राजपथ - जनपथ
वक्त से पहले, किस्मत से ज्यादा
सरकार के निगम-मंडलों की सूची जारी होने के बाद से भाजपा के अंदरखाने में हलचल मची है। भाजयुमो के एक नेता को बड़ा संवैधानिक पद मिलने से कई नेता चौंक गए हंै। ऐसा नहीं है कि युवा नेता की सक्रियता में कोई कमी है। बल्कि पार्टी के कई सीनियर नेता उक्त पद के लिए जोर आजमाइश कर रहे थे।
चर्चा है कि भाजयुमो नेता के लिए दिल्ली सरकार के एक मंत्री ने सिफारिश की थी। सिख समाज के इस मंत्री की भाजपा के भीतर काफी पैठ है। पार्टी के राष्ट्रीय नेता, उनकी बात को महत्व देते हैं। ऐसे में दिल्ली से मंत्रीजी की सिफारिश आई, तो भाजयुमो नेता का नाम भी सूची में जुड़ गया, और उन्हें बड़ा पद मिल गया।
दूसरी तरफ, पद से वंचित कई नेता अपनी बात पार्टी नेतृत्व के आगे रख रहे हैं। पिछले दिनों अमित शाह के स्वागत के लिए सीएम विष्णुदेव साय एयरपोर्ट पहुंचे, तो एक नेता ने मौका पाकर उनके सामने अपनी व्यथा रख दी। नेताजी ने सीएम से कहा-भाई साब, सबको कुछ न कुछ मिल गया है। मेरा नाम छूट गया है। सीएम मुस्कुराकर रह गए। सही भी है भाग्य में लिखा होगा तो पद मिल ही जाएगा।
सट्टा और वर्दीधारी
देश प्रदेश की तरह राजधानी में ऑनलाइन, ऑफलाइन सट्टा बाजार सर चढ़ कर बोल रहा है। और इसमें वर्दीधारियों के वरदहस्त से खूब दांव लग रहे हैं। जो चढ़ावा नहीं दे रहे वो पकड़ा रहे जो दे रहे वारे न्यारे कर रहे। इन पर नजर रखने वाले राजधानी की एक विशेष ब्रांच में मां हसमती बने अफसर के सिंहासन के कटप्पा बनने की होड बनी हुई है।
दरअसल, वर्तमान के दो बिना लिखित आदेश के कटप्पा बने हुए हैं जो इन दिनों आईपीएल के बंगलौर, गोवा, पूना में बैठे असली खिलाडिय़ों से मैच के हर बॉल के हिसाब से सिंहासन के लिए चढ़ावा ले रहे हैं। और इनका तरीका भी बहुत ही अनोखा है। कपड़े के बड़े बाजार स्थित छत्तीसगढ़ी अमृत सेंटर में आईपीएल कंट्रोल रूम बना रखा है। जहां असली खिलाडिय़ों के स्टैंडबाय के साथ बैठकर अमृत की हर घूंट के साथ हर बॉल पर सिंहासन के लिए रेट लगवा रहे हैं ।
प्रदेश में कई जांच एजेंसियों के सक्रिय होने के कारण तकनीकी बचाव का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उसके लिए अपने असली नंबर और असली मोबाइल चालू हालत में एयर टाइट डिब्बे के अंदर बंद कर रख दिए गए हैं। और चढ़ावा की वसूली के लिए नया मोबाइल नए नंबर के साथ वापर रहे हैं। इस बात की जानकारी मां हसमती को भी है कि उसके सिंहासन के नीचे के कटप्पा क्या कर रहे है? लेकिन सवाल चढ़ावे का जो है उसके लिए धृतराष्ट्र्र नने में ही फायदा है..! वैसे भी पुलिस में अल्फा बीटा गामा की यह लड़ाई दशकों से चल ही रही है। समय के साथ किरदारों के नाम बदलते रहे हैं। इस बार कटप्पा, हसमती बाहुबली के रूप में पहचाने जा रहे हैं।
चूक होती रहती है
निगम-मंडलों के नवनियुक्त पदाधिकारियों की सूची में थोड़ा बदलाव हुआ है। सूची में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष के रूप में शशांक शर्मा की नियुक्ति का जिक्र था। चूंकि परिषद के अध्यक्ष सीएम होते हैं, और संस्कृति मंत्री उपाध्यक्ष होते हैं। ऐसे में आदेश निकलने से पहले सूची संशोधित की गई, और शशांक शर्मा को साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने शशांक शर्मा के परिषद अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए थे। वर्मा खुद परिषद के सदस्य रह चुके हैं।
हालांकि भूपेश सरकार में बड़ी चूक हुई थी। सरकार ने स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह को मंत्री पद से हटाने के बाद राज्य योजना आयोग का अध्यक्ष बनाया था। इस आशय का प्रेेस नोट भी सरकार ने जारी किया था। आयोग के पदेन अध्यक्ष सीएम होते हैं, और उपाध्यक्ष पद पर उस वक्त रिटायर्ड आईएएस अजय सिंह थे। इसके लिए नियमों में संशोधन किया गया तब कहीं जाकर महीने भर बाद डॉ. प्रेमसाय सिंह का आदेश निकल पाया। ये अलग बात है कि डॉ. प्रेमसाय सिंह के पास कैबिनेट मंत्री की सुविधाएं यथावत रही। इस मामले में शशांक शर्मा काफी पीछे रह गए हैं। उनका आदेश नहीं निकला था, और विवाद खड़ा हो गया। नए पद में कैबिनेट मंत्री की सुविधाएं मिलती है या नहीं यह देखना है।
जोर लगाते हैं मगर, कभी-कभी मौसम की मार तो कभी सरकार की अनदेखी उनकी मेहनत पर पानी फेर देते हैं।
टमाटर मवेशियों के हवाले...

छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला, विशेष रूप से पत्थलगांव-कुनकुरी क्षेत्र, लंबे समय से टमाटर उत्पादन के लिए पहचाना जाता रहा है। यह इलाका उपजाऊ भूमि और मेहनती किसानों के कारण राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता आया है। यहां की टमाटर की फसल न केवल स्थानीय मंडियों में बल्कि पड़ोसी राज्यों तक भी खपत होती रही है।
लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। टमाटर की कीमतें थोक बाजार में हर साल गिर जाती हैं पर थोड़े दिनों के लिए। मगर इस बार यह गिरावट लंबी खिंच गई है। एक माह से अधिक हो गया, एक से दो रुपये प्रति किलोग्राम तक थोक कीमत रह गई हैं। किसानों का तुड़ाई, परिवहन और श्रम की लागत निकालना भी संभव नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप, किसान फसल को खेतों में सडऩे के लिए छोडऩे या मवेशियों को खिलाने को मजबूर हो गए हैं। अनुमान है कि केवल इस साल, जशपुर जिले के किसानों को 50 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। रायगढ़, पंडरिया, बेमेतरा, धमधा, मुंगेली के किसानों का भी यही हाल है।
टमाटर की उपज को बचाने और अच्छे दाम दिलाने के लिए विगत वर्षों में कई सरकारी योजनाओं की घोषणा की जाती रही है, जिनमें फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार और बाजार हस्तक्षेप योजना शामिल थीं। पत्थलगांव में टमाटर प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना का ऐलान भी हुआ था। वहीं, कोल्ड स्टोरेज की कमी और मंडी व्यवस्था में बिचौलियों की सक्रियता ने किसानों की समस्याएं और बढ़ा दी हैं। कई लोग तो कर्ज में भी डूब गए हैं। किसान आत्मनिर्भर होने की अपनी तरफ से पूरा


