धमतरी

पंचायत सचिवों ने कहा- हमारी एक सूत्रीय मांग पूरी हो
19-Dec-2021 5:42 PM
पंचायत सचिवों ने कहा- हमारी एक सूत्रीय मांग पूरी हो

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 19 दिसंबर।
सरकार के वायदों पे ऐतबार कर पिछले 26 सालो से  ग्राम पंचायतों में 29 शासकीय विभागो के करीब 200 प्रकार के काम को अंजाम देने वाले पंचायतकर्मी अपनी एकसूत्रीय मांग शासकीयकरण को लेकर मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी मांग पहुँचाने का प्रयास कर रहे है। इतने में बात नहीं बनी तो प्रदेश के 10568 पंचायत सचिव आंदोलन की राह अख्तियार करेंगे।

प्रेस क्लब कुरूद में आयोजित प्रेसवार्ता में पंचायत सचिव संघ के प्रांतोपाध्यक्ष भुवन प्रकाश सिन्हा, जिला अध्यक्ष छबिलाल साहू, सचिव चंपेश्वर यादव, कुरूद ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश चन्द्राकर, मगरलोड हेमलाल यादव, एवं रवि साहू ने बताया कि विगत 26 सालो से पंचायतकर्मी के तौर पर शासन की सभी योजनाओं को जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाने का काम कर रहे हंै। हमने जिन शिक्षाकर्मियो को नियुक्त किया था उनका शासकीयकरण हो चुका है। लेकिन हमारे मांगे आज भी लंबित है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि दिसम्बर 2020 में कुल 26 दिनों तक शांति पूर्वक आंदोलन किया था। तब पंचायत मंत्री टी.एस. सिंहदेव के आश्वासन पश्चात हड़ताल स्थगित कर 24 जनवरी को मुख्यमंत्री निवास में प्रदेश पंचायत सचिव संगठन के प्रतिनिधि मंडल के साथ चर्चा में सीएम भूपेश बघेल ने दिसंबर 2021 में शासकीयकरण करनें की बात कही थी। लेकिन अभी तक वादा पूरा नहीं हो पाया है। जबकि पंचायत सचिवों को शासकीयकरण करने हेतु प्रदेश के 75 विधायकों ने अपनी अनुशंसा की है।

एक प्रश्न के जवाब में संघ पदाधिकारियों ने बताया कि सचिवों के साथ नियुक्त हुए अन्य विभाग के कर्मचारी जैसे शिक्षाकर्मी एवं वनकर्मी को शासकीयकरण किया जा चुका है। कई विभाग के कर्मचारी भृत्य /चौकीदार भी प्रमोशन पाकर सहायक ग्रेड3 बन गये है। पंचायत सचिवों को शासकीयकरण करने से शासन/प्रशासन को मासिक वित्तीय भार करीब 75 करोड़ आयेगा। जो सरकार के लिए कोई बड़ी रकम नहीं है। पंचायत सचिवो का कहना है कि भले ही शासन उन्हें सचिव का दर्जा दे तबादला नीति लागू किया है किन्तु आज भी शासकीय दस्तावेजों में पंचायत कर्मी का उल्लेख किया जाता है। जिसे हटा उनकी एकसूत्रीय मांग शासकीयकरण किया जाए। मांग पूर्ण नहीं होने पर पंचायत सचिव पहले अन्य विभाग के कामो से खुद को अलग करेंगे।

अगले चरण में प्रदेश स्तरीय आंदोलन किया जाएगा। ओमप्रकाश साहू, जागेश्वर बैस, महेश, गितेश्वर, मोहन, तुलाराम साहू, सीताराम सिन्हा आदि मौजूद थे।
 


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