राजपथ - जनपथ
रौशन चंद्राकर की रौशनी
भूपेश सरकार में कस्टम मिलिंग घोटाले की ईडी पड़ताल कर रही है। ईडी ने करीब 5 सौ राइस मिलर्स को नोटिस दिया था, और बारी-बारी से बयान लिए। चर्चा है कि सभी राइस मिलर्स ने लिखित बयान में कहा है कि प्रोत्साहन राशि जारी करने के एवज में प्रति क्विंटल 20 रुपए उगाही की जाती थी।
जानकार बताते हैं कि ईडी के पास घोटाले से जुड़े तमाम साक्ष्य मौजूद हैं। ईडी ने जेल में बंद मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी, और मिलर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रौशन चंद्राकर के वाट्सएप चैट निकलवाए हैं। रौशन चंद्राकर अपने मोबाइल से मार्कफेड एमडी को मिलर्स का नाम मैसेज करते थे, और फिर अगले दिन मिलर्स के खाते में राशि जारी कर दी जाती थी।
बताते हैं कि चंद्राकर ने ऐसे करीब 5 सौ मिलर्स के नाम अलग-अलग समय में मार्कफेड एमडी को भेजे थे। कुल मिलाकर सवा सौ करोड़ से अधिक की उगाही मिलर्स से की गई। सर्वविदित है कि रौशन चंद्राकर, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का करीबी है। और वे रामगोपाल अग्रवाल अभी ईडी की गिरफ्त से बाहर है। अब आगे क्या होता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पड़ोस में कूद रहे हैं नेता !
रायपुर नगर निगम के पूर्व मेयर एजाज ढेबर ने सभापति प्रमोद दुबे के वार्ड में नववर्ष पर घर-घर मिठाइयों का पैकेट, और फस्ट एड दवाईयों की किट बटवाए, तो इसकी खूब चर्चा हो रही है। आम तौर पर दिवाली पर मिठाई-गिफ्ट का चलन रहा है, लेकिन पहली बार ढेबर की तरफ से नववर्ष पर मिठाई बंटवाई गई। दिलचस्प बात यह है कि ढेबर, और प्रमोद दुबे एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में सभापति के भगवती चरण शुक्ल वार्ड में ढेबर की सक्रियता के मायने तलाशे जा रहे हैं।
चर्चा है कि ढेबर भगवती चरण शुक्ल वार्ड से चुनाव लडऩा चाहते हैं। उनका पैतृक घर भी इसी वार्ड में आता है। जबकि वार्ड पार्षद रहे प्रमोद दुबे यहां के लिए बाहरी रहे हैं। बावजूद इसके वार्ड चुनाव में रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी। अंदर की खबर यह है कि प्रमोद दुबे खुद वार्ड चुनाव लडऩे के बजाए अपनी पत्नी दीप्ति दुबे को मेयर प्रत्याशी बनवाना चाहते हैं। हल्ला यह भी है कि इसके लिए ढेबर, और प्रमोद दुबे के बीच समझौता भी हो गया है। ढेबर, प्रमोद दुबे की पत्नी की उम्मीदवारी का समर्थन कर सकते हैं। इन चर्चाओं में कितना दम है, यह तो पता नहीं, लेकिन वार्डवासी मिठाई-दवाई किट मिलने से काफी खुश हैं।
खतरे में बाघिन की जान

भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने वन्यजीव रहवास वाले क्षेत्रों में रेलवे लाइनों की योजना बनाने के लिए कड़े दिशानिर्देश जारी किए हैं। सबसे पहले यही कहा गया है कि ऐसे इलाकों से रेल लाइन गुजारने की योजना जहां तक संभव हो, न बनाएं। इसके बजाय वैकल्पिक मार्गों का चयन करें। यदि अत्यधिक आवश्यकता हो और रेल लाइन ऐसे इलाकों से गुजरनी ही हो, तो वन विभाग की मदद से गहन सर्वेक्षण किया जाए। बाघ, हाथी, तेंदुआ और बायसन जैसे वन्यजीवों के लिए ट्रैक के साथ अंडरपास या ओवरपास का निर्माण किया जाए। इसके साथ ही रेलवे के बुनियादी ढांचे में वन्यजीव-अनुकूल डिजाइन सुविधाओं को शामिल करके वन्यजीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
हाल ही में, कटनी मार्ग पर एक मालगाड़ी के लोको पायलट द्वारा शूट किया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में एक बाघिन को बिलासपुर-कटनी मार्ग पर शहडोल के पास तीसरी लाइन को पार करते हुए देखा गया। बाघ-बाघिन का इस तरह दिनदहाड़े दिखना रोमांचक और अद्भुत लगता है। वीडियो बनाने वाले रेलवे कर्मचारी ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं। लेकिन इस दृश्य के पीछे रेलवे की लापरवाही उजागर होती है, जिसके चलते बाघिन और अन्य वन्यजीवों को ट्रैक पार करने में जान का खतरा उठाना पड़ रहा है।
यह तीसरी रेलवे लाइन हाल ही में तैयार हुई है, जबकि डब्ल्यूआईआई के निर्देश पहले से मौजूद थे। सवाल उठता है कि निर्माण के दौरान क्या यह पहचान नहीं की गई कि इस क्षेत्र में संवेदनशील वन्यजीव गुजरते हैं? दिन के समय मालगाड़ी के ड्राइवर ने बाघिन को देखकर अपनी गति कम कर ली, लेकिन रात के अंधेरे में ऐसे वन्यजीवों के लिए यह खतरा और बढ़ जाता है। कुछ वर्ष पहले बेलगहना के पास एक तेंदुआ रात में रेलवे ट्रैक पर हादसे का शिकार हो गया था।
यह बाघिन हाल ही में कटनी मार्ग के ही भनवारटंक स्टेशन के आसपास देखी गई थी। इसे गर्भवती बताया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में घूमने के बाद यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक की तराई से होते हुए शहडोल क्षेत्र तक पहुंच गई है। शायद इसे अपने प्रजनन के लिए कोई सुरक्षित ठौर नहीं मिल रहा है। यह बाघिन अपनी और अपने होने वाले शावकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित लगती है।


