राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कहीं खुशी-कहीं गम
03-Apr-2025 2:53 PM
राजपथ-जनपथ : कहीं खुशी-कहीं गम

कहीं खुशी-कहीं गम 

आखिरकार सरकार के निगम-मंडलों के पदाधिकारियों की बहुप्रतीक्षित सूची बुधवार की रात जारी कर दी गई। सूची को लेकर भाजपा के अंदरखाने में कहीं खुशी, तो कहीं गम का माहौल है। इन सबके बीच कुछ नामों को लेकर काफी चर्चा हो रही है। ऐसे में राजनांदगांव के ब्राह्मणपारा इलाके के अगल-बगल में रहने वाले दो युवा नेताओं को ‘लाल बत्ती’ से नवाजा गया है।
युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे नीलू शर्मा को राज्य पर्यटन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। नीलू के पड़ोसी योगेशदत्त मिश्रा को श्रम कल्याण मंडल का अध्यक्ष बनाया गया है। नीलू का नाम पहले से ही तय माना जा रहा था। वो राजनांदगांव से मेयर टिकट के दावेदार थे। यही नहीं, विधानसभा, और लोकसभा चुनाव संचालन में अहम भूमिका निभाई थी।

गौर करने लायक बात यह  है कि रमन सरकार में नीलू शर्मा राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके पिता पूर्व सांसद अशोक शर्मा नागरिक आपूर्ति निगम, और पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे हैं। इससे परे योगेशदत्त भारतीय मजदूर संघ का काम देखते रहे हैं। यही वजह है कि संघ पृष्ठभूमि के योगेशदत्त को भी ‘लाल बत्ती’ से नवाजा गया है। खास बात यह है कि इसी ब्राम्हणपारा के रहवासी निखिल द्विवेदी, भूपेश सरकार में राज्य पर्यटन बोर्ड के डायरेक्टर रहे हैं। उन्हें कांग्रेस ने मेयर प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वो हार गए।

सबसे चौड़े कमजोर कंधे !!

निगम-मंडल के पदाधिकारियों की सूची जारी होने के बाद से भाजपा में नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने तो एक कदम आगे जाकर राज्य केश शिल्प विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष पद स्वीकारने से मना कर दिया। ऐसा करने का साहस जुटाने वाले संभवत: वो पहले नेता हैं।

श्रीवास ने फेसबुक पर लिखा कि पार्टी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है कि  जिसे उठाने में मेरे कंधे असमर्थ हैं। इसलिए पद स्वीकार नहीं है। संगठन के कार्यकर्ता के रूप में मैं ठीक हूं। श्रीवास से जुड़े लोग मानकर चल रहे थे कि पिछले पांच साल में भूपेश सरकार के खिलाफ जिस तरह उन्होंने सडक़ से लेकर अदालत तक विभिन्न मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ी है उससे उनकी प्रतिष्ठा अनुरूप कोई अहम दायित्व मिलेगा। मगर ऐसा नहीं हुआ।

सच तो यह है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति के गौरीशंकर श्रीवास से अधिक मज़बूत और चौड़े कंधे किसी के हैं नहीं, और सीना भी छप्पन इंच से कुछ अधिक ही है। वे कई बरस पहले एक मुक़ाबले में मिस्टर छत्तीसगढ़ भी बने थे। 

दारू की जगह दूध !!
चर्चा है कि श्रीवास की तरह केदार गुप्ता भी अपने नए दायित्व से खुश नहीं हैं। केदार को दुग्ध महासंघ का चेयरमैन बनाया गया है, जो कि पहले ही काफी घाटे में चल रहा है। केदार को ब्रेवरेज निगम जैसा कोई अहम दायित्व मिलने की उम्मीद थी। खास बात यह है कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे, और गृह मंत्री रह चुके रामसेवक पैकरा को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। पैकरा को विधानसभा टिकट नहीं मिली थी। इसलिए वो निगम-मंडल में जगह चाह रहे थे।

इसी तरह प्रदेश भाजपा के महामंत्री (संगठन) रामप्रताप सिंह को छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है। पहले रामप्रताप सिंह को राज्यसभा में भेजे जाने की चर्चा चल रही थी। मगर उनकी जगह पार्टी ने देवेन्द्र प्रताप सिंह को राज्यसभा प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में रामप्रताप सिंह के पद के लिए खुद सीएम विष्णुदेव साय रुचि दिखा रहे थे। रामप्रताप सिंह, जशपुर जिले के रहने वाले हैं। लिहाजा, उन्हें पद देने में पार्टी को कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई।

सौरभ सिंह को खास छूट 

प्रदेश भाजपा के रणनीतिकारों ने विधायक अथवा पराजित प्रत्याशी को पद नहीं देने का सैद्धांतिक फैसला लिया था। विधायकों को तो निगम-मंडल में पदाधिकारी नहीं बनाया गया, लेकिन विधानसभा चुनाव हारे सौरभ सिंह के मामले में पार्टी ने छूट दे दी, और उन्हें राज्य खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया गया।

खनिज निगम  ‘वजनदार’ माना जाता है। जबकि ज्यादातर निगम-मंडल तो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं। कुछ में तो संपत्ति बेचकर कर्मचारियों का वेतन देने की नौबत आ गई है। सौरभ सिंह ने पंचायत चुनाव में काफी अहम भूमिका निभाई थी। प्रदेश में 33 में से 32 जिला पंचायतों में भाजपा का कब्जा हुआ है।

सौरभ सिंह एक प्रमुख रणनीतिकार के रूप में उभरे हैं, और यही वजह है कि उन्हें महत्वपूर्ण निगम का दायित्व सौंपा गया है। पूर्व सांसद चंदूलाल साहू को राज्य भण्डार गृह निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह पूर्व सांसद सरोज पाण्डेय के भाई राकेश पाण्डेय को खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष पद दिया गया है।

पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर चाहते थे कि निगम मंडल में नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चि_ी भी लिखी थी। मगर 36 निगम-मंडल अध्यक्षों में से 10 ऐसे हैं, जो रमन सरकार में अलग-अलग निगम-मंडलों में अध्यक्ष या अन्य पदों पर रहे हैं।

मीडिया वाले कोई नहीं

सरकार के निगम-मंडलों में एक पद कम से कम भाजपा के मीडिया विभाग के मुखिया को मिलता रहा है। रमन सरकार में मीडिया प्रभारी रहे सुभाष राव को राज्य गृह निर्माण मंडल का अध्यक्ष बनाया गया था। वो करीब 10 साल मंडल अध्यक्ष रहे। राव के बाद मीडिया प्रभारी रहे रसिक परमार को दुग्ध महासंघ का अध्यक्ष बनाया गया। मगर इस बार किसी को पद नहीं दिया गया।

मीडिया विभाग के अध्यक्ष अमित चिमनानी को अहम पद मिलने की उम्मीद थी। हालांकि उनके लिए संभावना अभी खत्म नहीं हुई है। सिंधी अकादमी के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति होना बाकी है। इसके अलावा बेवरेज कॉर्पोरेशन के लिए चिमनानी, और अनुराग अग्रवाल सहित कई नाम चर्चा में है। चिमनानी की तरह अनुराग अग्रवाल को पद के लिए काफी सिफारिशें थी। मगर उन्हें भी कोई दायित्व नहीं मिला। चर्चा है कि देर सबेर दोनों को ही किसी निगम मंडल में एडजस्ट किया जा सकता है।

छवि कृत्रिम, मुद्दा वास्तविक 

तेलंगाना में कांचा गचीबोवली के 400 एकड़ क्षेत्र में सरकार द्वारा आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास के लिए भूमि साफ करने की प्रक्रिया शुरू होते ही छात्रों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों का विरोध शुरू हो गया। यह क्षेत्र 455 से अधिक प्रजातियों के वन्यजीवों का निवास स्थान रहा है, जिनमें मोर, हिरण और विभिन्न पक्षी शामिल हैं। इस बीच सोशल मीडिया में आई एक तस्वीर ने लोगों की भावनाओं को झकझोर दिया और जनाक्रोश और बढ़ गया। इसमें जेसीबी मशीनों के चलते घबराए हुए वन्यजीवों को भागते हुए दिखाया गया। बाद में, एआई-डिटेक्शन टूल्स से यह पुष्टि हुई कि यह छवि कृत्रिम रूप से बनाई गई थी। लेकिन इसने वास्तविक मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया। छवि बनावटी है पर पेड़ों की कटाई और वन्यजीवों का विस्थापन वास्तव में हो रहा है। लोगों को पता चल गया कि छवि काल्पनिक है, मगर लोगों ने इसे शेयर करना नहीं छोड़ा और सरकार के फैसले का विरोध इसके जरिये किया। पारंपरिक मीडिया पर सरकारों और कॉरपोरेट संस्थानों का नियंत्रण बढऩे के कारण विरोध के पारंपरिक माध्यमों का असर कम होता जा रहा है। ऐसे में एआई-निर्मित फोटो और वीडियो, जनता से जुड़े मुद्दों को उजागर करने का भविष्य में प्रभावी तरीका बन सकते हैं।

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