महासमुन्द

राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए संवैधानिक ज्ञान जरूरी-भूपेंद्र
27-Nov-2025 4:18 PM
राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए संवैधानिक ज्ञान जरूरी-भूपेंद्र

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 27 नवंबर। कल 26 नवंबर 2025 भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 76वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अधिवक्ता परिषद छत्तीसगढ़ प्रांत की महासमुंद जिला इकाई का कल जिला सत्र न्यायालय सभागार में संगोष्ठी हु्आ। संगोष्ठी का केंद्रीय विषय मौलिक कर्तव्य विकसित भारत के निर्माण की आधारशिला था। आयोजन ने न्यायिक और कानूनी समुदाय को राष्ट्रीय संवैधानिक चेतना के उत्थान के लिए एक मंच प्रदान किया।  उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता परिषद द्वारा पिछले 15 से अधिक वर्षों से निरंतर श्रद्धा,अनुशासन और संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया जाता रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. भीमराव आंबेडकर के चित्र पर अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर की। तत्पश्चात वन्दे मातरम् गीत का सामूहिक वंदन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता महासमुंद जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनीता डहरिया ने की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल शर्मा मौजूद रहे। अन्य अतिथियों में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भूपेंद्र राठौड़ तथा अधिवक्ता परिषद के जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी शामिल थे। भूपेंद्र राठौड़ ने कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में संविधान की जानकारी को अनिवार्य बताया।

उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि नागरिक अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्यों के बीच के संतुलन को समझें और दोनों का निर्वहन जिम्मेदारी से करें। उन्होंने संवैधानिक ज्ञान को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए अपरिहार्य बताया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनीता डहरिया ने मौलिक कर्तव्यों के महत्व को रेखांकित किया।

 

उन्होंने विशेष रूप से तीन बिंदुओं पर प्रकाश डाला: संविधान का निष्ठापूर्वक पालन, राष्ट्र की सरकारी संपत्ति की रक्षा और देश के नागरिकों का कर्तव्य है कि वे एक जिम्मेदार समाज का निर्माण करें। उन्होंने सभी अधिवक्ताओं और नागरिकों से अपील की कि कर्तव्य परायण नागरिक ही एक सभ्य और मजबूत न्याय व्यवस्था को संभव बनाते हैं। मुख्य अतिथि अनिल शर्मा अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ ने स्पष्ट किया कि केवल मौलिक अधिकारों की मांग करना पर्याप्त नहीं है। बल्कि देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मौलिक कर्तव्यों का निर्वहन करना भी अनिवार्य है। अधिवक्ता परिषद के जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने कहा कि मौलिक कर्तव्य और मौलिक अधिकार वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और एक- दूसरे के पूरक हैं। प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्यों का पालन संकल्प के साथ करना चाहिए।

संचालन अधिवक्ता सरदार सुमित सिंह ढिल्लो ने किया। अंत में अधिवक्ता शशांक तिवारी ने आभार प्रदर्शन किया। आयोजन में क्षेत्र के न्यायिक अधिकारी शामिल हुए। जिनमें न्यायाधीश संघ पुष्पा भतप्रहरी, आनंद बोरकर, मोनिका जायसवाल,  सीजीएम ठाकुर, अधिवक्ता भरत कसार, प्रलय थिटे, संजय गिरी, ओम शुक्ला, खगेश्वर पटेल, सुरेश चंद्राकर, वैशाली देवांगन, राजू पटेल, धर्मेंद्र डड़सेना, नूतन साहू, तेजेंद्र चंद्राकर, ऋषि शर्मा, कुंजलाल सिन्हा, अरुण पटेल, संजीव पंडा, सुरेंद्र चावला, प्रवीण आदि उपस्थित रहे।


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