निजी किताबों पर रोक लगा पाएगा माशिमं?
भारत का संविधान और कानून शिक्षा को एक मौलिक अधिकार और समाज सेवा मानता है, न कि व्यापार। समाज भी शिक्षा को सेवा के रूप में ही स्वीकार करता है, लेकिन निजी स्कूलों में शिक्षा के बाजारीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति आज एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने हाल ही में आदेश जारी करके निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे अब निजी प्रकाशकों की किताबों का उपयोग नहीं करेंगे, बल्कि मान्यता प्राप्त बोर्ड की आधिकारिक पाठ्यपुस्तकों से ही पढ़ाई कराएंगे। यह आदेश शिक्षा के उस बाजार पर सीधा प्रहार है, जो हर साल नए सत्र के साथ अभिभावकों की जेब पर भारी बोझ डालता है। निजी स्कूल अक्सर अपनी मनमानी से किताबों की लिस्ट देते हैं, विशेष दुकानों से पूरा सेट खरीदने को बाध्य करते हैं, और हर दो साल में यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, जूते, नोटबुक, टिफिन व पानी की बोतल तक को भी अपनी पसंद की चुनिंदा दुकानों से ही खरीदने के लिए दबाव डालते हैं। अभिभावक अक्सर इस व्यवस्था से परेशान होते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों की तरफ देखकर मजबूरी में हजारों रुपये खर्च करने को तैयार हो जाते हैं।
ऐसी परिस्थिति में, छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों में केवल सरकारी किताबें चलाने का आदेश अभिभावकों के लिए राहत की हवा जैसा है।
वहीं, प्राइवेट स्कूल संघ इस आदेश पर सवाल उठा रहा है और कहता है कि उन्हें किसी खास किताब से पढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह दिलचस्प है कि पिछले सत्र में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने निजी स्कूलों में भी कक्षा 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा केंद्रीकृत प्रश्नपत्र से लेने का प्रयास किया था, जिसके खिलाफ निजी स्कूल हाईकोर्ट चले गए। उन्हें अपने पक्ष में फैसला भी मिला। उस समय उनका तर्क था कि उन्होंने वे किताबें पढ़ाई ही नहीं, जिनके आधार पर माशिमं परीक्षाएं लेने जा रहा था। अब जब माशिमं ने किताबों के लिए बंदिश लगा दी है, तो निजी स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि वे वही किताबें पढ़ाएंगे जो वे पहले से पढ़ाते आ रहे हैं। यह स्थिति चित भी मेरी, पट भी मेरी जैसी बन गई है।
अब असली परीक्षा माध्यमिक शिक्षा मंडल की है। क्या वह इस आदेश को प्रभावी तरीके से लागू करवा पाएगा? या फिर प्राइवेट स्कूल लॉबी, जिसकी ताकत और नेटवर्क बहुत मजबूत है, एक बार फिर इस नियम को शिथिल करवा देगी?
चिंतन की तैयारी
मैनपाट में प्रस्तावित भाजपा के 7 से 10 जुलाई तक चलने वाले चिंतन शिविर की तैयारी चल रही है। तीन दिन तक साय सरकार शिविर में रहेगी। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा, और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शिरकत करेंगे। इसके अलावा दो केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, और शिवराज सिंह चौहान के भी आने की उम्मीद है। चिंतन शिविर के लिए मैनपाट के तिब्बती कम्युनिटी हॉल बुक किया गया है।
पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) सह महामंत्री (संगठन) शिवप्रकाश तीनों दिन शिविर में रहेंगे, वो एक दिन पहले ही 6 जुलाई को मैनपाट पहुंच जाएंगे। शिविर में पार्टी के विधायकों-सांसदों के साथ ही सरकार के मंत्री, और चुनिंदा पदाधिकारी आमंत्रित हैं। आखिरी दिन सभी महापौर, और निगम मंडल अध्यक्षों को भी आमंत्रित किया गया है।
चिंतन शिविर की तैयारियों की मॉनिटरिंग डिप्टी सीएम विजय शर्मा के साथ ही सरगुजा के प्रभारी मंत्री ओ.पी.चौधरी कर रहे हैं। साथ ही पर्यटन बोर्ड के चेयरमैन नीलू शर्मा की भी ड्यूटी लगाई गई है। मैनपाट के सभी निजी, और सरकारी रिसॉर्ट बुक कर लिए गए हैं।
पीडब्ल्यूडी के रेस्ट हाउस में सीएम, और पर्यटन के रेस्ट हाउस में स्पीकर डॉ. रमन सिंह रहेंगे। मंत्रियों, और पूर्व मंत्रियों के लिए मैनपाट के ही शैला रिसोर्ट बुक किया गया है। यहां 22 कमरे हैं। जबकि सांसद, और विधायकों के लिए देव हेरिटेज में रूकने की व्यवस्था की गई है। शिविर सात तारीख को सुबह 8 बजे शुरू होगी। और 9 तारीख की रात को समापन होगा। चिंतन शिविर को लेकर भाजपा में काफी उत्सुकता है। आगे क्या कुछ छनकर बाहर आता है, यह देखना है।
एक फोन कई सवाल

राजीव भवन से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का आई-फोन चोरी होने पर खूब बातें हो रही हैं। आई फोन करीब डेढ़ लाख का था। इसलिए तुरंत पुलिस को सूचना दी गई, और साइबर एक्सपर्ट मामले की जांच कर रहे हैं। आई फोन का अंतिम लोकेशन बैठक कक्ष से दो सौ मीटर दूर दिल्ली स्वीट्स के पास आया है। इसके बाद चोर ने आई फोन स्विच ऑफ कर दिया है।
दरअसल, राजीव भवन में एनएसयूआई की बैठक के बीच ही आई फोन चोरी हुआ। इसके बाद बैठक में मौजूद पदाधिकारियों को लेकर जानकारी जुटाई गई है। चार ऐसे लोगों की तस्वीर सामने आई है, जो एनएसयूआई के पदाधिकारी नहीं थे। उन पर चोरी का शक है। चोरी की इस घटना पर भाजपा के नेताओं को तंज कसने का मौका मिल गया। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने तो साफ तौर पर मीडिया से चर्चा में कहा प्रदेश की चिंता करने वाले दीपक बैज को अपनी भी चिंता करनी चाहिए कि संगठन में कैसे लोग हैं। भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने फेसबुक पर लिखा कि एनएसयूआई के होनहार पाकिटमारों ने अपने ही अध्यक्ष का मोबाइल साफ करके बड़ा ही सकारात्मक संदेश दिया है।
कांग्रेस के कुछ नेता, बैज को ही कोस रहे हैं। जिन्होंने आईफोन चोरी होने का हल्ला मचा दिया, और पार्टी दफ्तर में पुलिस बुलवा लिए। भाजपा में भी कई बार ऐसा हुआ है जब नेताओं की पाकिटमारी हुई है। मगर उन्होंने ज्यादा तूल नहीं दिया। उनका तर्क था कि बात को बतंगड़ बनाए बिना मोबाइल गुम हो जाने की रिपोर्ट लिखानी थी। देर सवेर सब कुछ सामने आ जाता। चाहे कुछ भी हो, बैज के आई फोन के चक्कर में एनएसयूआई के बैठक की खबर दब गई। जिसमें सत्र के दौरान विधानसभा घेरने का फैसला लिया गया। इसको लेकर भी एनएसयूआई के कुछ नेता बैज से नाराज बताए जा रहे हैं।
नए चेहरों की बारी
चर्चा है कि प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस सिलसिले में आरएसएस, और भाजपा के पदाधिकारियों की गोपनीय बैठक भी हुई है। संकेत है कि साठ वर्ष से अधिक आयु वाले नेताओं का पदाधिकारी बनना मुश्किल है। अधिक उम्र वाले नेताओं को कार्यकारिणी सदस्य के रूप में जगह दी जा
सकती है।
आरएसएस, और पार्टी हाईकमान का मानना है कि नए चेहरे को आगे लाया जाना चाहिए। इसी के अनुरूप पदाधिकारियों की सूची तैयार हो रही है। आरएसएस ने बस्तर को प्रतिनिधित्व देने पर विशेष जोर दिया है। नक्सल समस्या के खात्मे के बाद पार्टी यहां अंदरूनी इलाकों में पैठ बनाने की कोशिश में जुट गई है। सूची को लेकर काफी बातें हो रही है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
बारिश में कैसे आ गए तेंदू फल?

छत्तीसगढ़ के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले तेंदू फल को आम तौर पर गर्मियों में देखा जा सकता है। बारिश के दिनों में गायब हो जाते हैं। पर इस बार गर्मी से बारिश के मौसम के बीच फासला कुछ कुछ ऐसा हो गया है कि अब भी बाजार में तेंदू के फल बिकने के लिए पहुंच रहे हैं। यह बिलासपुर की एक सडक़ से ली गई तस्वीर है। बगल में बिक रही सब्जी खेड़हा है, जिसकी पत्तियों से लेकर डंठल सबकी सब्जियां बनती है और यह बारिश के दिनों में ही मिलती हैं।