धमतरी
7 परगना ओडिशा, 7 परगना बस्तर और 16 परगना सिहावा होते हैं शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 6 सितंबर। सिहावा क्षेत्र बस्तर का एक अंग है। दुर्भाग्य से लोग, बस्तर से अलग हो गये मगर आदिम संस्कृति और देव परंपरा से नहीं।
क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के लोग बहुतायत में निवास करते हैं। जहाँ पेन व्यवस्थाएं आदिकालीन है सिहावा क्षेत्र को सिहावा राज से चिन्हाकित किया जाता रहा है। इस क्षेत्र में रूढिज़न्य परंपरा अनुसार देव सीमाएं आदिकालों से निर्धारित है। जिस प्रकार कोई क्षेत्र का सरहद होता है उसी प्रकार देव सीमाएं होती है। जिनका प्रधान न्यायाधीश के रूप में भंगाराव देव है वहीं राज एवं क्षेत्र स्तर पर सिहावा क्षेत्र का मूल स्थापना बस्तर सीमा केशकाल घाट का अंतिम छोर कुर्सीपार, कारीपानी, घाट पर स्थापना है जिनके क्षेत्र में 16 परगना सिहावा, सात पाली ओडिशा और बीस कोस बस्तर के देव उनकी देव नियंत्रण में होते हैं। गोड़वाना समाज के तहसील अध्यक्ष रामप्रसाद मरकाम और बोराई क्षेत्र के जनप्रतिनिधि जिला पंचायत सदस्य मनोज कुमार साक्षी ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि सिहावा क्षेत्र का अंतिम देव सीमा मेघा घाट है। आदिवासी परपंरा अनुसार भादो पक्ष में भंगाराव देव के स्थल में सोलह परगना सिहावा, सात पाली उड़ीसा और बीस कोस बस्तर की सभी पेन शक्तियों की उपस्थिति में भादो पक्ष में देव जात्रा मनाया जाता है, वहीं इस दौरान भंगाराव के अंगरक्षक कुंवरपाठ और डाकदार की उपस्थिति अनिवार्यता होती है।ये दोनो भंगाराव के सिपाही हैं इस दिन सभी परगना की पेन शक्तियों की जाँच परख होती है अगर किसी परगना की पेन ब्यवस्था ने भुल चूक किया है तो भंगाराव देव को दंडित करने का अधिकार रहता है। वहीं इस महाजात्रा पर्व के उपरांत ही सिहावा क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों की देव ठाना में देव ब्यवस्था में साल की नई फसल धान की बालियां को तीज को चढ़ाया या अर्पण किया जाता है। उसके बाद ही क्षेत्र में नया खाई पर्व मनाया जाता है। नया खाई पर्व से ही नये फसल की दाना को आदिवासी समुदाय ग्रहण करते हैं। वहीं इस बरस 4 सितंबर को भादो जात्रा धूमधाम मनाया गया।
पूरा सिहावा राज के पेन शक्तियों का आगमन भंगाराव देव के दरबार में हुआ। बस्तर सहित उड़ीसा क्षेत्र के पेन शक्तियों के साथ आदिवासी समुदाय के साथ अन्य समुदाय भी सम्मिलित हुए और मनोकामनाएं की साथ ही क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए सेवा अर्जियाँ की। देवपाली के अध्यक्ष रामसिंह सामरत और पुजारी प्रफुल्ल सामरत ने जानकारी दी सिहावा राज देव सीमा की सुख समृद्धि के लिए पेन शक्तियों की आदेशानुसार 18 सितंबर से राज रवानगी का कार्य बोराई क्षेत्र से लेकर मेघा घाट तक विधि विधान पेन प्रथा अनुसार किया जाएगा।
इस दौरान दुलार सिंह सामरत, हरि झांकर, ठाकुर देव समिति मंगऊराम मरकाम, रतावा समिति उमेशसिंह देव, कसपुर बुधराम साक्षी, गढ़शितला समिति कैलाश पवार,जैतपुरी साधुराम नेताम, गौचंद मरकाम, रिसगांव दल्लूराम मरकाम, दिनू मरकाम,बांधा नरसिंह पटेल, बालाराम मंडावी, कुंदन सिंह साक्षी, हरख मंडावी, शुत्रुघन साक्षी, दशरत नेताम, दुगली सीताराम नेताम, सुरेन्द्र राज ध्रुव, शंकरलाल नेताम, वरून देव नेताम, जयसिंह सोरी, मयाराम नागवंशी, राजाराम मंडावी, रिसगांव फूलसिंह मरकाम,भगवान सिंह नाग, कुमड़ाईन पाली गट्टासिल्ली महेश नेताम, शंकरलाल नेताम, पाली सिंगपुर जितेन्द्र सागर सहित 16 परगना सिहावा के देव समिति के सदस्य, राज रवानगी के दौरान सम्मिलित होंगे।


