राजपथ - जनपथ
ये कब तक जान बचा पाएंगीं?
रायपुर की एक सडक़ की तस्वीर है। राजधानी के लिए नया नाम भी उन्होंने सुझाया है- गायपुर। वैसे तो छत्तीसगढ़ की सडक़ों पर बारहों महीने ऐसी हालत दिख जाती है, मगर बारिश में गीली मिट्टी से बचने के लिए इन दिनों सडक़ पर अधिक संख्या में दिखाई दे रहे हैं। बिलासपुर में हाईकोर्ट है। इस मामले को लेकर अदालत ने कई बार चिंता जताई है। पंचायत से लेकर प्रमुख सचिव स्तर तक समिति बनाकर मॉनिटरिंग करने कहा है लेकिन सब उपाय फेल हैं। हाल ही में दो दर्जन से अधिक गायों की दो दुर्घटनाओं में मौत हो गई है। रात के वक्त अज्ञात भारी गाडिय़ां इन्हें कुचलकर भाग गईं। चूंकि अब बिलासपुर हाईकोर्ट में जिला प्रशासन को जवाब देना है इसलिये अब पशु मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने आदेश जारी कर दिया गया है। जो लोग खुले में गाय बैलों को छोड़ रहे हैं, उनके खिलाफ न केवल जुर्माना लगाने का बल्कि दोबारा ऐसा करते पाए जाने पर जेल भेजने का अधिकार सभी एसडीएम को दिए गए हैं। हालांकि इस एक्ट के लागू होने के बाद कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। मूक जानवरों की मौत तो हो ही रही है, सडक़ दुर्घटनाओं में लोग भी हताहत हो रहे हैं। राजधानी रायपुर हो या बिलासपुर एक ही हाल है। आश्चर्च यह है कि स्वच्छ शहरों की अपनी-अपनी श्रेणी में इन दोनों ही शहरों को अवार्ड हासिल हुए हैं।
जेल भी अखाड़ा

कोल स्कैम में फंसे पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी सूर्यकांत तिवारी की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में 4 अगस्त को सुनवाई होगी। सूर्यकांत करीब तीन साल से रायपुर सेंट्रल जेल में हैं। जमानत अर्जी पर सुनवाई से पहले एक अन्य आरोपी निखिल चंद्राकर के आरोपों से सूर्यकांत की मुश्किलें बढ़ गई है।
निखिल चंद्राकर ने आरोप लगाया है कि अप्रैल में सूर्यकांत उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद निखिल को धमतरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया। जेल प्रशासन ने पुरानी शिकायतों के आधार पर सूर्यकांत को अंबिकापुर जेल शिफ्ट करने की वकालत भी की है। जो खारिज हो गई।
जेल प्रशासन का आरोप है कि गत 20 जुलाई को जेल में निरीक्षण के दौरान बैरक में सूर्यकांत का बर्ताव खराब रहा है। सूर्यकांत के वकील जेल प्रशासन और निखिल के आरोपों को निराधार बता रहे हैं। यह तर्क दिया जा रहा है कि सूर्यकांत की जमानत को रोकने के लिए नए आरोप गढ़े जा रहे हैं। यह भी बताया गया कि नए आरोपों की वजह से सुप्रीम कोर्ट में दो बार सुनवाई की तिथि आगे बढ़ चुकी है। इस केस में ज्यादातर आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। ईओडब्ल्यू-एसीबी सूर्यकांत की जमानत याचिका का विरोध किया है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि आजकल प्रदेश में देखा जा रहा है कि जेलों को भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया है। वहां भी दल देखकर प्रतिशोध का भाव देखा जा रहा है।
उन्होंने आगे लिखा कि कल जिस प्रकार से दुर्ग में चुने गए सांसदों को समय देने के बाद भी बंदियों से रोका गया, फिर भारी विरोध के बाद मिलने दिया गया। इसके अलावा रायपुर जेल से भी राजनीतिक प्रतिशोध की खबरें आ रही हैं। पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य भी शराब घोटाला केस में रायपुर सेंट्रल जेल में हैं। स्वाभाविक है कि पूर्व सीएम की भी जेल की तमाम घटनाक्रमों की जानकारी के साथ बारीक नजर है। ऐसे में सूर्यकांत की जमानत अर्जी पर क्या होता है, यह तो चार तारीख को ही पता चलेगा।
तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना
महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद चंद्राकर को शहर जिला कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ बयानबाजी पर नोटिस जारी किया है। चंद्राकर को पार्टी ने विधानसभा टिकट नहीं दी थी। उनकी जगह श्रीमती रश्मि चंद्राकर को टिकट दी थी। मगर वो चुनाव हार गईं। इसके बाद से समय-समय पर विनोद चंद्राकर अपनी नाराजगी का इजहार करते रहते हैं। पिछले दिनों विनोद ने पार्टी नेताओं के खिलाफ बयान दिया, तो उनसे लिखित में जवाब मांगा गया है।
नोटिस मिलने के बाद शारीरिक तकलीफों की वजह से पूर्व विधायक रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें देखने के लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और प्रदेश के प्रभारी सचिव विजय जांगिड़ सहित अन्य नेता पहुंच चुके हैं। वो नेता भी विनोद चंद्राकर का कुशलक्षेम पूछने अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिन्होंने चंद्राकर को नोटिस देने के लिए कहा था। यानी साफ है कि जिन्होंने दर्द दिया, वही अब दवा भी दे रहे हैं। इससे खुद विनोद चंद्राकर संतुष्ट नजर आ रहे हैं।
सवन्नी के खिलाफ मोर्चा
प्रदेश भाजपा संगठन के बड़े नेता, और क्रेडा के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह सवन्नी पर कमीशनखोरी के आरोपों की पड़ताल चल रही है। सीएम विष्णुदेव साय ने शिकायतों पर ऊर्जा सचिव से रिपोर्ट तलब किया है। आम तौर पर किसी न किसी नेता या अफसर के खिलाफ शिकायतें होती रहती हैं। सालों बाद ऐसा हुआ है जब सीएम ने सीधे जांच करने के लिए कह दिया। डॉ. रमन सिंह के सीएम रहते बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ ऐसी ही एक शिकायत आई थी। तब बृजमोहन अग्रवाल पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर थे। एक कंपनी ने अग्रवाल पर डॉलर में रिश्वत मांगने की शिकायत की थी।
शिकायत को डॉ. रमन सिंह ने संज्ञान में लिया, और जांच एजेंसी से रिपोर्ट मांगी। बाद में शिकायत ही फर्जी पाई गई। मगर सवन्नी का मामला थोड़ा अलग है। क्रेडा सीएम के ऊर्जा विभाग के अधीन हैं। यहां पहले भी काफी शिकायतें होती रही हैं। मगर इस बार शिकायती पत्र को सीएम ने गंभीरता से लिया है।
सवन्नी पार्टी संगठन के पसंदीदा माने जाते हैं। उनके खिलाफ शिकायती पत्र सामने आते ही संगठन के प्रमुख नेता टूट पड़े। पार्टी ने हड़बड़ी में क्रेडा ठेकेदार-सप्लायरों का एक पत्र सार्वजनिक किया जिसमें सवन्नी के खिलाफ शिकायतों को फर्जी बताया। ठेकेदारों ने सीएम को पत्र लिखकर सवन्नी के खिलाफ को नस्तीबद्ध करने का आग्रह किया है। इस बात की संभावना है कि शिकायत नस्तीबद्ध हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि कमीशनखोरी की शिकायत का कोई ठोस सुबूत सामने नहीं आया है। बावजूद इसके सवन्नी के खिलाफ मुद्दा, तो बन ही गया है।
हालांकि सवन्नी बंधु अपने मृदु व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। भूपेन्द्र सवन्नी को काफी मेहनती पदाधिकारी माना जाता है। वो नगरीय निकाय चुनाव के संगठन प्रभारी भी थे। पार्टी को निकाय चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इसका कुछ श्रेय सवन्नी को भी दिया जाता है।
बावजूद इसके सवन्नी की कार्यशैली के खिलाफ पार्टी के कई नेता मुखर रहे हैं। वो रायपुर संगठन के प्रभारी थे तब केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के सामने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के साथ नोकझोंक हुई थी। उनके भाई महेन्द्र सिंह सवन्नी मंडी बोर्ड के एमडी हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद दो बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है। ऐसी चर्चा है कि विभागीय मंत्री रामविचार नेताम इससे सहमत नहीं रहे हैं। कुल मिलाकर भाजपा में ताकतवर सवन्नी बंधुओं के खिलाफ मोर्चा भी खुला है। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है।


