मजदूरों संग सीपीआई ने दिया कलेक्टर को ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 13 जनवरी। मजदूरों के साथ सीपीआई कोण्डागांव के कार्यकर्ताओं द्वारा कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन देकर मजदूरों को मजदूरी एवं काम पर लगाए गए ट्रैक्टर का किराया जल्द से जल्द दिलाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में उल्लेख है कि चन्दन सोढ़ी, रामप्रसाद, गजेन्द्र, रघु नेताम, सागर, पुनित, धनसिंग, तोमेश्वर, सुपेन्द्र, मधु, परेम, नरसु, भीम ठाकुर, देवचंद, महेन्द्र, होलो, सांयतु, दिपेश्वरी, मदनी, मुनीता, राजेश्वरी, पिंकी, जयन्ती, चन्द्रीका, कुन्ती, लखमती, लता, डिकेश्वरी, रामेश्वरी, मिना, रगनी, दीपिका आदि आवेदकगणों द्वारा वन विभाग कोण्डागांव द्वारा कोपाबेड़ा में निर्मित किए गए कृष्णा कुंज पार्क में मजदूरी का कार्य किया है। कृष्णा कुंज पार्क का निर्माण कार्य सोनू मेहरा द्वारा एवं निर्माण कार्य का देखरेख रवि कुशवाहा ने किया था।
हम सभी अनुसूचित जनजाति के हंै। हम सभी मजदूरों द्वारा कृष्णा कुंज पार्क का निर्माण सोनू मेहरा के निर्देश पर रवि कुशवाहा की देखरेख में किया था तथा चन्दर सोड़ी के ट्रैक्टर से कार्य स्थल में कार्य किया गया था। इस तरह हम मजदूरों का कुल मजदूरी तथा ट्रैक्टर का किराया 1 लाख 20 हजार रुपए तथा मेट मुंशी के रूप में काम करने वाले विमल यादव के द्वारा काम किए गए 76 दिन का कुल मजदूरी 31,540 रुपये है। पार्क का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। सोनू मेहरा व रवि कुशवाहा ने मजदूरी भुगतान आज तक नहीं किया है।
जब भी सोनू मेहरा व रवि कुशवाहा से मजदूरी राशि के भुगतान की मांग की जाती है, तो मजदूरी भुगतान किए जाने से मना करते हुए धमकी दी जाती है।
सोनू मेहरा व रवि कुशवाहा द्वारा हम मजदूरों को अनुसुचित जन जाति का सदस्य होना जानते हुए मजदूरी भुगतान न कर हमारा आर्थिक शोषण किया जा रहा है। इसलिए सोनु मेहरा व रवि कुशवाहा से कृष्णा कुंज पार्क में हमारे द्वारा किए गए मजदूरी कार्य का मजदूरी एवं ट्रैक्टर का किराया कुल 1 लाख 51 हजार 540 रुपए दिलाए जाने के साथ ही उचित कानूनी कार्रवाई किया जाए।
मजदूरों के साथ हुए आर्थिक शोषण के मामले में आवेदन देने और मजदूरी भुगतान कराने की मांग करने के दौरान सीपीआई जिला कोण्डागांव के शैलेष, दिनेश, बिसम्बर आदि ने सहयोग दिया।
इस दौरान उपस्थित सीपीआई के कार्यकर्ताओं ने प्रेस को बताया कि आज इस कार्यालय में आवेदन देने आए मजदूर ही नहीं बल्कि जिले में ऐसे सैकड़ों मजदूर हैं, जो शासन की ठेकेदारी प्रथा यानि ठेकेदार से काम कराने की प्रथा के कारण मजदूरी भुगतान से निरंतर वंचित हो रहे हैं। यही नहीं मजदूरी नहीं दिए जाने की कलेक्टर से शिकायत करने के बाद भी समय सीमा में मजदूरी नहीं मिलती है।