कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
विश्रामपुरी, 11 जुलाई। कोंडागांव जिले के कई इलाके में मक्के की फसल पर कीट प्रकोप बढ़ रहा है। जिससे मक्के की खेती पर प्रतिकूल असर पडऩे की आशंका दिख रही है। जिसे लेकर किसान अभी से मायूस होने लगे हैं।
किसानों ने बताया कि अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई है, जिसके चलते मक्के की फसल में कीट प्रकोप बढ़ रहा है। मक्का अभी एक फीट का भी नहीं हो पाया है और कीटप्रकोप शुरू हो गया है। वहीं अब तक मक्के की बुवाई का कार्य चल रहा है। बुवाई के सप्ताह भर बाद भी पानी नहीं गिरा है जिससे मक्के की बीज पर दीमक चींटी आदि का खतरा भी बना है। रोज-रोज बादल मंडरा रहे हैं किंतु बारिश नहीं हो रही है। कभी धूप तो कभी बादल की आंख मिचोली चल रही है। किसान टकटकी लगाकर बादलों की ओर देख रहे हैं।
अब तक बारिश नहीं होने से धान एवं मक्के की फसल पर इसका प्रतिकूल असर दिख रहा है। बांसकोट के किसान ताराचंद शोरी, शांति बाई नेताम, शंकर नेताम जागेश्वर मरकाम, मुंशी शोरी, सनऊ नेताम ने अपने खेतों पर लगे कीट प्रकोप से चिन्तित दिख रहे हैं। किसानों ने बताया कि अभी मक्का एक फीट का भी नहीं हुआ है कि पौधों पर कीट प्रकोप शुरू हो गया है। पौधों पर शै्श्वावस्था में ही कीट प्रकोप से मक्के की फसल पर खतरा बना हुआ है। ताराचंद शोरी ने बताया कि वह 4 एकड़ भूमि पर हाइब्रिड मक्के की फसल लगाया है जहां मक्के के पत्तों एवं तने के भीतरी भाग पर कीट प्रकोप हुआ है। कीड़े मक्के के पत्तों को भी चूस कर छेद कर रहे हैं जिससे फसल खराब होती दिखाई दे रही है जिसे लेकर वे काफी चिंतित हैं। शंकर नेताम ने बताया कि वह डेढ़ एकड़ जमीन पर मक्के की फसल लगाया है जिसमें कीट प्रकोप हुआ है।
उन्होंने बताया कि अब तक कृषि विभाग का कोई भी अधिकारी कर्मचारी गांव में नहीं पहुंचे हैं जिससे उन्हें सही सलाह नहीं मिल पा रहा है। वे दुकानदारों से दवाई पूछ कर छिडक़ाव करने की तैयारी कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि क्षेत्र मे धान के बाद मक्के की फसल प्रमुख रूप से ली जाती है। खेतों में धान की फसल ली जाती है वही समतल भूमि पर किसान मक्के की फसल लेते हैं। मक्के की फसल से किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है किंतु विगत दो-तीन वर्षों से किसानों को मक्के की फसल का सही लाभ नहीं मिल रहा है। कोविड-19 के चलते बार-बार बाजार बंद होने एवं वाहनों की आवाजाही बंद होने से मक्के का सही दाम किसानों को नहीं मिल पाता है। इसके अलावा शुरुआत में ही फसल मे कीट प्रकोप होने से किसानों की फसल बरबाद होने की आशंका है।
उग्रेश देवांगन एसडीओ कृषि कोंडागांवव का कहना है कि किसानों को इसका उपचार शीघ्र करना चाहिए इसमें कीटनाशक दवाओं का उपयोग करने के बजाय नीम के पत्ती का अर्क में पानी मिलाकर उसका स्प्रे करने से अच्छा परिणाम आता है।