राजपथ - जनपथ
ओडिशा में बेचैनी
दिल्ली से खबर आई है कि पड़ोसी राज्य ओडिशा के डेढ़ दर्जन भाजपा विधायकों ने पार्टी हाईकमान से मुलाकात की है। ये विधायक सीएम मोहन मांझी की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है, और वो उन्हें बदलना चाहते हैं।
ओडिशा में पहली बार भाजपा की सरकार बनी है। कोण्डागांव की विधायक सुश्री लता उसेंडी ओडिशा भाजपा की सह प्रभारी हैं। भाजपा विधायकों की नाराजगी सीएम के खिलाफ किसी भ्रष्टाचार या अन्य मामले को लेकर नहीं है। बल्कि विधायक इस बात से नाराज हैं कि प्रदेश में नौकरशाही हावी हो गई है। वो सीएम की अनुभवहीनता का फायदा उठा रहे हैं। इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष से मुलाकात की।
असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी हाईकमान को याद दिलाया कि नौकरशाही हावी होने की वजह से बीजू जनता दल सरकार चली गई थी। उस समय नवीन पटनायक के बजाय उनके करीबी आईएएस अफसर वी.के.पांडियन का सरकार में दबदबा था। कुछ ऐसी ही परिस्थिति भाजपा सरकार में भी बन रही है। हालांकि पार्टी हाईकमान ने विधायकों को तो समझा-बुझाकर भेज दिया। लेकिन प्रदेश संगठन के प्रभारियों को इस तरह की शिकायतों पर बारीक नजर रखने की हिदायत दी गई है। इन सब वजहों से प्रभारियों का काम थोड़ा बढ़ गया है।
बृजमोहन और कांग्रेस

रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने दो दिन पहले केन्द्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की, और कुम्हारी टोल प्लाजा को बंद करने की मांग की।
बृजमोहन ने ट्वीट कर कहा कि कुम्हारी टोल प्लाजा की मियाद खत्म होने के बावजूद इसका अवैध संचालन बरसों से हो रहा है, और इससे जनता परेशान है। टोल प्लाजा पर वसूली तत्काल बंद करने की मांग रखी गई है।
यह साफ हो चुका है कि दो साल पहले ही टोल प्लाजा की मियाद खत्म हो चुकी है। बावजूद इसके अवैध रूप से टोल टैक्स लिया जा रहा है। बृजमोहन के ट्वीट पर कांग्रेस को हमला करने का मौका मिल गया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने सवाल उठाया है कि खुद कुम्हारी टोल प्लाजा को बृजमोहन अग्रवाल जी ने अवैध बताया है, और गडकरी से बंद करने की मांग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछ लिया कि बरसों से टैक्स वसूली किसके संरक्षण में हो रहा है। उन्होंने इसे बड़ा टैक्स घोटाला करार दिया है। कांग्रेस ने इस घोटाले की जांच होनी चाहिए। सत्ताधारी दल के लोग ही मान रहे हैं कि अवैध वसूली हो रही है, तो जांच की मांग गैरवाजिब नहीं है। देखना है इस मामले पर गडकरी क्या कुछ करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट पर नजरें
आखिरकार सीनियर आईएफएस अफसर सुधीर अग्रवाल इस महीने के आखिरी में रिटायर हो रहे हैं। आईएफएस के 88 बैच के अफसर अग्रवाल ऑल इंडिया सर्विस के प्रदेश के सबसे सीनियर अफसर हैं।
अग्रवाल के बाद सीएस अमिताभ जैन का नंबर आता है, जो कि 89 बैच के अफसर हैं। आईएफएस में सबसे सीनियर होने के बावजूद सुधीर अग्रवाल हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स बनने से रह गए। अग्रवाल और चार अन्य अफसरों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर वी.श्रीनिवास राव को पिछली भूपेश सरकार ने हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स बना दिया था। तब से अब तक वो पद पर जमे हुए हैं।
अग्रवाल ने इसके खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ी। मगर, कैट और फिर हाईकोर्ट में उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है। प्रकरण पर सुनवाई होना बाकी है। मगर कोई राहत मिलती इससे पहले ही सुधीर अग्रवाल रिटायर हो रहे हैं। फिर भी आईएफएस लॉबी की नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है, जिन्हें लगता है कि कोर्ट का फैसला भविष्य के लिए नजीर बन सकता है। वाकई ऐसा होगा, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।


