राजपथ - जनपथ
रिश्तेदार क्या जरूरतमंद नहीं होते?
कांग्रेस ने साजा के विधायक ईश्वर साहू द्वारा बांटी गई स्वेच्छानुदान की राशि की एक सूची जारी की है। इसमें ऐसे नाम ढूंढ कर निकाले गए हैं जो उनके पीएसओ ओम साहू के रिश्तेदार हैं और कई लोग एक ही परिवार के हैं। इस सूची में सबसे ज्यादा लाभान्वित लोग पतोरा ग्राम के रहने वाले हैं। कांग्रेस का दावा है कि या तो भांजा है, कोई चाचा का लडक़ा है कोई काका परिवार का सदस्य है, पिताजी भी हैं। सलधा और खुरूस बोड़ के नाम भी हैं, जिन्हें इस सूची के अनुसार ननिहाल माना जा सकता है, क्योंकि यहां जिन्हें रकम मिली है उनका परिचय कांग्रेस मामा परिवार, ससुराल, ससुराली रिश्तेदार आदि के रूप में दिया गया है। कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटरों का नाम है, जिन्हें भी मित्र और रिश्तेदार बताया गया है। अनुदान के रूप में एक व्यक्ति को 50 हजार रुपये तक दिए गए हैं।
इस सूची को लेकर खास बात यह है कि न तो भाजपा ने या विधायक ने ही इसके फर्जी होने का आरोप लगाया। न ही रिश्तेदारी या करीबी होने की बात का खंडन किया गया है। विधायक ने लेकिन इस सूची को लेकर बखेड़ा खड़ा करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जो-जो उनके पास मदद मांगने के लिए आया, उनके आवेदन को उन्होंने कलेक्टर के पास भेज दिया। 2000 लोगों को स्वेच्छानुदान बांटना है, पांच-सात सौ की मंजूरी अब तक मिली है। यानि विधायक ने उदारता बरती है। यह नहीं देखा कि पीएसओ के रिश्तेदार होने के चलते किसी आवेदन को ठुकरा दिया जाए। हो सकता है कि वे लोग बहुत जरूरतमंद होंगे। किसी को बीमारी के इलाज के लिए, किसी को घर के टूटा हिस्से की मरम्मत के लिए, बच्चों की फीस के लिए, किसी के घर दुर्घटना हो गई तो उसकी सहायता के लिए राशि की जरूरत हो तो वे स्वेच्छानुदान के लिए विधायक को आवेदन कर सकते हैं। हो सकता है, बाकी लोगों को पता ही नहीं हो कि वे ऐसा कर सकते हैं। पीएसओ के जरूरतमंद रिश्तेदारों, मित्रों को यह मालूम होगा- इसलिए उन्होंने लाभ उठा लिया।
किस्मत के धनी का भविष्य?

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो गई है। नौ अगस्त से नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे। भाजपा में उपराष्ट्रपति पद के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस भी हैं। बैस तीन प्रदेशों के राज्यपाल रह चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर बैस को राज्यपाल बनाए जाने की वकालत की थी। इसको लेकर कांग्रेस में काफी प्रतिक्रिया हुई थी। हालांकि बैस की अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनके करीबी लोग उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका तर्क है कि पार्टी चाहती, तो उन्हें कार्यकाल खत्म होने के बाद एक टर्म दे सकती थी।


