‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 20 मई। गोविन्द सारंग स्मृति परिसर भाजपा कार्यालय भाटापारा में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी स्मृति अभियान के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद रुपकुमारी चौधरी, उपाध्यक्ष भाजपा छत्तीसगढ़ शिवरतन शर्मा ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुआ था। उन्होंने अपने शासनकाल में काशी, अयोध्या और केदारनाथ सहित पूरे भारत में 3175 धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कराया। वह परम शिवभक्त थीं।
मात्र 10 वर्ष की आयु में मल्हार राव होल्कर के पुत्र से उनका विवाह हुआ। पति और पुत्र के निधन के बाद अहिल्याबाई ने राज्य को न केवल संभाला बल्कि समृद्ध भी बनाया। उन्होंने गरीब बेटियों की शादी करवाई। भोजनालय और तालाब का निर्माण कराया। जनकल्याण के अनेक कार्य दान के माध्यम से संपन्न कराए।
कार्यशाला को सांसद रुपकुमारी चौधरी ने भी सम्बोधित कर बताया कि 26 वर्षों के शासनकाल में अहिल्याबाई ने राज-व्यवस्था, न्याय और सुशासन को एक मील की पत्थर की तरह स्थापित किया अहिल्यादेवी के शासनकाल में कभी अकाल नहीं पड़ा। आज 300 वर्ष के बाद हमें पुण्यश्लोका महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बारे में जानने का अवसर मिला है, यह पार्टी कार्यकर्ताओं के नाते हमारे लिए और सभी परिवारों के लिए सौभाग्य का विषय है।
शिवरतन शर्मा ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित कर कहा कहा कि अहिल्याबाई ने धर्म रक्षति रक्षित के वैदिक उद्घोष को न केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया। अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनस्र्थापना की अग्रदूत थीं। जब देश विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त था, मंदिर विध्वंस किए जा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने बिना भय के बिना किसी राजनीतिक समर्थन के, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनस्र्थापना का कार्य अपने हाथों में लिया था।