रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 अक्टूबर। दशकों से सरकार से सिर्फ पेंशन का नाता रखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब नियमित हालचाल जानेगी। अब बेहद बुजुर्ग हो चुके इन स्वतंत्रता सेनानियों की सेहत के अलावा उनके पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं की भी जानकारी ली जाएगी। साथ ही उनका निदान भी किया जाएगा। वर्ष 2022 की समीक्षा के अनुसार, देश में फिलहाल 4004 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। इनमें से कई गंभीर रूप से बीमार हैं तो बड़ी संख्या में पारिवारिक समस्याओं में उलझे हुए हैं।
गृह मंत्रालय के स्वतंत्रता सेनानी एवं पुनर्वास प्रभाग ने इस संबंध में सभी राज्यों को एसओपी जारी किया है। प्रभाग के निदेशक राम चरण मीणा ने इसके लिए सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि देश के बुजुर्ग हो चुके सभी जीवित स्वतंत्रता सेनानियों का नियमित हालचाल लिया जाए। सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी जाए कि वे छह माह में कम से कम एक बार स्वतंत्रता सेनानी के घर पहुंचे और उनके स्वास्थ्य के अलावा पारिवारिक और सामाजिक समस्या के बारे में जानकारी लें। इसके अलावा यदि उनकी पेंशन से संबंधी कोई समस्या हो तो उसका भी निदान करें।
निदेशक ने सभी मुख्य सचिव को कहा है कि स्वतंत्रता सेनानियों का पूरा रिकार्ड रखा जाए और उनके बारे में नियमित रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जाए। निदेशक के पत्र के आलोक में गृह विभाग के अवर सचिव संजीव कुमार सिंह ने सभी डीएम को निर्देश के अनुपालन का आदेश दिया है। साथ ही एसडीएम को इसके लिए अधिकृत करने को कहा है।
छत्तीसगढ़ में सभी दिवंगत
स्वतंत्रता सेनानी के उत्तराधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इस समय एक भी सेनानी भी जीवित नहीं हैं । पन्नालाल पंड्या दवंगतों में अंतिम थे। वैसे स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देश के साथ छत्तीसगढ़ में भी महंत लक्ष्मीनारायण दास, राघवेंद्र राव,चित्रकांत जायसवाल के पिता को अधिकृत किया था कि इनकी पुष्टि के बाद अन्य सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानी का प्रमाण पत्र दिया गया था। उस आधार पर सेनानी का दर्जा प्राप्त सेनानी जीवित हो सकते हैं। इन्हें लेकर भी उत्तराधिकारियों में मतभिन्नता हैं।