राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कुबेर ने भूखा मार डाला
29-Mar-2025 4:22 PM
राजपथ-जनपथ : कुबेर ने भूखा मार डाला

कुबेर ने भूखा मार डाला 

वन विभाग में शीर्ष स्तर पर बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। पीसीसीएफ स्तर के अफसर संजय ओझा 31 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। सरकार ने 30 साल की सेवा पूरी कर चुके एपीसीसीएफ स्तर के अफसरों को पीसीसीएफ का स्केल देने का फैसला लिया है। इन सबके चलते पीसीसीएफ  स्तर के अफसरों के प्रभार बदले जा सकते हैं।

यही नहीं, डीएफओ और एपीसीसीएफ स्तर के अफसरों के प्रभार भी बदले जा सकते हैं। सुनते हैं कि आईएफएस अफसरों के फेरबदल की सूची  तैयार होने की खबर उड़ी है, लेकिन अफसर बेपरवाह हैं। वजह यह है कि  एसीएस (वन) रिचा शर्मा के दबाव की वजह से विभाग में निर्माण कार्यों और अन्य तरह के भुगतान के लिए ई कुबेर सिस्टम लागू किया गया है। जिसके चलते फर्जी मस्टर रोल बनाकर फील्ड में मजदूरी भुगतान को लेकर हो रही अनियमितताओं पर अंकुश लगा है। भुगतान सीधे मजदूरों के खाते में जमा हो रहे हैं। इन सबके चलते फील्ड पोस्टिंग को लेकर हमेशा से होने वाली मारा मारी भी नहीं है।

हालांकि विभाग के एक-दो शीर्ष अफसर इससे परेशान भी हैं। एक शीर्ष अफसर ने अपना दर्द कुछ इस अंदाज में बखान किया कि दिवाली-होली में मिलने के लिए कोई भी फील्ड के अफसर नहीं आए। इससे पहले तक तो दिवाली मिलने आते थे, तो स्वाभाविक तौर पर खाली हाथ नहीं आते थे। ई कुबेर की वजह से स्वागत सत्कार के लिए गुंजाइश सीमित रह गई है। ऐसे में अब अफसर भी बेपरवाह हो गए हैं।

इंटरव्यू देने से क्या फायदा?

मुख्य सूचना आयुक्त(सीआईसी) पद के लिए पिछले दिनों इंटरव्यू हुआ, तो कई अफसर इंटरव्यू देने नहीं आए। इसकी वजह भी थी कि सीएस खुद इंटरव्यू देने पहुंचे थे, तो रिटायर्ड अफसरों के लिए गुंजाइश नहीं के बराबर थी। इन्हीं सबको ध्यान में रखकर डॉ. संजय अलंग, नरेन्द्र शुक्ला, अमृत खलको सहित कई अफसर नहीं पहुंचे। सचिव स्तर के ये सभी अफसर सालभर के भीतर रिटायर हुए हैं।

बताते हैं कि डॉ. अलंग, अमृत खलको सहित कई अफसरों ने आईसी (सूचना आयुक्त ) के लिए भी आवेदन किया है। सूचना आयुक्त के दो पद खाली हैं, और ये सभी रिटायर्ड अफसर अपनी संभावना देख रहे हैं। वैसे भी सीआईसी के पद पर अब तक सीएस रैंक के अफसर रहे हैं, ऐसे में उनसे नीचे रैंक के अफसर के लिए संभावना नहीं के बराबर रही है। इससे जुड़ी एक खबर और है कि दो पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा, और डीएम अवस्थी ने भी सीआईसी के लिए आवेदन किया था, लेकिन जुनेजा का तो इंटरव्यू हुआ, लेकिन अवस्थी नहीं पहुंचे। सरकार बदलने के बाद अवस्थी को ईओडब्ल्यू-एसीबी से हटाया गया था। ऐसे में कुछ लोगों का अंदाजा है कि उन्हें खुद के लिए संभावना कम नजर आई इसलिए वो इंटरव्यू देने नहीं पहुंचे। वहीं एक दावेदार ने इंटरव्यू के लिए न बुलाए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना था कि मेरी पात्रता में क्या कमी है चयन होना न होना अलग बात है, लेकिन न बुलाया जाना अपमानजनक है। इसके बाद समिति ने उन्हें भी आमंत्रित किया।  

 

गिब्ली स्टूडियो का खुमार

इंटरनेट पर हर दिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का कोई न कोई नया अवतार देखने को मिल रहा है। बीते कुछ दिनों में गिब्ली स्टूडियो स्टाइल एनिमेशन में तस्वीरें बनाने का ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है। छत्तीसगढ़ के कई बड़े राजनेता, चाहे वे कांग्रेस के हों या भाजपा के, इस ट्रेंड को अपनाते नजर आ रहे हैं। वे किसी खास मौके की ओरिजनल फोटो के साथ गिब्ली स्टाइल में बदली गई एनिमेशन इमेज सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं।

स्टूडियो गिब्ली दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित एनिमेशन स्टूडियो में से एक है। इसका नाम इतालवी शब्द गिल्बी से लिया गया है, जिसका अर्थ है-गरम सहारा (डेजर्ट) की हवा। स्टूडियो के सह-संस्थापक और मशहूर एनीमेशन निर्देशक हायाओ मियाज़ाकी ने इस नाम को इसलिए चुना क्योंकि वे एनीमेशन की दुनिया में एक नई और ताजग़ी भरी क्रांति लाना चाहते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कई तस्वीरें अब गिब्ली स्टूडियो स्टाइल में उपलब्ध हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्तावित राज्य प्रवास के मौके पर, निमंत्रण के साथ अपनी मोदी संग मुलाकात की एक गिब्ली-स्टाइल फोटो सोशल मीडिया पर साझा की।

बहुत से एनिमेशन आर्टिस्ट्स इस बदलाव को देखकर चिंतित हो सकते हैं। वैसे विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि एआई जैसे डिजिटल टूल्स सिर्फ काम को तेज़ और आसान बना सकते हैं, लेकिन कल्पनाशक्ति और भावनात्मक गहराई इंसानों के बिना संभव नहीं है। 

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