राजपथ - जनपथ
छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति के रुप में बलदेव प्रसाद शर्मा की नियुक्ति से ही सरकार की भृकुटि तन गई थी और सरकार ने बिना देरी किए कुलपति की नियुक्ति से लेकर हटाने तक सारे अधिकार अपने पास रखने के लिए नियमों में संशोधन तक कर डाला, लेकिन इन सब से बेखबर कुलपति महोदय कोरोना युग में दिल्ली में क्वारंटाइन ( अपने घर पर छुट्टी मना रहे हैं) हो गए हैं। छात्र कांग्रेसियों ने इसकी शिकायत भी सरकार से की है, हालांकि अभी कोरोना संकट से निपटना बड़ी प्राथमिकता है, इस वजह से संभव है कि कुलपति से जवाब तलब नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ सरकार की नाराजगी या ऐसे घटनाक्रम से कुलपति महोदय पूरी तरह बेपरवाह दिख रहे हैं। उन्होंने 12 अप्रैल को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद वर्धा के फेसबुक पर व्याख्यान दिया। जिसमें उन्होंने कोरोना युग के शब्दों को सनातन धर्म से जोड़ते हुए व्याख्या की। उनका कहना था कि क्वारंटाइन या आइसोलेशन दरअसल एकांतवास है, जो सनातन काल से चला आ रहा है। खैर, ये उनका दर्शन हो सकता है, लेकिन बड़ी बात यह है कि जब उनकी नियुक्ति के समय से ही उन पर संघ पृष्ठभूमि से जुड़े होने के आरोप लगते रहे। ऐसे में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में उनकी नियुक्ति को सरकार अभी तक बर्दाश्त किए हुए है, यही भी एक बड़ी बात है। उसके बाद भी कुलपति महोदय संघ की विचारधारा वाले छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं, तो वाकई ये बड़ी दिलेरी वाली बात है। विवि और इससे जुड़े लोग इसके दो तरह के मतलब निकाल रहे हैं। पहला यह कि कुलपति महोदय यहां रहना नहीं चाहते होंगे, इसलिए उन्हें सरकार की नाराजगी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, या फिर उन्हें सरकार से ऊपर का कोई संरक्षण मिला हुआ है। जिसकी वजह से उन्हें भरोसा होगा कि उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। इन बातों में कितनी सच्चाई है, ये बताना तो कठिन है, लेकिन लोगों के इन दोनों अनुमान में दम तो लगता है।
मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं ?
कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा साफ सुथरी छवि के नेता माने जाते हैं। उन्होंने रमन सरकार के खिलाफ हर स्तर पर लड़ाई लड़ी। कांग्रेस की गुटीय राजनीति में वे वोरा-महंत खेमे से जुड़े हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बिस्सा जैसे कई नेताओं को अहम दायित्व सौंपे जाने की चर्चा थी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब जब वोराजी का संसदीय जीवन खत्म हो गया है। ऐसे में वे अपने समर्थकों के लिए आगे कुछ कर पाएंगे, इसकी उम्मीद बेहद कम है।
पार्टी की नई कार्यकारिणी में भी बिस्सा को जगह नहीं मिली है। उनके जैसे कई नेता भी पद से वंचित है। खैर, लॉकडाउन के बीच बिस्सा ने फेसबुक पर मिर्ची का चार बनाकर दिखाया है। कांग्रेस की सरकार डेढ़ साल हो गए हैं, ऐसे में संघर्षशील नेताओं को कुछ नहीं मिलने से उन्हें मिर्च लगना स्वाभाविक है। फिलहाल तो उनकी रेसीपी को काफी लाइक मिल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी के भीतर ऐसे प्रतीकों में बात होती है या नहीं, यह पता नहीं है। ([email protected])