बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 7 जून। ग्राम ढनढनी में मैसर्स न्यू विस्टा लिमिटेड द्वारा किए जा रहे औद्योगिक विस्तार को लेकर क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर के तत्वावधान में आयोजित जनसुनवाई भारी विवादों में घिर गई। जनसुनवाई के आयोजन को लेकर क्षेत्र के स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
जनप्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें जनसुनवाई की जानकारी ही नहीं दी गई, और यह प्रक्रिया गुपचुप तरीके से पूरी की जा रही है। वहीं, प्रमुख आपत्ति यह भी रही कि कंपनी का विस्तार कार्य परसाभदेर गांव में प्रस्तावित है, जबकि जनसुनवाई ढनढनी में आयोजित की गई। इससे ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना था कि जब परियोजना क्षेत्र ग्राम परसाभदेर में स्थित है, तो सुनवाई किसी और गांव में क्यों रखी गई। इससे स्पष्ट होता है कि कंपनी ने प्रभावित लोगों की आवाज दबाने और विरोध को सीमित करने का प्रयास किया है।स्थानीय युवाओं ने भी जमकर विरोध जताया। उनका आरोप है कि कंपनी स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगों को तरजीह दे रही है। हमारे गांव की जमीनें अधिग्रहित कर कंपनी लाभ ले रही है, लेकिन हमें बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है, एक युवा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा। वहीं कांग्रेस की जिला अध्यक्ष सुमित्रा घृतलहरे ने भी तीखा रुख अपनाते हुए कहा, जब तक प्रभावित ग्रामीणों को सभी बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह से नहीं मिल जातीं, मैं इस कंपनी का विरोध करती रहूंगी। यह केवल पर्यावरण का ही नहीं, मानवाधिकारों का भी हनन है। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी के सीएसआर विंग द्वारा ग्रामीण महिलाओं को पूर्वनिर्धारित बयान देने के लिए बुलाया गया था, जिससे जनसुनवाई की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच हुई जनसुनवाई, विरोध में उमड़े ग्रामीण सुनवाई स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे ग्रामीणों में असहजता का माहौल रहा। ढनढनी, रिस्दा और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग विरोध में पहुंचे और कंपनी के विरुद्ध आवाज उठाई। केवल कुछेक लोगों ने कंपनी का समर्थन किया, लेकिन बहुसंख्यक ग्रामीणों ने खुले शब्दों में खनन परियोजना के दुष्परिणामों को सामने रखा।
प्रदूषण, रोजगार और विस्थापन के मुद्दों पर ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि न्यू विस्टा लिमिटेड ने पर्यावरणीय नियमों की खुलेआम अनदेखी की है। संयंत्र से निकलने वाले धूल, ध्वनि और रासायनिक प्रदूषण ने आसपास के पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। यातायात नियमों की अनदेखी, भारी वाहनों की आवाजाही और क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार न दिए जाने को लेकर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की गई। कंपनी पर यह भी आरोप लगा कि उसने बाहर के लोगों को काम पर रखा और स्थानीय श्रमिकों को नजरअंदाज किया।
वन्यजीवों पर खतरा
जनसुनवाई में ग्रामीणों ने यह भी बताया कि खेरवारडीह जंगल कंपनी के प्लांट से मात्र 20 फीट की दूरी पर है। खनन और ब्लास्टिंग से जानवरों की जान पर बन आई है। वन्यजीवों की अप्राकृतिक मौतें, आवाज और प्रदूषण से उनके विचरण क्षेत्र में कमी आई है, जिससे वे सडक़ों पर आकर वाहन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं।
क़ृषि कार्य प्रभावित भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट
लाइमस्टोन की गहरी खदानों के कारण क्षेत्र में जलस्तर लगातार गिर रहा है। किसानों की भूमि बंजर होती जा रही है और कुकरदी जलाशय समय से पहले सूख रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पेयजल संकट गंभीर रूप धारण कर चुका है और कंपनी केवल कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद पानी की आपूर्ति कर रही है। इससे पहले कभी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
एफआर कचरा और आम जनता के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी नगरों से प्लास्टिक व नाली के कचरे लाकर उन्हें जलाकर सीमेंट बना रही है, जिससे आसपास के गांवों में दुर्गंध फैल रही है और ग्रामीणों में सांस, त्वचा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इस बाबत कई लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ग्रामीणों ने बताया कि संयंत्र के प्रारंभिक चरण में कंपनी द्वारा वृहद वृक्षारोपण का दावा किया गया था, लेकिन वह केवल कागजों तक सीमित रहा। अधिकांश पौधों को न पानी दिया गया न सुरक्षा, जिससे वे सूखकर नष्ट हो गए। कंपनी का पर्यावरणीय प्रतिबद्धता केवल औपचारिकता साबित हो रही है।
प्रशिक्षण व सीएसआर कार्यक्रम - हकीकत से कोसों दूर
कंपनी द्वारा प्रभावित गांवों में कंप्यूटर, ब्यूटीशियन, सिलाई जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की बात कही जाती है, लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि यह सिर्फ खानापूर्ति है। प्रशिक्षण केंद्रों में न पर्याप्त संसाधन हैं, न प्रशिक्षकों की गुणवत्ता। बच्चों से उनकी खुद की सामग्री लाने को कहा जाता है और प्रशिक्षण के बाद मिलने वाले प्रमाणपत्र की कोई वैधता नहीं होती। कंपनी ने अब तक किसी प्रशिक्षित युवक या युवती को नौकरी नहीं दी।