राजपथ - जनपथ
राजभवन और शहनाई
राज्यपाल डेका के पिछले दिनों बार-बार दिल्ली की आवाजाही को लेकर यह चर्चा होने लगी थी कि इस वर्ष होने वाले असम विधानसभा चुनाव के जरिए सक्रिय राजनीति में लौटना चाहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ राजभवन में जल्द ही शहनाई गूंजने वाली है। राज्य गठन के बाद पहली बार किसी महामहिम के परिवार में शादी होने जा रही है। महामहिम इन दिनों उसी में व्यस्त हैं।
रमन डेका के पुत्र की शादी मार्च के पहले हफ़्ते में होने वाली है। वे राष्ट्रपति पीएम, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री समेत सभी को न्यौता दे आए हैं। अब तक तय कार्यक्रम के अनुसार शादी गुवाहाटी में होगी। और ऐसी चर्चा है कि रायपुर में भी रिसेप्शन हो सकता है।
फिर लग रही जंगल में आग
गर्मी अभी ठीक से आई भी नहीं और जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व सहित कई जंगलों में आग धधक रही है, और वन विभाग इसे रोकने में नाकाम दिख रहा है।
इस समय मैनपुर के तौरेगा, जरहाडीह, अडग़ड़ी, शोभा, करेली जैसे कई इलाकों में आग लगने की खबर सामने आई हैं। वन विभाग ने कदम तब उठाया है, जब यह एक बड़े क्षेत्र में फैल चुकी है। सवाल उठता है कि आखिर हर बार यह स्थिति क्यों बनती है? जंगल में आग लगने की घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए वन विभाग के पास क्या पर्याप्त संसाधन नहीं हैं या फिर यह महज़ लापरवाही का नतीजा है?
मैनपुर के मामले में वन विभाग अब तक यह पता नहीं लगा पाया है कि आग लगने के पीछे का असली कारण क्या है। हालांकि, कुछ का मानना है कि जंगलों में तेंदूपत्ता बीनने वाले लोग जानबूझकर आग लगाते हैं, ताकि उत्पादन बढ़े। कुछ वनोपज व लकड़ी तस्कर भी आग लगाकर वन संपदा को नुकसान पहुंचाते हैं।
छत्तीसगढ़ में हर साल हजारों हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ जाता है। विभाग का दावा है कि आग बुझाने के लिए उनके पास फायर फाइटिंग सिस्टम और 34 सौ से अधिक अग्नि रक्षक तैनात हैं। फिर भी आग को नियंत्रित करने में इतनी देरी ? स्पष्ट है कि या तो विभाग इन संसाधनों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर रहा है। छत्तीसगढ़ में 2022 में 18,447 और 2021 में 22,191 आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जो दर्शाती हैं कि यह समस्या लगातार विकराल रूप धारण कर रही है।
ऐसी आग न सिर्फ पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि इससे वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों को भी भारी नुकसानदायक है। जंगलों में रहने वाले जीव-जंतु या तो आग में झुलसकर मर जाते हैं या फिर अपना प्राकृतिक आवास छोडऩे को मजबूर हो जाते हैं। यह स्थिति जैव विविधता के लिए चिंताजनक है। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या खड़ी होती है। पहले बात हुई थी कि आग पर निगरानी रखने के लिए आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन और सेटेलाइट इमेजिंग का उपयोग किया जाएगा। स्थानीय समुदायों को जागरूक कर उन्हें आग से बचाव के उपायों में शामिल किया जाएगा। मगर, ऐसा लगता है कि सारी योजनाएं कागजों में है।
पार्टी से बड़े विधायक
भाजपा के आधा दर्जन से अधिक विधायक ऐसे हैं जिन्होंने संगठन के फैसले को नहीं माना, और जिला पंचायत में अपने प्रत्याशी खड़े किए। इनमें से विधायकों के कई प्रत्याशी जीत भी गए हैं। ऐसे में अब विधायकों को साथ लेना संगठन की मजबूरी बन गई है, क्योंकि जिला पंचायत में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पार्टी की प्राथमिकता है।
पंचायत चुनाव के चलते भाजपा के कई विधायकों के खिलाफ क्षेत्र में पार्टी के लोगों ने ही मोर्चा खोल रखा है। अभनपुर के विधायक इंद्र कुमार साहू के खिलाफ स्थानीय कार्यकर्ता खफा हैं, तो लुंड्रा के विधायक प्रबोध मिंज और पूर्व विधायक विजयनाथ सिंह आमने-सामने हो गए हैं। सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो तो पहले ही पार्टी संगठन की आंखों की किरकिरी बन चुके हैं।
पूर्व मंत्री रेणुका सिंह ने अपनी बेटी मोनिका को जिला पंचायत चुनाव जीताकर अपनी ताकत दिखा दी है। रेणुका सिंह से पार्टी के स्थानीय नेता नाराज रहे हैं। अब उन्हें साथ लेने की मजबूरी बन गई है। भाजपा सभी जिला पंचायतों पर कब्जा जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। देखना है आगे क्या होता है।
बुद्ध बनाम गांडादेव

बस्तर जिले के भोंगापाल गांव में वर्ष 1975 में भगवान बुद्ध की 5वीं सदी की प्रतिमा मिली थी। संरक्षण के अभाव में पुरातात्विक महत्व की यह प्रतिमा खुले आसमान के नीचे है। अब स्थानीय ग्रामीणों ने इसका नाम रख दिया है- गांडादेव। वे इसे अपना देव मानकर पूजते हैं।


