करने, पद-प्रतिष्ठा एवं सम्मान देने, आपसी समन्वय और बंधुत्व स्थापित करने, सम्पर्क और सूचना प्रदान करने, वैवाहिक व व्यापारिक संबंध बढ़ाने, शिक्षित व सुसंस्कृत, समझदार और चिंतनशील, श्रमशील एवं कार्यकुशल बनाने का प्रयास करना किसी भी सामाजिक संगठन का काम होता है, लेकिन वर्तमान में हमारे प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के एक या दो संगठन को छोडक़र शेष सभी संगठन ‘राजनीतिक पार्टियों की तजऱ् पर निर्मित संगठन’ हैं। इसे सामाजिक संगठन न कहकर राजनीतिक फिरका ही कहना चाहिए। करोड़ों की संख्या वाले वृहत समाज में से कुछ सैकड़े या हजार व्यक्तियों को जोडक़र बनाएं संगठन को राष्ट्रीय या प्रादेशिक संगठन कहना भी बेमानी लगता है। श्री साहू का कहना है कि बहुत से सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी जिस राजनीतिक पार्टी से संबंधित होते हैं, वे अपने समाज के लोगों को भी उसी में जोडऩे का काम करते हैं, इससे समाज का नहीं बल्कि राजनेताओं का फायदा होता है।
श्री मेघावाले ने सवाल उठाया कि ऐसा कब तक चलेगा? हम कब तक राजनीतिक पार्टियों द्वारा वोट के लिए उपयोग किए जाते रहेंगे? कब तक हमारे समाज के पदाधिकारीगण हमारी सरलता और सज्जनता का नाजायज फ़ायदा उठाते रहेंगे? हम कब तक अपना शोषण और समाज की बेइज्जती सहते रहेंगे? हमारे समाज के लोग कब जागरूक होंगे और कब सीना तानकर खड़े होंगे? अभी जो चल रहा है, वह ऐसा ही चलता रहा, तो अपना समाज कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। सामाजिक संगठन का उपयोग यदि व्यक्तिगत लाभ व नाम यश कमाने और राजनीतिक पकड़ बनाने हेतु किया जाता रहा अथवा संगठन मात्र कर्मा जयंती मनाने, परिचय सम्मेलन कराने व स्मारिका निकालने तक ही सीमित रह गया, तो फिर संगठन का औचित्य ही खत्म हो जाएगा।
उन्होंनेे समाजिक पदाधिकारियों से आह्वान किया कि आइए, हम सभी मिलकर सामाजिक संगठनों में घुसी हुई राजनीति को खत्म करें और समाज को सबल और सशक्त बनाएं, इसकी शुरुआत हम इस पर चिन्तन करें, आपस में विचार विमर्श करें, सभा -सम्मेलनों में इस विषय को रखें, सामाजिक पत्र -पत्रिकाओं में इस विषय पर लेखन करें। ताकि इस तरह की ओछी राजनीति की प्रवृत्ति पर रोक लगे।


