रायपुर

शकुंतला चो लेजा गीत बस्तर को जानने समझने के लिए महत्वपूर्ण संग्रह
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 जुलाई। पत्रकारिता और साहित्य के पुरोधा पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जयंती एवं समीक्षा गोष्ठी, छत्तीसगढ के विकास में पत्रकारिता का योगदान विषय पर एक दिवसीय गोष्ठी का आयेजन गत दिवस किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि राज्य नि:शक्तजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लोकेश कावडिय़ा ने कहा कि निर्भीक और रचनात्मक पत्रकारिता की नींव पं. स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने डाली है।
समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ भाषाविद डॉ चित्तरंजन कर ने कहा कि छत्तीसग? को हमेशा स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी पर गर्व रहेगा। पत्रकारिता और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं। मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने कहा कि छत्तीसग? के विकास में पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। वशिष्ट अतिथि डॉ माणिक विश्वकर्मा ने कहा कि बीज से महावृक्ष की यात्रा पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने की। प्रारंभ में संयोजक डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता के सेतु थे पं त्रिवेदी। पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी की परपोती नित्या त्रिवेदी ने पं त्रिवेदी का परिचय दिया। शकुंतला तरार ने अपनी पुस्तक पर विचार रखे। पूर्व मंत्री एवं विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि पं त्रिवेदी अपने समय के राजनीतिक परिचितों को कहा करते उनका आचरण ही उनका बचाव करती है।
पुस्तक पर समीक्षा करते हुए संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी ने कहा कि हलबी बस्तर की संपर्क भाषा है। हलबी में लिखे गीत बस्तर की संस्कृति की विशेषता बताते हैं। पुरातत्ववेत्ता जी एल रायकवार ने कहा कि लेजा गीत बस्तर में अत्यधिक प्रचलित है।
इस अवसर पर, डॉ. स्नेहलता पाठक, डॉ सीमा निगम, श्री मीर अली मीर, डॉ. सुशील त्रिवेदी, डॉ. महेंद्र ठाकुर, सर्वश्री सुरेन्द्र रावल, उदयभान सिंह, जसवंत क्लाडियस, डॉ सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, शिरीष त्रिवेदी, राजेश जैन, वीरेंद्र पांडे, सुरेश मिश्र, उर्मिला उर्मि, संदीप तरार, ललित वर्मा, शंकर नायडू, भारती यादव, अंजू यदु, नीलिमा मिश्रा, मीना शर्मा, माधुरी कर सहित पत्रकार,जनप्रतिनिधि, साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।