रायपुर

पौधरोपण असफल होने के नुकसान पर वसूली भावसे से नहीं रावसे से
26-Sep-2024 3:22 PM
पौधरोपण असफल होने के नुकसान पर वसूली भावसे से नहीं रावसे से

विरोध पर उतरे कर्मचारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 26 सितंबर।
वन विभाग में असफल पौधरोपण पर लागत (राजस्व) हानि सी वसूली को लेकर राज्य वन सेवा संघ ने मोर्चा खोल दिया है । संघ ने वन बल प्रमुख,पीसीसीएफ को पत्र लिखकर सभी आईएफएस अधिकारियों से भी वसूली करने की बात कही है। 

इन वन कर्मियों ने पौध रोपण हानि की वसूली का यह पुराना तरीका है। इस बार वन कर्मी विरोध पर उतरें हैं। उनका कहना है कि यह वसूली पीसीसीएफ और वन मंत्री से भी हो। 
यह वसूली पौधों के सूखने,मवेशियों के चरने और  अन्य सरकारी कारणों से उखाड़े भी जाते हैं । इसे राजस्व हानि मानते हुए वन विभाग फारेस्ट गार्ड से डिप्टी रेंजर स्तर के कर्मचारियों के वेतन से वसूलता है। संघ का कहना है कि वन मुख्यालय से जारी आदेश में आईएफएस अधिकारियों से वसूली का उल्लेख नहीं है। यह राज्य वनसेवा के साथ विभेद पैदा करने वाला है जो स्वीकार्य नहीं है।चूंकि डीएफओ ही डीडी अधिकारी होते हैं इसलिए उन्हे वसूली से अलग रखना उचित नहीं है। इसी तरह से जब डीएफओ और सीएफ मस्टररोल का निरीक्षण अनिवार्यता करते हैं, तो वे अपने इस जिम्मेदारी से अलग कैसे हो सकते हैं। मात्र राज्य वन सेवा के अधिकारी कर्मचारियों के ऊपर जिम्मेदारी सौंपना उचित नहीं है। कर्मचारियों ने फसल बीमा की तरह वृक्षारोपण बीमा का प्रावधान करने की मांग रखी है। इनका कहना है कि वृक्षारोपण की सफलता या असफलता पौधों के जीवित होने पर आधारित है। जबकि वृक्षारोपण में केवल पौधे लगाने का नहीं, बल्कि इसके लिए गड्ढा खुदाई, सुरक्षा घेरा, फेंसिंग निर्माण, पानी की व्यवस्था भी करनी होती है। इसलिए खरीदी गई ऐसी सामग्री को छोडक़र केवल जीवित पौधों की गिनती के आधार पर राजस्व हानि की गणना त्रुटिपूर्ण है। असफलता के पीछे प्रकाश, मिट्टी, पानी, जैविक और रसायनिक कई तरह के कारण होते हैं। इसलिए पूरी हानि प्रक्रिया ही गलत है। कर्मियों ने यह भी कहा कि हानि या गबन के मामलों में जहां कार्रवाई चल रही हो, वहां न्यायालय के निर्णय के बिना अंतिम प्रतिवेदन महालेखाकार के जरिए भेजा जाए। 
 


अन्य पोस्ट