स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक स्वतंत्रता की ओर भारत तेजी से कदम बढ़ा रहा-कुलपति
डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 28 सितंबर। डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और भारतीय शिक्षा में रूपांतरण एक दीर्घकालीन दृष्टि बोध और आत्मनिर्भर भारतञ्च 2047 विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्रियान्वयन प्रकोष्ठ एवं आइक्यूएसी द्वारा आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री तोकन साहू ने कहा कि 1947 में हमें एक राजनीतिक, क्षेत्र की आजादी मिली थी । अब हमें आर्थिक आजादी और सांस्कृतिक आजादी की ओर तेजी से आगे बढ़ाना है। यही आत्मनिर्भर भारत की नींव है । उन्होंने कहा कि यह केवल चर्चा नहीं है, यह भारत के भविष्य की नींव है।
उन्होंने कहा कि हमें आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए अपनी शक्ति को पहचानना है, स्वदेशी उत्पादों को खरीदना है ,लघु एवं कुटीर उद्योगों के सिर पर हाथ रखना है। उन्हें बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की ओर चलना सही मायने में संस्कृति के प्रति गर्व करने का आंदोलन है। राष्ट्र के गौरव को बढ़ाने का आंदोलन है हर व्यक्ति, हर घर का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि हमें आत्मनिर्भर होना हर क्षेत्र में जरूरी है।
उन्होंने बताया कि 2014 में मेक इन इंडिया का सपना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा था वह आज सरकार हो रहा है उन्होंने कहा कि भारत को भी निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी है कृषि के क्षेत्र में हम अग्रणी हैं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम अग्रणी हैं और हम रक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सपना देखा था कि हर युवा को प्रतिभा मिले हमारा युवा नौकरी मांगने वाला नहीं नौकरी देने वाला युवा बने और यह सपना साकार हो रहा है उन्होंने यह भी कहा कि हर घर में एक ऐसा पत्रक होना चाहिए जिसमें स्वदेशी और विदेशी उत्पादों की जानकारी बहुत स्पष्ट हो। उन्होंने सभी से संकल्प लेने की अपील की कि हम सभी यह संकल्प लेने की स्वदेशी की समान का उपयोग करेंग।
े उन्होंने कहा कि छोटी सोच छोटा संकल्प देश को बहुत बड़ी ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार घोष ने कहा कि स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक स्वतंत्रता की ओर भारत तेजी से कदम बढ़ाएगा।
शिक्षा और उन्नति एक दूसरे के पूरक हैं जब हम शिक्षा में आगे बढ़ते हैं तो हमारी उन्नति होती है और जब हम उन्नति करते हैं तब हमारी शिक्षा और भी समृद्धि दिशा में आगे बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम शिक्षा के क्षेत्र में हजारों साल पुराने समृद्ध देश में रहते हैं जहां सदियों से शिक्षा को सम्मान दिया जाता है और आज भी वह सम्मान बना हुआ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनेक बातों का समायोजन है जो आज के युवाओं के लिए बेहद जरूरी है।
प्रोफेसर घोष ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लचीलापन सहित अनेक विषयों पर अपनी बात रखी उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत 2047 और राष्ट3ीय शिक्षा नीति 2020 में ही आत्मनिर्भर भारत की शक्ति निहित है।
विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. अरविंद कुमार तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना से ही स्थानीयता और स्वदेशी को प्राथमिकता में रखना ही उद्देश्य है यही कारण है कि विश्वविद्यालय में इस अभियान की शुरुआत 2015 में शुरू हो गई थी, हमने प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र का संचालन में प्रारंभ किया था। इसी तरह स्वदेशी उत्पाद के शोध एवं विकास का कार्य 2018 विश्वविद्यालय ने प्रारंभ किया । 2024 में भारत सरकार के इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना भी विश्वविद्यालय में की गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार के आईटीआई स्थापित कर हम युवाओं को उद्यमी बना रहे हैं कुलपति अरविंद तिवारी ने बताया कि डिजिटल इंडिया की राह में हमने ऑटोमेटेड लाइब्रेरी स्टार्टअप और स्मार्ट क्लासरूम भी स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय महिलाओं को अनुसूचित जाति जनजाति और जरूरतमंद लोगों को रोज सीधे रोजगार से जोडऩे के लिए विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना की गई है जहां पर स्थानीय स्तर पर उत्पाद तैयार किए जाते हैं, इसमें साबुन शैंपू खाद्य पदार्थ का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनकर स्वदेशी अपनाने के लिए विश्वविद्यालय हमेशा प्रयासरत है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की सम कुलपति डॉ जयति चटर्जी उपस्थित नहीं कार्यक्रम का संचालन डॉ ब्रमेश श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।