शिक्षा व्यक्तित्व को संवारने की प्रक्रिया है-राज्यपाल
विप्र पब्लिक स्कूल का उद्घाटन समारोह
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 मई। छत्तीसगढ़ी ब्राह्मण समाज के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ युवा विकास संगठन संचालित विप्र महाविद्यालय के 30 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विप्र पब्लिक स्कूल भवन लोकार्पण समारोह विभूषित पश्चिमाम्नाय द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री सदानन्द सरस्वती जी महाराज के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महामहिम रमेन डेका की गरिमामय रही। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बृजमोहन अग्रवाल, रविंद्र चौबे, राजेश मूणत, मीनल चौबे, पुरंदर मिश्रा ,अनुज शर्मा, कल्पना योगेश तिवारी, शशांक शर्मा, नीलू शर्मा उपस्थित रहें।
इस अवसर पर स्वामी श्री शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने आशीष वचन में कहा कि जैसे सोनी को आप किसी भी जेवर के रूप में बना दें ,पर उसका वास्तव में मूल्य सोने का ही होता है वैसे ही व्यक्ति कुछ भी बन जाए पर उसका मूल्य उसके व्यक्तित्व ,उसके मनुष्यता की होती है। आज देश युवा पीढ़ी से बहुत अधिक आशा करती है ।उस युवा पीढ़ी को जीवन मूल्य पर आधारित, अपने मूल परंपरा पर आधारित, सनातन धर्म पर आधारित शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। जिससे वह देश समाज को देने वाला बने ,देश समाज से लेने वाला नहीं।
स्वामी जी ने नचिकेता की कहानी बताते हुए कहा कि जिस प्रकार नचिकेता ने ब्रह्म विद्या जानने के जिज्ञासा के आगे सभी प्रकार की सुख संपत्ति का त्याग कर दिया ।इसी प्रकार विद्यार्थी को भी ज्ञान प्राप्ति के लिए सुख सुविधा का त्याग करना चाहिए शंकराचार्य महाराज ने विप्र समाज द्वारा स्थापित शिक्षा केन्द्रो की सराहना करते हुए कहा कि गुरुदेव का आशीर्वाद छत्तीसगढ़ विप्र समाज को मिला है। इस परंपरा का निर्वाह करते हुए विप्र समाज के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद हमेशा रहेगा ,ताकि वह शिक्षा देने का कार्य करें और भारतीय परंपरा और संस्कार पर आधारित ज्ञान देकर नवयुवकों को तैयार करें। आज विप्र पब्लिक स्कूल, रायपुर के नव-निर्मित भवन का लोकार्पण जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के करकमलों से संपन्न हुआ।
समारोह में राज्यपाल रमेन डेका मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। राज्यपाल ने विप्र कॉलेज के 30 वर्षों की शिक्षायात्रा को गौरवपूर्ण बताते हुए सभी पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि यह संस्थान न केवल शिक्षा का केंद्र है, अपितु यह ज्ञान, सेवा और संस्कृति का संगम है। शिक्षा का उद्देश्य संस्कार और सेवा है। शिक्षा हमारे व्यक्तित्व को संवारने की प्रक्रिया है। समारोह में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा विप्र समाज भारतीय संस्कृति और सभ्यता का वह अभिन्न अंग है जिसने सदियों से ज्ञान, विद्या, धर्म और संस्कारों के संरक्षण एवं संवर्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।विप्र समाज केवल एक जातिगत पहचान नहीं, बल्कि वह विचारधारा है जो ज्ञान, सत्य, सेवा और संस्कृति की रक्षा में समर्पित है। यदि समाज का हर व्यक्ति विप्रत्व के इस भाव को अपनाए, ज्ञान की खोज करे, जीवन को नैतिक मूल्यों से जोड़े और समाजहित में कार्य करें तो भारत पुन: विश्वगुरु बन सकता है।
इसके पूर रविंद्र चौबे, पुरंदर मिश्रा समस्त विशिष्ट अतिथियों ने विप्र पब्लिक स्कूल के लोकार्पण समारोह में अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए विप्र शिक्षण समिति के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने बताया कि विप्र महाविद्यालय द्वारा 30 वर्षों से न्यूनतम शुल्क में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करते हुए विप्र पब्लिक स्कूल के नवीन भवन का लोकार्पण रायपुर शहर के बच्चों के लिए निश्चित ही नए अवसर का द्वारा खोलेगा। समारोह का संचालन डॉ.मेघेश तिवारी ने किया।आभार प्रदर्शन नरेन्द्र तिवारी ने किया। सभी अतिथियों को शॉल,श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। विप्र पब्लिक स्कूल के आर्किटेक्ट नवीन शर्मा को भी स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सुबुद्धानंद जी महाराज, डॉ. इन्दुभवानंद तीर्थ महाराज,दंडी सन्यासी ज्योतिर्मयानंद जी महाराज, शिव कुमार तिवारी, राकेश चतुर्वेदी, प्रो.अंजनी शुक्ला, डी पी तिवारी,पूर्व कुलपति प्रो.के.एल. वर्मा, अविनाश शुक्ला, उमाकांत तिवारी, आनंद पाण्डेय, प्रमोद शर्मा, सुबीर तिवारी, भूपेन्द्र शर्मा, डॉ. ध्रुव पाण्डेय, प्रकाश तिवारी, संजय दीवान, सौमित्र दुबे, प्रो. ऊषा दुबे,अनुराग पाण्डेय (आई.ए.एस.), सुरेंद्र शुक्ला, नटराज शर्मा, दिव्या शर्मा, कैलाश शर्मा, मोहित श्रीवास्तव, आराधना शुक्ला विधायकगण एवं अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, अभिभावक, विद्यार्थी और विप्र समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।