महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 28 जुलाई। संकुल समन्वयक अन्जय कश्यप पर लगे आरोपों की जांच हेतु जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे 25 जुलाई को मोहगांव स्कूल पहुंचे और विस्तृत जांच की। जांच के दौरान कई अहम बिन्दुओं पर तथ्य सामने आए।
इस दौरान पता चला कि अन्जय कश्यप ने पूर्व में 20 नवम्बर 2024 को एक शपथ पत्र( हलफनामा) प्रस्तुत कर यह वचन दिया था कि भविष्य में संकुल समन्वयक के दायित्वों को निष्ठापूर्वक निभाएंगे। इन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि समस्त शासकीय कार्यों को समय पर पूर्ण करेंगे। किसी भी अधिकारी के विरूद्ध टिप्पणी नही करेंगे, तथा सभी शिक्षकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे। बैठकों में उपस्थित रहेंगे।
उक्त हलफनामे में महेन्द्र चौधरी अध्यक्ष पिथौरा ब्लाक एवं सुधीर प्रधान प्रान्तीय प्रदेश संयोजक ने गवाह के रूप में दस्तखत किए थे। दोनों ने यह अपेक्षा जताई थी कि अन्जय कश्यप की कार्यशैली में अब सुधार होगा।
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान में अन्जय के व्यवहार में कोई परिवर्तन हुआ या नहीं, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। पर इस बार जांच में यह तथ्य सामने आया है कि हलफनामा देने के बाद भी अन्जय कश्यप की कार्यशैली एवं व्यवहार में कोई सुधार नहीं आया है। पूर्व में वे बीआरसीसी के विरूद्ध टिप्पणी करते रहे हैं और अब जुलाई माह में बीईओ की पदोन्नति सूची तथा संभागीय संयुक्त संचालकों के स्थानातंरण के संदर्भ में भी उन्होंने अनुचित टिप्पणी की है।
सूत्रों के अनुसार समन्वयक(सीएसी) पिथौरा नामक वाट्सएप ग्रुप में भी बसना बीईओ जे.आर. डहरिया और रायपुर संभाग के संयुक्त संचालक के विरूद्ध अन्जय कश्यप ने जानबूझकर अपमानजनक व अनर्गल टिप्पणियां की है। यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा(आचरण) नियम 1965 के नियम 03 का स्पष्ट उल्लंघन माना गया है। जो कि शासकीय सेवको के लिए मर्यादा और अनुशासन का मूलभूत आधार है।