महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 6 नवंबर। दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के पूर्व मनाया जाने वाला गौरा-गौरी पर्व उत्साहपूर्वक परम्परा के साथ मनाया गया। गुरुवार रात भर गौरा गौरी की सेवा के बाद शुक्रवार की सुबह श्रद्धापूर्वक विसर्जन किया गया।
नगर के पार्षद राजू सिन्हा ने बताया कि लक्ष्मी पूजन के दिन सुबह से नगर के मुहानों से नगर के विभिन्न मुहल्लों से श्रद्धालु मिट्टी लेकर नगर की आराध्य देवी शीतला मंदिर पहुंच कर वहां गौरा-गौरी की मूर्तियां तैयार की जाती है। इसके बाद रात कोई 8 बजे से एक साथ पूजा के बाद इन्हें श्रद्धालु गण अपने अपने मुहल्ले के गौरा चौरा में स्थापित करते हैं। इसके बाद रात भर भजन कीर्तन के साथ रतजगा किया जाता है। सुबह 10 बजे के बाद गौरा गौरी को पूरी श्रद्धा के साथ पूजन के बाद इन्हें स्थानीय तालाब में विसर्जन किया जाता है। विसर्जन में नगर के प्रमुख जन उपस्थित थे।
शुक्रवार की शाम गोवर्धन पूजन हुआ। स्थानीय पुरानी बस्ती निवासी उमेश दीक्षित ने बताया कि गोवर्धन पूजा का कार्यक्रम प्रतिवर्ष पारम्परिक रूप से मंदिर चौक में आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम में गोबर का एक पहाड़ बनाया जाता है। इसके ऊपर चरवाहों द्वारा गायों को चलाया जाता है। गायों के चलने के बाद इसी गोबर का टीका लगा कर लोग एक दूसरे को गोवर्धन पूजा की बधाई देते है। इसके पीछे माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यह परंपरा प्रारंभ करवाई थी। भगवान का कथन था कि मेरी या किसी अन्य भगवान की पूजा करने की बजाय प्रकृति की पूजा की जाए। श्री कृष्ण के इस फैसले से भगवान इंद्र नाराज होकर अति वृष्टि करवाये थे। जिससे ग्रामीणों की रक्षा हेतु श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उठा कर ग्रामीणों की रक्षा की थी।